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CK JOHNY
चंपा का पुष्प भगवान शिव का प्रिय पुष्प है। मान्यता है कि यह पुष्प समुद्र मंथन के दौरान रत्न के रूप में प्रकट हुआ था। चंपा का पौधा पारिजात के नाम से जाना गया है। इस फूल की खुशबू संसार के सभी फूलों की खुशबू से बेहतर मानी जाती है। चंपा
IND ARUN
Nisheeth pandey
मुझे देख के तुम्हारे चेहरे पे चंपा चमेली खिल जाती थी, और मैं तुम्हें देख के भँवरा बन जाता था.... #निशीथ ©Nisheeth pandey मुझे देख के तुम्हारे चेहरे पे चंपा चमेली खिल जाती थी, और मैं तुम्हें देख के भँवरा बन जाता था.... #lovequotes #streak #nojotostreak
Dr. Nazim Moradabadi
वो चंपा नहीं है चमेली नहीं है यहां अब कोई भी सहेली नहीं है निशाँ भी नहीं है कोई बाक़ी नाज़िम पिता की भी थी जो हवेली नहीं है (नाज़िम शाह "नाज़िम") वो चंपा नहीं है चमेली नहीं है यहां अब कोई भी सहेली नहीं है निशाँ भी नहीं है कोई बाक़ी नाज़िम पिता की भी थी जो हवेली नहीं है (नाज़िम शाह "ना
Rabindra Kumar Ram
*** कविता *** *** तु कहीं मिल तो सही *** " छु के हसरतों को तु कहीं मुझमें शामिल हो जा , दें कोई आवाज मुझको या फिर मुझे काफ़िर ही रहने दें . " दिलकशी ये अंदाज ठहरा और क्या वयान करें , छु के मुझको तुझमें हिफाजत दें तु कहीं मिलो तो सही , ये अंदाजेबयां अब भी कहीं काफ़िर ठहरा , तु मुझको खुद में शामिल कर तो सही , हसरतों का बज़्म तुझमें सिमट जाये तु कहीं मिल तो सही , चंपा - चंपा ये एहसास मुझमें ख़ामोश बैठा तु कहीं मिल तो सही , कोई ख्याल का ज़रा ख्याल कर ले तु कहीं मिल तो सही , दें तु मुझमें दस्तक की मेरे तसव्वुर को कोई पहचान मिले तु कहीं मिल तो सही , कर सकु तुझसे तपसिल तेरी मेरी बातें तु कहीं मिल तो सही . " --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com *** कविता *** *** तु कहीं मिल तो सही *** " छु के हसरतों को तु कहीं मुझमें शामिल हो जा , दें कोई आवाज मुझको या फिर मुझे
Rabindra Kumar Ram
*** कविता *** *** तु कहीं मिल तो सही *** " छु के हसरतों को तु कहीं मुझमें शामिल हो जा , दें कोई आवाज मुझको या फिर मुझे काफ़िर ही रहने दें . " दिलकशी ये अंदाज ठहरा और क्या वयान करें , छु के मुझको तुझमें हिफाजत दें तु कहीं मिलो तो सही , ये अंदाजेबयां अब भी कहीं काफ़िर ठहरा , तु मुझको खुद में शामिल कर तो सही , हसरतों का बज़्म तुझमें सिमट जाये तु कहीं मिल तो सही , चंपा - चंपा ये एहसास मुझमें ख़ामोश बैठा तु कहीं मिल तो सही , कोई ख्याल का ज़रा ख्याल कर ले तु कहीं मिल तो सही , दें तु मुझमें दस्तक की मेरे तसव्वुर को कोई पहचान मिले तु कहीं मिल तो सही , कर सकु तुझसे तपसिल तेरी मेरी बातें तु कहीं मिल तो सही . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** कविता *** *** तु कहीं मिल तो सही *** " छु के हसरतों को तु कहीं मुझमें शामिल हो जा , दें कोई आवाज मुझको या फिर मुझे काफ़िर ही रहने दें
Rishabh Goel