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लौट आती है वो तारीखे... मगर वो दिन लौट कर नहीं आते ©Npr #LateNight #date #day #Npr #Nojoto
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read moreAtul Sharma
*"सुविचार"* *"Date-9/6/19"* *"Day-Sunday"* हम मैं से ऐसे कितने है ? जो "भय" से "भयभीत" होते हैं, कोई भी "बड़ा" "कार्य" करने से पूर्व थोड़े "असंतुलित" होते हैं, लगभग "सभी"... है ना... प्रत्येक "व्यक्ति" के "मन" में यह "भय" जागता है, और इसका "अर्थ" मेरे "विचार" से यह है, कि यह "भय", यह "भाव" बुरा नहीं है, क्योंकि यदि यह भाव "बुरा" होता तो क्या "ईश्वर" इस "भाव" को सभी "प्राणियों" में देते "भय"...यह "भाव" हमारे लिए "अच्छा" है, "आवश्यक" है स्मरण रखिए... कोई भी "कार्य" करने से "पूर्व" यदि "मन" में "भय" उत्पन्न हो जाए... तो इसका अर्थ है कि उस "कार्य" को करने में अनेकों "संकटों" का सामना हमें करना होगा, इन "संकटों" का सामना करने के लिए हमें "साहसी" बनना होगा, बस इतनी सरल सी बात... "मन" में "साहस" जगा कर चलिए इस "भय की यात्रा" पर, क्योंकि यह "भय" ही है, जो आपको आपके "लक्ष्य" को पाने की "प्रेरणा" देगा आपको "शक्ति" देगा, तो इस "भय" "भयभीत" मत होइए, इस "भय" को साधिए... Bý-Åťüľ Şhãřmå 🖊️🖋️✨✨ *"सुविचार"* *"Date-9/6/19"* *"Day-Sunday"*
*"सुविचार"* *"Date-9/6/19"* *"Day-Sunday"*
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*"सुविचार"* *"Date-8/6/19"* *"Day-Saturday"* "सर्प" यह "शब्द" सुनते ही "मन" में एक "आकार" प्रकट हो जाता है, एक "विष" से भरे "हुंकारते" 🐍हुए "भयानक" से "जीव" का... यदि यह "सर्प" किसी "घर" 🏠पर मिल जाए, तो "कोलाहल" मच जाता है "लोग" "सुरक्षा" का प्रबंध करते हैं "भीड़" इकट्ठा हो जाती है, उस "सर्प" 🐍 के "प्राण" लेने के लिए, किंतु यदि वही "सर्प" किसी "मंदिर" में पाया जाए, तो क्या होता है...? "लोग" उस "सर्प" के समक्ष अपना "शीश" 🙇🏻🙇🏻♀ झुकाते हैं, "प्रार्थना" करते हैं, "हाथ" 🙏🏻जोड़ते हैं "दूध" 🥛पिलाते हैं, "स्वयं" को "शिवजी" का "आशीर्वाद" मानते हैं अब इस "विषय" में आपका क्या "विचार" है ? सोचिए "मनुष्य" भी वही था... और "सर्प" भी वहीं था... फिर "परिस्थिति" में इतना "अंतर" क्यों...? कोई उस "सर्प" के "प्राण" ले रहा है, तो कोई उस "सर्प" की "पूजा" कर रहा है अंतर का "कारण" है... *"संगत"* और *"स्थान"*... जब वह "सर्प" " शिव" जी की "संगति" में था, "मंदिर" के "पवित्र" "वातावरण" में था, तो वह हमारे लिए "देवतुल्य" हो गया... अन्यथा वह हमारे लिए "शत्रु" ही था... है ना... क्योंकि जीवन में *"संगति"* और *"स्थान"* का "चयन" सोच समझकर कीजिएगा, क्योंकि यही "संसार" आपके "व्यक्तित्व" का "ज्ञान" आपकी "संगति" से करवाता है और यही बात "धनी" और "निर्धन" कि नहीं है यही बात है "संस्कारी" और "सदाचारी" के साथ की है "सदाचारी" का साथ सदैव "सम्मान" का कारण बनता है, तो समझे आप इसलिए अपनी" संगति" अच्छी रखें तभी आप हर जगह "सम्मान" पाएंगे.... Bý-Åťüľ Şhãřmå 🖊️🖋️✨✨ *"सुविचार"* *"Date-8/6/19"* *"Day-Saturday"*
*"सुविचार"* *"Date-8/6/19"* *"Day-Saturday"*
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