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Shishpal Chauhan
White न रुकना है न झुकना है बस चलते ही जाना है, न हारकर बैठना है दूसरों के बारे में भी सोचना है मंजिल को अपनी पाना है । स्वयं में ऊर्जा को भरना है काम जीवन में अच्छा करना है बस आगे ही आज बढ़ते जाना है, कुछ अलग करके दिखाना है जमाने को झुकाना है बस मन में ये ठाना है। गलत होने से रोकना है कम बोलना है बस मौन रहकर कर्म करना है, न रात देखनी है न दिन देखना है बस ऊंचाइयों को छूते जाना है। न किसी का दिल दुखाना है अपना सबको बनाना है बस खुशियों को बिखराना है, एक जगह नहीं कोई अपना ठिकाना है जीवन को सफल बनाना है बस जीवन में निरंतर आगे बढ़ते जाना है। सफलता को पाना है असफलता को भुनाना है बस जीवन में खुशियों की बहार लाना है, माना कि बेदर्द जमाना है न किसी को सताना है बस सबको अपना बनाना है। ©Shishpal Chauhan #बस_जीवन_में आगे _बढ़ते जाना है
#बस_जीवन_में आगे _बढ़ते जाना है #कविता
read moreN S Yadav GoldMine
White गीता १३: २४) कितने ही आदमी ध्यान के द्वारा उस परमात्मा को अपनी आत्मा के अंदर बुद्धि से देखते है, अनुभव करते है। महर्षि पतंजलि कहते हैं- ध्यानहेयास्तद् वृत्तयः॥ (पातञ्जलयोगदर्शन २: ११) {Bolo Ji Radhey Radhey} तो सूक्ष्ममय जो वृत्तियाँ हैं पहले सेती वो ध्यान करके हैं, ध्यान करके त्याग, माने ध्यान के प्रभाव से सूक्ष्म वृत्तियां भी खत्म हो जाती हैं एक प्रकार से, तो ध्यान की सभी कोई महिमा गाते हैं। सभी शास्त्र अर गीता का तो विशेष लक्ष्य है, गीता का जोर तो भगवान् के नाम के जप के ऊपर इतना नहीं है, कि जितना भगवान् के स्वरूप के चिंतन के ऊपर है, स्मरणके ऊपर है, स्मरण की जो आगे की अवस्था हैं वो ही चिंतन है और चिंतन की और अवस्था जब बढ़ जाती है, तो चिंतन ही ध्यान बन जाता है। भगवान् के स्वरूप की जो यादगिरी है उसका नाम स्मरण है, अर उसका जो एक प्रकारसे मनसेती स्वरूप पकड़े रहता है, उसकी आकृति भूलते नहीं हैं, वह होता है चिंतन, अर वह ऐसा हो जाता है कि अपने आपका बाहरका उसका ज्ञान ही नहीं रवे एकतानता ध्यानं, एक तार समझो कि उस तरह का ध्यान निरंतर बण्या रवे, वह है सो ध्यान का स्वरूप है, तो परमात्मा का जो ध्यान है वह तो बहुत ही उत्तम है। तो परमात्माकी प्राप्ति तो ध्यानसे शास्त्रों में बतलायी है। किंतु अपने को परमात्मा का ध्यान इसलिये करना है, कि ध्यान से बढ़कर और कुछ भी नहीं है। जितने जो साधन हैं वह साधन के लिये हैं, और ध्यान है जो परमात्मा के लिये है किंतु हम एक प्रकार से ध्यान तो करें, और परमात्मा को नहीं बुलावें तो परमात्मा समझो कि अपने आप ही वहाँ आते हैं। सुतीक्ष्ण जो है भगवान् से मिलने के लिये जा रहा है, तो उसका ध्यान अपने आप ही हो गया, ऐसा ध्यान लग गया कि फिर भगवान् आकर उसका ध्यान तोड़ना चावे तो भी नहीं टूटता है तो भगवान् कितने खुश हो गये उसके ध्यान को देखकर, उसके ध्यान को देख करके भगवान् है सो मुग्ध हो गये। बोल्या यदि ध्यान न हो तो, ध्यान न हो तो भगवान् के केवल नाम का जप ही करना चाहिये, भगवान् के नामके जप से, भगवान् के भजन सेती ही समझो कि परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है। क्योंकि भगवान् के नाम का जप करने से भगवान् में प्रेम होता है, अर भगवान् के मायँ प्रेम होने से समझो कि भगवान् की प्राप्ति हो जाती है। इसलिये नाम के जप से भी परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है, नाम के जप से सारे पापों का नाश हो जाता है, नाम के जप से परमात्माके स्वरूप का ज्ञान हो जाता है, नाम के जपसे भगवान् उसके वश में हो जाते हैं, नाम के जपसे उसकी आत्मा का उद्धार हो जाता है। तो सारी बात नाम के जप से हो जाती है, तो इसलिये समझो कि यदि ध्यान न लगे, तो भगवान् के नाम का निरंतर जप ही करना चाहिये। सुमिरिअ नाम रूप बिनु देखे। सुमरिअ नाम रूप बिनु देखे। होत हृदयँ सनेह विसेषें। होत हृदयँ सनेह विसेषें । भगवान् के नाम का सुमरन करना चाहिये, ध्यान के बिना भी तो भगवान् के वहां विशेष प्रेम हो जाता है, प्रेम होने से भगवान् मिल जाते हैं। हरि ब्यापक सर्वत्र समाना। हरि ब्यापक सर्वत्र समाना। प्रेमते प्रगट होहिं मैं जाना॥ प्रेमते प्रगट होहिं मैं जाना॥ हरि सब जगहमें सम भावसे विराजमान हैं और वे प्रेम से प्रकट होते हैं, शिवजी कहते हैं इस बात को मैं जानता हूँ। ©N S Yadav GoldMine #mothers_day गीता १३: २४) कितने ही आदमी ध्यान के द्वारा उस परमात्मा को अपनी आत्मा के अंदर बुद्धि से देखते है, अनुभव करते है। महर्षि पतंजलि क
#mothers_day गीता १३: २४) कितने ही आदमी ध्यान के द्वारा उस परमात्मा को अपनी आत्मा के अंदर बुद्धि से देखते है, अनुभव करते है। महर्षि पतंजलि क #विचार
read moresuraj dhami
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और भारत को आगे बढ़ाओ । ©Little So Cute 333 इंडिया को आगे बढ़ाओ।
इंडिया को आगे बढ़ाओ। #चुनाव
read morePB Creator
White एक चाँद छिपा है किस ओर, नजाने रूठ हैं कियो ©PB Creator आगे लिखो कुछ तुम.. #aage_likho
आगे लिखो कुछ तुम.. #aage_likho
read moreKrishna Deo Prasad. ( Advocate ).
White जिंदगी में जैसे जैसे आगे जाएंगे, माँ बाप की हर बात सच होती नजर आएगी... ©Krishna Deo Prasad. ( Advocate ). #Moon #जिंदगी में जैसे जैसे आगे जाएंगे, माँ बाप की हर बात सच होती नजर आएगी...
#Moon #जिंदगी में जैसे जैसे आगे जाएंगे, माँ बाप की हर बात सच होती नजर आएगी... #मोटिवेशनल
read moreJyoti
#nightthoughts इसके आगे की पंक्तियां भी महत्व रखती हैं। इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें #कविता
read moreAshok Topno
जुल्म के आगे दुश्मन भी झुक जाएगा हौसला बुलंद हो तो वक़्त भी रुक जाएगा अगर एकता में चलोगे तो ये इंसान ही क्या असमान भी झुक जाएगा ©Ashok Topno जुल्म के आगे#zulm #Bicycle
Rishika Srivastava "Rishnit"
शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अंग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे...! थोड़ा सा ग़ुलाल मैं लगाऊं, थोड़ा तुम लगाना.. लपक-झपक ग़ुलाल के रंगों से, रंगे दोनों संग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! ना जाने कहाँ होंगे अगले बरस, एक दूसरे को देखने को नजरें जाएगी तरस.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! आगे की चिंता की शिकन ना आने दे हमारे दरमियान, तू और इस रंग-बिरंगे रंगों संग जिंदगी में भरे हर रंग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! बरस-बरस भीगेंगे आँचल, भिगोए जलते तन-मन रे.. आओ सखी, बुझा दे प्रेम से हर पीड़ा की चुभन रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!! ©Rishika Srivastava "Rishnit" शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अ
शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अ #Holi
read moreShashi Bhushan Mishra
Autumn रंगों की बौछार के आगे, फीका सब त्योहार के आगे, चाहे दुनिया घूमो जितनी, कुछ भी नहीं परिवार के आगे, बीते दिन पढ़ लेते सारे, आगे क्या दीवार के आगे, देखा जिसे उसे ही जाना, होता क्या संसार के आगे, हो जाते मजबूर कृष्ण भी, भक्त की करुण पुकार के आगे, नतमस्तक विज्ञान जगत का, अनदह ध्वनि ओंकार के आगे, भाव के भूखे हैं जगदीश्वर, दिल हारे सत्कार के आगे, 'गुंजन' श्रेष्ठ बनो कर्मों से, सर न झुके करतार के आगे, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #फीका सब त्योहार के आगे#