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saurabh
मैं चेहरे पर नकाब नहीं रखता हूं मैं जैसा हूं मैं वैसे ख्वाब रखता हूं जिंदगी तुझको सवाल आते हैं और मैं खुद के जवाब रखता हूं जज्बातों के तूफान क्या बुझायेंगे मैं अश्कों से जलता चिराग रखता हूं 🌺🌸🌺🌺🌸🌺🌺🌺🌸🌺🌺🌸🌺 तुमने बस इतना समझा तो क्या समझा है जीवन जीवन दर्पण दर्पण बना रहा सब तुमने इसको कुछ समझा तो क्या समझा है
🌺🌸🌺🌺🌸🌺🌺🌺🌸🌺🌺🌸🌺 तुमने बस इतना समझा तो क्या समझा है जीवन जीवन दर्पण दर्पण बना रहा सब तुमने इसको कुछ समझा तो क्या समझा है
read moreParasram Arora
समझा तो ये समझा जाना तो ये जाना हर वीराना एक बस्ती है हर बस्ती एक वीराना है ©Parasram Arora समझा तो ये समझा
समझा तो ये समझा
read moreDosti Ibaadat E Khuda
नहीं मुझको जो ज़माने में, नहीं कभी किसी ने समझा!! शिकवा भी नहीं कभी किसी से, क्या अपनों से, भी गिला!! केे आदत मेरी ये ख़ामोशी की, नहीं दिखाने को रही कभी!! है खामोश ... दिल ये मेरा, सुन कभी दिल की मेरे, तू सदा!! कहना था बस कह दिया ... ~~~ निशान्त ~~~ समझा
समझा
read moreMayank
एक शाम ऐसे ही गुजर रहा था। थोड़ी देर तक आते-जाते रहें। कई लोग हमारे सामने से। धीरे धीरे सुर्य ढल गया। मैं थोड़ा नीचे गया। नदी किनारे से पानी में। बहुत सान्त सा लगा। लगा जैसे जीवन में यही सुकून ढूंढते थे। इसी तरह मैंने नदी के किनारे आकर बैठ गया। रात होता गया। बहुत सुकून मिल रहा था। जीवन में बहुत सारे दुःख सुख आते है। कुछ पल ऐसा भी आता है। जो समझा जाता है। जीवन क्या है? कुछ पल ऐसा आता है। जो समझा जाता है। जीवन क्या है? लघुकथा
कुछ पल ऐसा आता है। जो समझा जाता है। जीवन क्या है? लघुकथा #कहानी
read morePrashant Mishra
मैं उसके ग़म भी बाँटने को था तैयार मग़र वो खुशी के भी काबिल नहीं समझा मुझको अकेला छोड़ गया दुनिया से लड़ने के लिए ख़ैरियत ये है के बुज़दिल नहीं समझा मुझको सफ़र में साथ-साथ चलता रहा बरसों तक हाय! फिर भी कभी मंज़िल नहीं समझा मुझको सफ़र में कई और कश्तियाँ बदलनी थीं इसीलिए कभी साहिल नहीं समझा मुझको मैं दिल ही दिल में मोहब्ब्त को मार डाला मग़र कभी किसीने भी क़ातिल नहीं समझा मुझको --प्रशान्त मिश्रा ...समझा मुझको
...समझा मुझको
read morePawan
किसी ने मुझे मग़रूर समझा.. रहे अपनी ही दुनिया मे मसरूफ़ समझा... किसी ने मुझे वक्त और हालातों के आगे मजबूर समझा... तो किसी ने बस बेफ़िज़ूल समझा... मुझे मुझसे भी ज्यादा जानने वाले सिर्फ एक तुम ही तो हो, जिसने मेरे हर दर्द और खामोशी को बाखूब समझा... बाखूब समझा
बाखूब समझा
read moreranjit Kumar rathour
ये क्या तरीका है जब मर्जी तुम्हारी तुम पास आते हो जो मेरी बारी आई तो तुम बेवजह नाराज हो जाते हो मेरा अपना भी कुछ है जरा तहजीब से जरा हमसे मिला करो हमे भी तुम समझा करो ©ranjit Kumar rathour समझा करो
समझा करो #शायरी
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