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Ayush kumar gautam
हमे जिहादी अल असगर न समझो जो जिहाद के नाम पर नफरत फैलाते हैं हम तो खुद का पेट भरने से पहले भूखे को खाना खिलाते हैं मासूमों की जहालत का फायदा उठाने वालों मे न गिनना हम तो मासूमों के मगज में चराग ए इल्म जलाते हैं जिहादी अल असगर-धर्म की रक्षा के लिये लड़ने वाला छोटा जिहादी,जहालत- अशिक्षा आयुष कुमार गौतम जिहादी अल असगर......
Parasram Arora
इक आग सी सीने मे सुलग रही है क्यों न इसका इज़हार मै अपने गीत के ज़रिये करू कभी मै चमन का मजा लेता हूँ कभी मुझे कफस भी अच्छा लगता है. समझ मे नही आता आखिर मै स्थाई निवास के लिये क़िसे चुनू दर्द और पीडा झेलने के लिये अभी काफ़ी उम्र पड़ी है बाकी फिलहाल क्यों न ये वक्त हंस कर गुज़ार. लू जीना भी मुझे आ गया है मरना भी मै सीख गया हूँ. अबतो कोई आकर बताये मुझे जीने मरने के बाद मै क्या करू ©Parasram Arora इक असगर सी.....
Akram Tilhari
शायर असगर यासिर..शाद पिलीभीती..सलीम तिलहरी और खाक़सार अकरम तिलहरी..एक यादगार तस्वीर..
Author Mahebub Sonaliya
Ek ghazal Aatank ke khilaaf आँख जलती है दिल जलाएगा ये धुँआ है असर दिखायेगा अपना दुश्मन है अपनी सुन्दरता वो मरेगा जो मुस्कुराएगा फीर से असग
Author Mahebub Sonaliya
आँख जलती है दिल जलाएगा ये धुँआ है असर दिखायेगा अपना दुश्मन है अपनी सुन्दरता वो मरेगा जो मुस्कुराएगा फीर से असगर शहीद होने लगे कौन फीरसे हु
Shadow9
NITISH KUMAR
बूढ़क किए अपमान यौ ? Read in caption #life #maithili दौड़ के अँगना दौड़ दलान , दौड़ैत दौड़ैत टुटलै टाँग , बुड़हारी में बुढ़िया असगर, ओगरै छै दलान यौ , कहू अहीं सब बाबू भैया बूढ़क किए
Asif Hindustani Official
Like Comment and share ©Asif Hindustani कहा जा रहा है कि जयपुर-मुंबई एक्सप्रेस के आतंकवादी जिसने 4 मासूमों की हत्या की, वो मानसिक रूप से बीमार था। अगर ये कहना कि "हिंदुस्तान में रह
Chanchal Jaiswal
ई हौ रजा बनारस देखा आसमान पर छायल हौ केसरिया केसरिया सूरज मन अंगने में में आयल हौ कोई छते पे कोई दलाने कोई पार्क कोई मैदाने में अपन अपन गुड्डी लेके सब गजबे इतरायल हौ सद्धी, डोरी, चौउआ देखा अंटा, मांझा धार धरायल हौ लड़कन बच्चन छोटकन बड़कन सबकर मन उतरायल हौ बंसी क छोटका लड़का भी अपन पतंग लियायल हौ ढील के दा बाबा हमहुंके देखा कईसन जीदियायल हौ मन्दिर मस्जिद के छत से केतना पतंग ढीलायल हौ पूजा अउर प्रार्थना क रंग उमंग डोर बन्धायल हौ धरती क सब मसला देखा आसमान तक आयल हौ (बाकी कविता caption में पढ़ें) ई हौ रजा बनारस देखा आसमान पर छायल हौ। केसरिया केसरिया सूरज मन अंगने में आयल हौ। कोई छते पे कोई दलाने कोई पार्क कोई मैदाने में अपन अपन गुड्डी
S.M.Masoom
smmasoom.com ©Masoom M Syed आपको यकीन शायद ना हो लेकिन यह सत्य है l आपने शजरा (भू मानचित्र) का नाम तो सुना ही होगा जो गांव की ज़मीनो और खेत के सिलसिलेवार नकशे को कहा जात