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Amit Saxena
मीरा बन जोगन है नारी। सीता बन पावन है नारी। लष्मी बन ग्रहलष्मी है नारी। काली बन असीमित है नारी। प्राणदायक, प्रेमपालक, जगत जननी है नारी। कही माँ, कही बहु, कही बेटियां है नारी। रणभूमि में लष्मीबाई है नारी। एक अकेली 100 पर भारी है नारी। #Happy Womens Day #NojotoQuote मीरा बन जोगन है नारी। सीता बन पावन है नारी। लष्मी बन ग्रहलष्मी है नारी। काली बन असीमित है नारी। प्राणदायक, प्रेमपालक, जगत जननी है नारी। कह
Nisheeth pandey
#MessageOfTheDay जेठ की घुप सहलाती नही है बदन को... जेठ की धूप जला देती है आसमान को ... व्याकुल हैं जीव जंतु पेड़ पौधे हो या पशु पक्षी सूखे कण्ठ से .... ढूंढ रहे हैं जहां तहां कोई इंसान ऐसा .... जो अपने छत और सड़कों पे हो रखता ..... कहीं एक कटोड़ी प्राणदायी जल धरा अमृत ... 🤔#निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey जेठ की घुप सहलाती नही है बदन को... जेठ की धूप जला देती है आसमान को ... व्याकुल हैं जीव जंतु पेड़ पौधे हो या पशु पक्षी सूखे कण्ठ से .... ढूं
Charudatta Thorat . in Abhyasaka
-- || श्री विष्णुभक्त चारूदत्त अभंगगाथा || -- # योगदान : 8/ 7/ 2019 _________________________________________ नेटका प्रपंच धारावा सकळ | ज
Pnkj Dixit
👰🌷💓💝 तुम इतना भी नादान नहीं हो जितना तुम को समझूं मैं पागल प्रेमी आजाद परिंदा मन की चितवन समझूं मैं तुम मृगनयनी गजगामिनी प्रभात कुमुदिनी मनमोहिनी मन हर्षाती ,हिमकणिका , प्रेम की उत्पत्ति समझूं मैं तुम प्रेम कपोत, कूकती कोयल, प्रेम मरीचिका श्वेत हिम शिखर घुमड़ती बदरी प्रेम सागरिका समझूं मैं प्रियतमा तुम प्राणदायनी हृदयवासिनी जीवन गंगा स्वर्गिक सुख मन की मूरत जीवन संगिनी समझूं मैं ०६/०५/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 👰🌷💓💝 तुम इतना भी नादान नहीं हो जितना तुम को समझूं मैं पागल प्रेमी आजाद परिंदा मन की चितवन समझूं मैं तुम मृगनयनी गजगामिनी प्रभात कुमुदिनी म
अशेष_शून्य
मैं स्वयं बनूंगी प्रेम और प्रेम में वो प्राणदाई हवा , वो प्रेम का बीज जो इस धरा पर प्रेम का सृजन कण कण में करेगा ...!! -Anjali Rai READ IN CAPTION ..... ❤️✍️ तुम कहते हो कि सहज है प्रेम जब तुम कहते हो तो मुझे भी यकीन है कि प्रेम करना सहज है परन्तु प्रेम को सहेजना उसी सहजता से
अशेष_शून्य
कुछ इस तरह प्रकृति चुनती है संपूर्ण किरदारों को "जीवन अभिनय" के लिए और लिखती है उनके हिस्से का आधा अधूरा प्रेम जिससे जीवन "सृजन" की संभावना निरंतर इस ब्रह्मांड में सृजित होती रहे ।। -Anjali Rai __________°°°°°°°°°° (शेष अनुशीर्षक में) प्रेम देने की कला "सूर्य" से सीखी जानी चाहिए कैसे किसी रौद्र पुरूष का "अतः दहन" प्रेमी बन जाने पर विध्वंशक से प्राणदाई बन जाता है फ़िर स्वय
Vandana
अक्सर शाम के वक़्त छत पर अकेले में आसमां को देखती रहती हूँ एक टक,,, तन को को छू के गुजर जाती पवन को महसूस करती हूं,,, शाम को रात में बदलते देखती हूँ अंधेरा होते ही तारों को टिमटिमाते देखती हूँ,,, मैं इतनी मौन हो जाती हूं कि पृथ्वी की गति को महसूस करती हूं,,, मैं और प्रकृति एक हो जाते हैं फिर हमारे बीच कोई अंतर नहीं बचता,,,, सूफी बोलो या सूफियाना मौन बोलो या वीराना,,, शांति बोलो या निर्वाणा संत बोलो या ज्ञानी,,,, किसी नदी किनारे पत्थर पर ध्यान करते हुए मौन में,
अशेष_शून्य
इसलिए तो कहती हूं तुम मेरे शिव हो ....!! -Anjali Rai Read in the caption....❤️ सोचा था कभी मैंने ख़ुद जिस चीज़ की कमी शिद्दत से महसूस किया है अपने अंदर ...वो जब मुझे मिलेगी तो उसका कतरा कतरा बांट दूंगी मैं वापस इस द
Archita Singh
चल हक से इंकार करना सीखते हैं, पंरिदो से उडान भरना सीखते है, जज्बातों से जंग जीतना सीखते है, नारी की न्यारी सी नई तस्वीर देखना सीखते है।। Read at caption...👇 A women is not only a class of society but she herself is a history, history of struggle and achievement... चल हक से इंकार करना सीखते हैं, प
Vandana
सब जुड़े हैं एक दूजे की डोर से बंधे हैं अदृश्य ऊर्जाओं से,,, पूरा कैप्शन में जैसे किसी की चंद बातों से हमारा मूड खराब हो जाता है,,, वैसे ही किसी की मीठी अच्छी प्रशंसा युक्त की बातों से हमारा दिन बन जाता है,,, जिस तरह