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writer_Suraj Pandit
White चल तू डगर पर , हर कभी ना मान तू । सपनों की जंग में , क्यों थका - रुका तू । एंतेहान का वक्त है , क्यों रुका - न लड़ा तू । चल समय के साथ साथ , हर वक्त को तलास है । चमक रहा वह सितारे , हर राह तेरा देख रहा । क्यों दुनियां की आश में , ख़ुद को उलझा रहा । दरिया है तू सपनों का , हर राह खुद बना सकता है । हर हार को जीत में , तू ही बदल सकता है । चल तू डगर पर , हर कभी ना मान तू। सपनो की जंग में , क्यों थका रुका तू । ©writer_Suraj Pandit #safar क्यों थका रुका तू Sandeep Surela rasmi pooja sharma gaTTubaba Dp Singh
मुसाफ़िर क़लम
कैसे बताऊं कि मेरा मसला तुम नहीं हो, मेरा मसला ये है कि, बस तुम नहीं हो! ©मुसाफ़िर क़लम तुम... #fog #तुम #Love #Life
हिमांशु Kulshreshtha
आंखों में सजा कर अनगिनत सपने अपने दिल में बसाया था तुमको सपने ही तो थे.... टूटना था, टूट गए आज भी, मगर तन्हाई के लम्हों में तुम्हारा ख्याल आ जाता है हृदय के द्वार पर तुम्हारा अक्स हौले से दस्तक दे जाता है अपनी भावनाओं को दफ़ना लिया था मैंने अपने दिल को कब्र बना कर तसव्वुर तुम्हारा बिखर जाता है फूल बन कर आज भी मेहसूस होती है तुम्हारी नर्म उंगलियों की छुअन और, तब अकस्मात मेरे रोम-रोम में आकुलता जगा जाती हो तुम मन बेचैन हो उठता है मायावी सी तुम आज भी मेरी तन्हाइयों में चली आती हो तुम !!!! ©हिमांशु Kulshreshtha तुम....
हिमांशु Kulshreshtha
White कैसे भूल जाऊँ उस लम्हे को जब तुम ने सर रख कर मेरे कांधे पर जन्मों जन्म साथ रहने का वायदा किया था खायीं थी कसम कई कई बार कैसे भूल जाऊँ मैं उस लम्हे को जिसमें तुमने भुला दिया था हर कसम, हर वायदा भुला दिया था, मेरी बेपनाह चाहत को और अपने गुरूर की आंच में छोड दिया था तुमने मुझे लम्हा लम्हा जलने को, कैसे भूल जाऊँ मैं..... ©हिमांशु Kulshreshtha तुम...
Vivek Sharma Bhardwaj
White पता है ज़िंदगी बहुत ही अजीब है, तुम्हें खो कर जाना!! तुम सा कोई नहीं, तुम शायद नहीं समझ सकते अब, शायद मैं भी नहीं समझ पाया तुम थे जब, अब बस सफ़र है, और एक राह, ना मंज़िल की ख़बर, न ही रस्ते का पता, बस अब भी तू है! तेरा ज़िक्र, तेरी फ़िक्र, तेरी चाह, और वो सब बातें जो तेरे लिए थी, और तुमसे कही न गई..... ©Vivek Sharma Bhardwaj #तुम
हिमांशु Kulshreshtha
तुम चंचल, सुकोमल सुनयना, सुकुमार कैसे बिताई रात मीठी नींद में सपनों में रात क्या देखा तुमने कुछ याद भी रहा क्या तुमको? गहरी नींद का मधुर कोई सपना देखा क्या तुमने रात भर कोई जगा निहारता रहा बस तुमको.... नींद में सोते देखा करवटें बदलना तुम्हारा.... मुस्कराता लाज की लाली लिए मुखड़ा तुम्हारा कह रहा है बहुत कुछ जो देखा होगा तुमने सपने में ©हिमांशु Kulshreshtha तुम
हिमांशु Kulshreshtha
हम भी तो देखे सरगोशिया इश्क़ की जुल्फों को अपनी मचलने दो पलकों को झुकाये बैठे हो क्यूँ मस्तियाँ.. अपनी आंखों की बिखरने दो गिरा के बिजलियाँ अपने हुस्न की किस क़दर बेख़बर से बैठे हो, बस फ़ना होने दो ©हिमांशु Kulshreshtha तुम...
हिमांशु Kulshreshtha
तुम रूबरु तो हो मुझसे, तब कुछ गुफ्तगू होगी, फिर बताऊँगा तुम्हें , क्या होता है "इश्क़", क्या होता है, "अपना पन" ©हिमांशु Kulshreshtha तुम..
हिमांशु Kulshreshtha
तुम हकीक़त हो या फिर कोई फरेब... ना दिल से निकलते हो ना ज़िँदगी में आते हो... ©हिमांशु Kulshreshtha तुम..