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Sonam kuril

घूँघट में चाँद

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घूंघट में चाँद एक रोज वो पास आकर बोले ,
मैं वो हसीन चेहरा देख आया ,
आज मैं आसमाँ का गुरुर तोड़ आया ,
बड़ी खूबसूरत है उसकी आँखे ,
देखते ही दिल मै अपना वही छोड़ आया ,
तारों को क्यों होती है उससे जलन ,
आसमां पर बिखरता नूर उसका मैं देख आया ,
उठा जो घूँघट बादलों का ,
की आज मैं घूँघट में चाँद देख आया ,
बातें सुन मैं हैरान थी ,
ये कैसा कमाल कर आया ,
चाँद हमसे इतना दूर है ,
फिर कैसे ये घूंघट में चाँद देख आया ,
अचंभित देख मुझे वो मुस्कुरा कर बोले ,
देख मत ऐसे मुझे,
मै उस चाँद की नहीं अपने चाँद की बात करता हूँ ,
अक्सर रहा करता था घूँघट में वो सोना,
आज इत्तिफाकन उठाया उसने घूँघट,
और मै धरा पर घूँघट में चाँद का दीदार कर आया | घूँघट में चाँद

बालकृष्ण शर्मा

घूँघट में चाँद☺

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Kajalife....

कलाकार.... जीवन में, जीवन के...!!! #kajalife #01june2021

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हम सब अपने जीवन में
छोटे मोटे कलाकार होते हैं 
हम में से कोई कल्पनाएँ उकेरता है, 
कोई रिश्ते संजोता है, 
कोई ख्वाब तराशता है, 
कोई खामोशी पढ़ लेता है, 
कोई वक्त पढ़ लेता है, 
हम सब कलाकार ही तो है...
बस हमारी कलाओं का रूप अलग है
एक दूसरे से, सब से..... !!!

©Kajalife.... कलाकार.... जीवन में, जीवन के...!!! 
#kajalife
#01june2021

R K Mishra " सूर्य "

Sunil Kumar Maurya Bekhud

VINIT TIWARY

घोटाला #कविता

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बिक रही सरकारी नौकरी, बिहार  सरकार मे।
परीक्षा से पहले आ जाता 
प्रश्न-उत्तर बाजार में।।
सभी जगह घोटाला,
पैसे से बहाली।
रोना आता है देखकर,
शिक्षा की बदहाली।। घोटाला

Anand Kumar Ashodhiya

घोटाला

पिछले कुच्छ दिनों से मेरा मन, बहुत मचल रहा है
लालच का महादानव मुझे उद्वेलित कर, आत्मा को कुचल रहा है

बेईमानी से कमाने की इच्छा, बलवती हो रही है
शिष्टाचार और सद्भावना, अन्दर ही अन्दर सती हो रही है

दिल करता है, भ्रष्ट आचार से, कोई घोटाला कर लूँ
अनीति और हराम की कमाई से, अपना घर भर लूँ

जनता की खून पसीने की कमाई, पल भर में डकार जाऊं
खुद पर लगे आरोपों को, पूरी बेशर्मी से नकार जाऊं

खाकर रकम गरीबों की, बेशर्म और नम्फ्ट हो जाऊं
सब इल्जामों पे मिट्टी डाल, कुम्भकर्णी नींद सो जाऊं

ये "थर्ड रेट" आन्दोलनकर्ता मेरा क्या कर लेंगे
अपने खिलाफ मुंह खोलने वाले, एक एक को धर लेंगे

हार, बेइज्जती और सजा के बावजूद भी, नहीं आऊंगा बाज़
करके झूठे वादे धोखे, पांच साल बाद, फिर पहनूंगा ताज़

घपले और घोटालों के फ़ेरहिस्त में, अपना नाम लिखवाऊंगा
करके कायम अराजकता, फिर धृतराष्ट्र हो जाऊँगा

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइ

©Anand Kumar Ashodhiya #घोटाला 

#MereKhayaal

डॉ जेपीएस चौहान

#Scar घोटाला

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Scar   पिछली सरकार के  सहायक  भर्ती  घोटाले पर वर्तमान मप्र  सरकार क्यों पर्दा  डालने की कोशिश कर रही है,समझ से परे है!
इतना बड़ा पाप यूं ही नही ढंक जाएगा साहब #Scar घोटाला

Neophyte

घूँघट

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हर किसी को उस शख्स से मोहब्बत हो सकता है
जो मेरी जरूरत है वो सबकी जरूरत हो सकता है

पर न जाने क्यों हर कोई मोलभाव में परेसान है
उसे देखकर बतलाओ क्या उसका कोई कीमत हो सकता है

चाँद तभी से छिपता फिर रहा जब से उसे पता चला है
कोई उससे भी ज्यादा खूबसूरत हो सकता है

एक बार उसकी नज़रो के धार से जख्म लेकर देखो
बड़े बड़े सल्तनतों से बगावत हो सकता है

हमे भी तो इश्क़ के ताकतों का अंदाज़ा नही था
हमे कहा पता था हमारा ऐसा नौबत हो सकता है

हमे हज की ख्वाहिश बेवजह थी शायद
घूँघट उठा कर भी खुदा का ज़ियारत हो सकता है

(क्षत्रियंकेश) घूँघट

anurag saxena

घूँघट

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तुम घूँघट में हम से 

मिलने आया न करो

आधा अधूरा चांद 

हमे अच्छा नही लगता।


            ---------अनुराग घूँघट
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