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New कोटाबाग लिखाया Quotes, Status, Photo, Video

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Chandan Singh Bisht

उत्तरणी कोतिक कोटाबाग

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Sumit R Das

मुझसे लिखाया गया है 😣😣😣😣😣😣😣😣😣 #yqdidi #Block #humlikhtehain #Friendship

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हमें जिस का इंतजार कल और आज है
कोई मनाओ उसको वह हमसे नाराज है
कर दिया ब्लाॅक और छोड़ दिया बात है
मुझे लगने लगा यह हिज्र का आगाज है मुझसे लिखाया गया है
😣😣😣😣😣😣😣😣😣
#yqdidi #block #humlikhtehain #friendship

@thewriterVDS

#मेरीदीदी दीदी वही दीदी जो कभी हर वक्त मुझसे पूछा करती थी कहा करती थी सुना करती थी सुनाया करती थी #yqbaba #yqdidi #NAPOWRIMO #congrats

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दीदी
वही दीदी
जो कभी हर वक्त
मुझसे पूछा करती थी
कहा करती थी
सुना करती थी
सुनाया करती थी
पढ़ाया करती थी
समझाया करती थी
लिखाया करती थी
...
आज वो पता नहीं
कैसे
मेरे साथ
50000+ सदस्यों से
हर वक्त पूछती हैं
कहती हैं
सुनती हैं
सुनाती हैं
पढ़ाती हैं
समझाती हैं
लिखवाती हैं

पता नहीं कैसे

Congrats Di
 #मेरीदीदी 
दीदी
वही दीदी
जो कभी हर वक्त
मुझसे पूछा करती थी
कहा करती थी
सुना करती थी
सुनाया करती थी

Shivani Singh

Voicea Nojoto #nojotohindi #Love #Poetry #Voicepoetry #bareilly पढ़ा है, सुना है, जाना है तुमसे.. लिखा है , कहा है, माना है तुमसे.. #NojotoVoicea

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Das Sumit Malhotra Sheetal

शीर्षक :- चौराहे पर। एक नेता जी चौराहे पर ज़बरदस्त भाषण ही दे रहे थे, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे। नेता जी के स्व #कविता #DarkCity

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शीर्षक :- चौराहे पर। 

एक नेता जी चौराहे पर ज़बरदस्त भाषण ही दे रहे थे, 
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे। 

नेता जी के स्वयं चार लड़के व सात लड़कियाँ भी थी, 
सातों लड़कियों को स्वयं ने पढ़ाया लिखाया नहीं था। 

नेता जी की सोच समझ बिल्कुल ही रूढ़िवादी तो थी, 
अपनी बहुओं और बेटियों को पर्दें में रखने की चाह थी। 

लड़कियों के पढ़ाई लिखाई करने के पुरज़ोर विरोधी थे, 
जनता के सामने तो बहुत ही ज़्यादा अच्छा बोल रहे थे। 

कहते वोट पाने के लिए कुछ नेता कुछ भी कर सकते तो, 
पैसों के बल पर राजनीति करके ख़ूब वोट ये खरीदते तो।

©Das Sumit Malhotra Sheetal शीर्षक :- चौराहे पर। 

एक नेता जी चौराहे पर ज़बरदस्त भाषण ही दे रहे थे, 
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे। 

नेता जी के स्व

Divyanshu Pathak

कई दिनों से सुबह सुबह उठते ही यह गीत जाने क्यों ज़ेहन में आता था। मैं गुनगुनाकर अपने कार्यों में लग जाता। आज जब ख़बर सुनी कि #ऋषिकपूर नही रहे #yqbaba #copied #riprishikapoor #पाठकपुराण

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कब कहाँ सब खो गयीं,

जितनी भी थी परछाइयाँ।

उठगयीं यारों की महफ़िल,

हो गयीं तन्हाईयाँ।

क्या किया शायद कोई,

पर्दा गिराया आपने।

दर्दे दिल दर्दे जिगर,

दिल में जगाया आपने।

पहले तो मैं शायर था,

आशिक़ बनाया आपने। कई दिनों से सुबह सुबह उठते ही यह गीत जाने क्यों ज़ेहन में आता था।
मैं गुनगुनाकर अपने कार्यों में लग जाता।
आज जब ख़बर सुनी कि #ऋषिकपूर नही रहे

