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कुछ लम्हें ज़िन्दगी के
सुन्न पड़ गयीं अंगुलियाँ के लकवा मारा हो क़िस्से गिड़गिड़ाते रहे के मुझे कहानी होने दे ,,,,,,, ©️✍️ सतिन्दर सुन्न पड़ गयीं अंगुलियाँ के लकवा मारा हो क़िस्से गिड़गिड़ाते रहे के मुझे कहानी होने दे ,,,,,,, ©️✍️ सतिन्दर #kuchलम्हेंज़िन्दगीke #satinder #सत
Neha Singh
मुझसे किए वादे मेरे बाद भी निभाना तुम.....! मैं रहूं या न रहूं मेरी याद में मुस्कुराना तुम..!! जब भी अपने गले की ताबीज तुम देखा करोगे..! भीगी पलकों से मंगलसूत्र का किस्सा याद करोगे..!! फेशियल तो ठीक फिर से बाल न बढ़ाना तुम..! मैं रहूं या न रहूं मेरी याद में मुस्कुराना तुम..!! मोहब्बत के सागर में मैंने दो किनारों को देखा है..! बिछड़ के जो मर जाएं, आशिक हजारों को देखा है.!! मुझे दिल में जिंदा रख, जी के दिखाना तुम..! मैं रहूं या न रहूं मेरी याद में मुस्कुराना तुम..!! ये सच है बंद कमरे में जी भर आंसू बहाओगे..! राेगे चीखोगे शायद तुम जोर से चिल्लाओगे..!! पर तन्हा हो कितने किसी को न बताना तुम..! मैं रहूं या न रहूं मेरी याद में मुस्कुराना तुम..!! ©Neha Singh मुझसे किए वादे मेरे बाद भी निभाना तुम.....! मैं रहूं या न रहूं मेरी याद में मुस्कुराना तुम..!! जब भी अपने गले की ताबीज तुम देखा करोगे..! भी
ਹੈਪੀ ਰਾਏਕੋਟ
J Narayan
सोच 🌸 (सोचो मत, पढ़ के देखो, अच्छा लगेगा) #सोच सोचता हूं, सोच रहा हूं, सोचता रहूंगा, तुम सोचते हो, सोच रहे हो, सोचते रहोगे, पर सोचने वाली बात ये है, की इन सब में कौन सी सोच बड़ी होत
कुछ लम्हें ज़िन्दगी के
अब कुछ ऐसा होने दे, के रोशनी होने दे डरे हुए अंधेरे चल कुछ अनहोनी होने दे ,,,,,,,, काली काली रातों ने क्या कहर मचाया अब न तेरी न मेरी कुछ अनमनी होने दे ,,,,,,, बहुत बातें की हैं तूने रातों में पसरकर सुकुड़ के जानाँ सुबह मनमोनी होने दे ,,,,,,, मेरे जबीं पर करीं होके रख्खे कितने बोसे मकाँ तो तेरा हुआ अब मुझे मकीनी होने दे,,,, ( जबीं - माथा, करीं- करीब , बोसा- चुम्बन, मकीं- मकान में रहने वाला या वाली ) सुन्न पड़ गयीं अंगुलियाँ के लकवा मारा हो क़िस्से गिड़गिड़ाते रहे के मुझे कहानी होने दे ,,,,,,, किसी और का देखूँ तो अपना याद आए बंद आँखों में गुज़री याद को सयानी होने दे ,,,, काली रात में ज़िन्दगी कालक-ए-सबील हो चली सफ़ेद लोगों की आहट से इसको रातरानी होने दे ,,,,, ( कालक-ए-सबील - कालक की प्याऊ, ) मेरी नज़्मों में मैंनें सदा खुदको ही दिखाया जान पाए ज़माना ऐसी कोई निशानी होने दे,,,,,,, आखिर कब तलक तम ,तुझे बचायेगा सतिन्दर राम बख़्श के इसको भी तू ज़िन्दगानी होने दे ,,,, तम- अंधेरा ©️✍️ सतिन्दर नज़्म ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, अब कुछ ऐसा होने दे, के रोशनी होने दे डरे हुए अंधेरे चल कुछ अनहोनी होने दे ,,,,,,,, काली काली रातों