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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी :- जल बिना जल जात , जल अब कहाँ मातु , जल से ही जीवन है, जल को बचाइये ।। जल से ही कल रहे , सुनो सभी हल रहे, ले चल किसान हल , खेत में चलाइये ।। बीज जब खेत पड़े , धीरे-धीरे हुए बड़े, खुशी से किसान कहे, पौध को लगाइये ।। देख आई बरसात , हट गई काली रात । कह दो सरपंच से , पोखर खुदाइये ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- जल बिना जल जात , जल अब कहाँ मातु , जल से ही जीवन है, जल को बचाइये ।। जल से ही कल रहे , सुनो सभी हल रहे, ले चल किसान हल ,
मनहरण घनाक्षरी :- जल बिना जल जात , जल अब कहाँ मातु , जल से ही जीवन है, जल को बचाइये ।। जल से ही कल रहे , सुनो सभी हल रहे, ले चल किसान हल , #कविता
read more- @Hardik Mahajan
मैं कलम भी,कार भी, हाँ कलमकार हूँ..... मैं स्याह भी, क्लांत भी, हाँ स्याक्लांत हूँ..... मैं तोल भी, मोल भी, हाँ तोलमोल हूँ...... मैं कल भी,नहीं भी, हाँ कलनहीं हूँ.....।। मैं अग्नि भी, पथ भी, हाँ अग्निपथ हूँ.... मैं अग्नि भी, शमन भी, हाँ अग्निशमन हूँ..... मैं वायु भी,यान भी हाँ वायुयान हूँ.... मैं जल भी,कर भी, हाँ जलकर हूँ.... मैं अव भी, तरण भी, हाँ अवतरण हूँ.... मैं रस भी, पान भी, हाँ रसपान हूँ..... मैं यम भी, राज भी, हाँ यमराज हूँ..... मैं अंत भी,मृत्यु भी, हाँ अंतमृत्यु हूँ.... मैं मृत्यु भी, लोक भी, हाँ मृत्युलोक हूँ......।। ✍️✍️हार्दिक महाजन ©hardik Mahajan मैं कलम भी,कार भी, हाँ कलमकार हूँ..... मैं स्याह भी, क्लांत भी, हाँ स्याक्लांत हूँ..... मैं तोल भी, मोल भी, हाँ तोलमोल हूँ...... मैं कल भी,न
मैं कलम भी,कार भी, हाँ कलमकार हूँ..... मैं स्याह भी, क्लांत भी, हाँ स्याक्लांत हूँ..... मैं तोल भी, मोल भी, हाँ तोलमोल हूँ...... मैं कल भी,न #Poetry
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मेरे शब्दों से शब्दों का सार नहीं हो तुम , क्यूंकि मैं शब्द हूं शब्द का और तुम मेरे शब्दों का भार नहीं हो। ©hardik Mahajan 1) जीवन के एक-एक शब्द को सूत्रबद्ध करना और समझना बहुत कठिन है। हर पल शब्दों को खोजना जितना मुश्किल है, हमारे लिखें हुए हर शब्द को शुरू से अं
1) जीवन के एक-एक शब्द को सूत्रबद्ध करना और समझना बहुत कठिन है। हर पल शब्दों को खोजना जितना मुश्किल है, हमारे लिखें हुए हर शब्द को शुरू से अं #Motivational #shabd
read moreShah Meer Khan
संगीत कुमार
White बुद्ध तुम्हे फिर आना होगा नैतिकता का पाठ पढाना होगा जात पात का भेद मिटाना होगा समरसता का अलख जगाना होगा बुद्ध तुम्हे फिर आना होगा द्वेश जन जन में फैल गया भाई -भाई लड़ रह है लोभ में लोग घिर चूका है तुझे मध्यम मार्ग बताना होगा बुद्ध तुम्हे फिर आना होगा अहिंसा का पाठ पढाना होगा सद्विचार का ज्ञान सिखाना होगा मानव में मानवता जगाना होगा कुकर्मी से बचाना होगा बुद्ध तुम्हे फिर आना होगा ©संगीत कुमार #Buddha_purnima बुद्ध तुम्हे फिर आना होगा नैतिकता का पाठ पढाना होगा जात पात का भेद मिटाना होगा समरसता का अलख जगाना होगा बुद्ध तुम्हे फिर आना
#Buddha_purnima बुद्ध तुम्हे फिर आना होगा नैतिकता का पाठ पढाना होगा जात पात का भेद मिटाना होगा समरसता का अलख जगाना होगा बुद्ध तुम्हे फिर आना #कविता
read moreमुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
मजहब,दौलत,जात,घराना,सरहद,गैरत,खुद्दारी एक मोहब्ब्त की चादर को कितने चूहे कुतर गए ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर * #मजहब,दौलत,जात,घराना,सरहद,गैरत,खुद्दारी एक मोहब्ब्त की चादर को कितने चूहे कुतर गए
Saurabh Raj Sauri
White मोहब्बत को बेकसूर अब मै सरेआम लिखूंगा तड़पती रूह पर हँसते जमाने का मै आराम लिखूंगा तोड़ दिया कई रिश्तो को जुबाँ से "राज" जात पात की इस दुनियां को,बेदर्द मै बदनाम लिखूंगा ©Saurabh Raj Sauri जात पात की दुनियां
जात पात की दुनियां #Shayari
read morenisha Kharatshinde
धनगराची जात माझी धनगराची जात माझी गाव माझं कोकणात माय माझी धरती ही बाप माझा जेजुरीत श्यात माझं पिकलेलं हवेमंधी डुलतं हे भात पिक वरसभर पाॅट भरी त्यावर हे गाय,म्हैस,आणि बैल इस्टेट तिच माझी एक शेळी-मेंढरं,कोंबड्या ही पोरं माझी अनेक कोकणात गाव माझं घर-पुणे मुंबईत चाकरमानी म्हणत्यात रोजगार हॉटेलात एका धाग्यात विणलेली धनगाराची जात माझी प्रेम-मायेचा डोंगर तो ती वाडी माझी धनगराची ✍️काव्यनिश ©nisha Kharatshinde धनगराची जात माझी
धनगराची जात माझी #Poetry
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