Ekta Gour

मेरी माँ माँ के लिए जितना लिखा जाये उतना कम हैं हर बच्चो की प्यारी दुलारी माँ कभी हिम्मत ना हारने वाली मुसीबतों का सामना करने वाली कभी न #yqhindi

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मेरी माँ मेरी माँ 
माँ के लिए जितना लिखा जाये उतना कम हैं
हर बच्चो की प्यारी दुलारी माँ

कभी हिम्मत ना हारने वाली 
मुसीबतों का सामना करने वाली

कभी न

Shashi Aswal

क्या तुम उससे प्यार करती हो ? पापा ने मेरी आँखों में देखते हुए पूछा। हाँ, मैंने नजरें नीचे झुकाते हुए कहा। तो तुम ये भी जानती होगी कि मैं ल #yqbaba #yqdidi #yqtales #volatilesoulquotes #कौनगलत

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कौन गलत???
(read in caption) 
क्या तुम उससे प्यार करती हो ? पापा ने मेरी आँखों में देखते हुए पूछा। हाँ, मैंने नजरें नीचे झुकाते हुए कहा। तो तुम ये भी जानती होगी कि मैं ल

Divyanshu Pathak

मां बाप की खुशी के लिये अपनी खुशी त्याग देनी चाहिए थी, पढ़ाया लिखाया पाला और आज बाप की इज्जत को मिट्टी में मिला दिया. सुनो गोबर दिमाग लोगों,

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इश्क़ जब जब भी हुआ है तब फ़िकर  परवाह कैसी
होकर फ़ना हर हाल में आशिक़ मोहब्बत पे रहा !
पाई है मन्ज़िल किसी ने तो ज़हर सब हो गया
आब इज्ज़त के भँवर में वो कहीं तो खो गया ! मां बाप की खुशी के लिये अपनी खुशी त्याग देनी चाहिए थी, 
पढ़ाया लिखाया पाला और आज बाप की इज्जत को मिट्टी में मिला दिया.
सुनो गोबर दिमाग लोगों,

तेजस

आज फिर एकदम से अंतरात्मा चौंका है, पर्यावरण दिवस है भाई, अच्छा मौका है। कुछ करूँ कुछ लिखूँ सुबह से इसमें जुटा था, तभी से जब AC बंद कर के बिस #विचार #पर्यावरणदिवस

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आज फिर एकदम से अंतरात्मा चौंका है,
पर्यावरण दिवस है भाई, अच्छा मौका है।
कुछ करूँ कुछ लिखूँ सुबह से इसमें जुटा था,
तभी से जब AC बंद कर के बिस्तर से उठा था।
मैं भी तो प्रकृति प्रेमी हूँ ख्याल आया,
कुछ लिखने को मैं कलम उठाया।
20-30 पन्ने फाड़ा, कुछ ढंग का नहीं लिखाया,
टिश्यू पेपर से लगातार पसीना सुखाया।
जाने कितने पेड़ों को काट कर ये पेपर बने होंगे,
अंत में 'सेव पेपर सेव इन्वरामेन्ट' भी लिखने होंगे।
लेकिन पसीने का क्या किया जाए,
टिश्यू पेपर के बिना कैसे जिया जाए?
बिना AC के अब रहा नहीं जा रहा है,
पता नहीं कौन ग्लोबल वार्मिंग बढ़ा रहा है।
पर्यावरण दिवस पर लिखने में इतनी समस्या है,
लिखने से मेरा मन अब उकता सा गया है।
सोच रहा स्विमिंग पूल में एक डुबकी लगाने की,
फिर दो लाइन लिखूँगा पानी बचाने की।
चलो लिखना छोड़ के कुछ कर ही लेता हूँ,
जो कचरा जमा है उठा के नदी में बहा देता हूँ।
स्वच्छता में थोड़ा अपना भी योगदान दूँ,
'क्लीन रिवर' पर फिर थोड़ा ज्ञान दूँ।
पर्यावरण को बचाने के लिए क्या इतना नहीं काफी है?
कि मुझमें अभी भी पर्यावरण की बहुत चिंता बाकी है।

©तेजस आज फिर एकदम से अंतरात्मा चौंका है,
पर्यावरण दिवस है भाई, अच्छा मौका है।
कुछ करूँ कुछ लिखूँ सुबह से इसमें जुटा था,
तभी से जब AC बंद कर के बिस
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