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Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).
अच्छे एवं सच्चे लोग मुफ़्त में ही मिलती है जैसे - कि, माँ, बाप, गुरु, भाई, बहन, दोस्त, पति, पत्नी बाकी तो स्वार्थ की यारी है, काम बनाया कि बाद में ' हम आपके हैं कौन ' !!!!!! ©Krishna Deo Prasad. ( Advocate ). ' हम आपके हैं कौन ' !!!!!!
' हम आपके हैं कौन ' !!!!!!
read moreज़िंदादिल संदीप
#OpenPoetry बतलाए क्या अब की..हम कौन है.. सारी बात तो बोल दिया..फिर भी कहते हो हम मौन है.. मुस्कुराते है दिल से जो हर इक एहसास में ..बस वही तो हमारी कौम है.. बतलाए भी तो क्या बतलाए..पूछते हो हमसे हम कौन है?? हम कौन है ?
हम कौन है ? #OpenPoetry
read moreParasram Arora
कौन है हम.? क्यो है. किस लिए है? किस ओर है कहा हम जाते और इस जिंदगी का क्य प्रयोजन है यहां इस ग्रह पर हमारी उपस्तिथि का कौन सा. मिशन है .. हमेँ कुछ भी तो पता नहीं है ©Parasram Arora कौन है हम
कौन है हम #कविता
read moreKavi Swaroop Dewal Kundal
लुट रही है आबरू सरेआम हम फिर भी मौन है खुद को इंसान कहते हैं पर जानते नहीं हम कौन है किसी की भी बहन बेटी लुटे हमें क्या करना है हम इंसाफ क्यों मांगे हमारी वो लगती ही कौन है जिसको सियासत सौंप दो वही इज्जत लूट लेता है अदालत भी उनके साथ हैं सबकुछ लुटाने वाली के साथ कौन है अभिनेताओं की छींक भी रूक जाए कैमरे उस पर से हटते नहीं किसान की सांस भी रूक जाए उसको पूछने वाला कौन है क्रिकेटरों के बीवी बच्चे क्या खाते है सबको पता है पर सरहद पर सैनिक रोज मरते हैं जानने वाला कौन है दुनिया की ना सोच अपनी जैब भरता रह तमाम उम्र सयाना बन 'स्वरूप' आखिर जमाने में दौलत बिना अपना कौन है हम कौन है
हम कौन है
read moreKrishna
लगती है नादान सी पर जीने का तरीका जानती है एक पागल है जो गहरे दर्द में भी हसने का तरीका जानती है........... कुछ तो बात है यार तुममें पर पता नहीं क्या....S❤️❤️ H@m आपके है कौन......
H@m आपके है कौन......
read moremrXchauhanGvsc
राम और रहीम दोनी ही (र) से सुरु होते है मैन दोनो का (र) मिला कर रब लिख दिया mr_x_chauhan हम आपके है
हम आपके है
read moreसचिन द्विवेदी
हम होते कौन है ..? जो उनकी सोच को झुठलाए , पूरी बात सुने बिना , फ़ैसला सुना जाए । अरे जिंदगी भर , साथ रहेकर जो उन्हें समझ ना पाए , आज खुदको उनका बाप , भाई , पति , बेटा केसे हम बुलाते है ? क्या रिश्ता बनाकर , हम उस रिश्ते से इंसाफ कर पाते है ? क्या हम इतने कमजोर है , की अपनी बात मनवाने के लिए उनपर दवाब बनाते है ? बचपन हो या बुढ़ापा , उन्हें ही क्यों अनसुना कर जाते है ? क्या उनकी अन - सुनी बात से , हमारा सच इतना कमजोर है ... की उनके बोलने से पहले , ही हम घबरा जाते है ? क्या हासिल किया है हमने , जो इतना इतराते है ? पर याद क्यों नहीं रखते हम ....! की जो हासिल किया भी है , उसमें उनका भी साथ था ,जिनके बिना हम पैदा भी ना हो पाते ..! माना ... गलत तो सब हो सकते है , पर कभी गलत , हम क्यों नहीं कहलाते ..? ©Sachin Dwivedi🌛 हम होते कौन है ?
हम होते कौन है ?
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