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Ek villain
जब भी चुनाव आते हैं चुनाव सुधारों की मांग भी तेजी हो जाती है से मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए पिछले दिनों केंद्र सरकार में चुनाव सुधार की दिशा में निर्णय पहल करते हुए मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ना पंचायतों निकाय चुनाव को विधानसभा और लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची को एक करना और नए मतदाताओं का नाम मतदाता सूची में 1 वर्ष से कई बार शामिल करना संबंधित निर्णय लिया है यह सुधार आवश्यक थे लेकिन इसके साथ ही अन्य सुधार भी अपेक्षित है भारत में अनेक लोग वह का नाम जन नाम एकाधिक जगह पर मतदाता सूची में इस्तेमाल होता है सेना सिर्फ एक व्यक्ति का मतदाता सर्वजनिक प्रधान का उल्लेख होता है बल्कि वास्तविक जन देश का भी हरण हो जाता है इस मतदाता का सही प्रतिशत पता करना भी मुश्किल होता है चुनाव आयोग इस समस्या के समाधान के लिए लंबे समय से प्रत्याशी था लेकिन अधिक सफलता मिल रही है तब मतदाता पहचान पत्र के आधार कार्ड से जुड़कर फर्जी मतदाताओं का उन्मूलन किया जा सकेगा न्याय पंचायत निकाय चुनाव और विधानसभा लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची को एक करना है उल्लेखनीय है कि कई राज्यों में पंचायत चुनाव और विधानसभा लोकसभा चुनाव में अलग-अलग मतदाता सूचियों का प्रयोग किया जाता है पंचायत निकाय चुनाव की मतदाता सूची का निर्माण संबंधित राज्य निर्वाचन आयोग करता है जबकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची का निर्माण केंद्र निर्वाचन आयोग करता है ©Ek villain # चुनाव सुधारों को गति देने का समय #apart
ashish kumar
नजर नहीं है नजारो की बात करते है, ज़मीन पर चाँद सितारों की बात करते है, वो हाथ जोड़ कर बस्ती को लुटाने वाले, भारी सभा मे सुधारो की बात करते है। ©ashish kumar सुधारों की बात करते है।
Ek villain
यह सही है कि स्वाधीनता के बाद से निरंतर देश का आर्थिक विकास हुआ है परंतु इस गति की अपेक्षाकृत कम रही है वैसे तो पिछली सदी के अंतिम दशक में अर्थव्यवस्था के मार्च में परिवर्तनकारी सुधार का व्यापक प्रयास किया गया था जिसे बेहतर नतीजे भी सामने आए बाद के सुधारकों ने अनुकूल परिस्थितियों का फायदा उठाया और वह सभी समान रूप से प्रभावशाली थे हालांकि उन देशों के एक बड़े हिस्से की उपभोक्ता वर्ग में ला खड़ा किया और अधिकांश को गरीब के जाल से बाहर निकाल देगा लेकिन किसी क्षेत्र को विशेष के उदार बनाने का अर्थ संबंधित नीतियों के गिरेबान में सुधार करना और व्यवसाय संघ के कारकों को तैयार करना भी कई बार अलग-अलग आगे बढ़ता है और बहुत ही विविध परिणामों के साथ आसमान गति को दर्शाता है एक संबंधी अध्ययन में समय के महत्व और सुधारों के क्रम में प्रकाश डाला गया है इससे स्पष्ट होता है कि आर्थिक विकास पर अल्पसंख्यकों के बीच में अंतर है ऐसे ही समझा जा सकता है कि आज टेलीकॉम का मतलब एक कॉल से कहीं अधिक है सूचना प्रौद्योगिकी तरह कोडिंग नहीं कर रही ऊर्जा क्षेत्र में सुधारों का अर्थ होगा कि जीवाश्म ईंधन से आगे जाना और शोर नवीकरण ऊर्जा और अन्य हरित ऊर्जा को शामिल करना शिक्षा और श्रम सुधारों को से पहले कई अधिक गतिशील है बीमा क्षेत्र में सुधार व्यवस्था के आसपास और श्रम कौशल और भूमिका में सुधार निर्माण के आसपास केंद्रित है ऐसे में नीति निर्माताओं को विशेष रूप से सामाजिक सुधारों के लिए उनसे होने वाले अपेक्षा प्रभाव की समीक्षा करने की जरूरत है आर्थिक समृद्धि के लिए संवाद सर्वोपरि है विशेष रूप से अत्यधिक प्रतिस्पर्धी संध्या के भीतर जहां राजनीतिक रूप से यह काम हो चारों में उसका एक उदाहरण बीते दिनों उस समय सामने आया जब बीते वर्ष की निरंतर की वर्तमान केंद्र सरकार से उन लोगों को साझा करने में विफल हो रहे जिनका निर्माण करने के लिए किया गया था ©Ek villain #सुगम बने आर्थिक सुधारों की राह #selfhate
KUNDAN KUNJ
अगर खुद के घर में अंधेरा हो तो दूसरों से यह नहीं पूछना चाहिए कि आपके घर में रोशनी क्यों नहीं है ।। ##पहले खुद की गलतियों को #सुधारों दुनिया खुद #उधर जायेगी।
यशवंत कुमार
वो चेहरा 'तुम्हारा' है मेरी बातों का मेरे जज्बातों का मेरे ख्यालों का मेरे सवालों का Read in caption... वो चेहरा "तुम्हारा " है। मेरी बातों का मेरे जज्बातों का मेरे ख्यालों का मेरे सवालों का मेरी तन्हाईयों का मेरी परछाईयों का
Rohit Potdar
का बरं का ? "Koni Pratyaksha pyeksha Gelyavarach jasta prem jaanavte." Haa difference vedich sarkavta aala nahi. Tar aayushya aani tyatli loko, fakt aathvan mahnun rahun jhatil aani tasecha jagave lagtil. का बरं का ?
Author Munesh sharma 'Nirjhara'
"अधूरापन ही खींचता है अपनी ओर पूर्ण हो जाने के लिए..." अधूरापन भावों का...सोच का....विचारों का...
Mayank Pandit
आज कल लोग सच्चे प्यार की नही, बस कुछ दिन साथ दे ऐसे यार की खोज करते है, आज कल तो सकल भी नही देखते लोग, 10 मिनट की चॅटिंग मे डिरेक् पुरपोज करते है, और कहते है की बेबी हम भी मशूर हो लैला मजनू की तरह इस जमाने मे, मगर उनको क्या पता जिंदगी से अल्बिदा कहना पड़ता है इश्क़ का इतिहास बनाने मे. . poet - mayank pandit आज का का इश्क़
NE Changeharwala
मौत के बाद ए है जिंदगी का सच बीवी मकान तक लोग शमशान तक बेटा अग्नि तक लेकिन ईमान ईमान.....स्वर्ग तक ! जिंदगी का का सच
Ganesh Barupal
शादी का बंधन... प्यार का बंधन.... जीवन का बंधन.. रिश्तों का बंधन....