Find the Latest Status about लुका छुप्पी सीरियल from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, लुका छुप्पी सीरियल.
Arora PR
लुका छुपी के खेलो का आनन्द तुम बच्पन और जवानी मे पूरा लें चुके हो लेकिन उम्रदराज़ होते ही तुम्हे उन खेलो क़ो पूरी तरह से बन्द करना पड़ेगा इस संसार रूपी सराय मे तुम पहले भी कई बार दाखिला लें चुके हो चार दिन आराम से रहलो. फिर तो तुम्हे तम्बू अपना उखाड़ना ही पड़ेगा ©Arora PR लुका छुपी
Arora PR
लुका छुपी के खेलो का आनन्द तुम बच्पन और जवानी मे पूरा लें चुके हो लेकिन उम्रदराज़ होते ही तुम्हे उन खेलो क़ो पूरी तरह से बन्द करना पड़ेगा इस संसार रूपी सराय मे तुम पहले भी कई बार दाखिला लें चुके हो चार दिन आराम से रहलो. फिर तो तुम्हे तम्बू अपना उखाड़ना ही पड़ेगा ©Arora PR i लुका छुपी
Neena Jha
ज्वार-भाटा वो इश्क़ की लुका छुपी बहुत हुई, सहसा ठहर जाती है धड़कन, तुझे न पाकर कहीं, माना लहरों की साहिल से तकरार ज़रूरी है, मग़र है सूरज चाँद के बग़ैर ये मोहब्बत अधूरी, साँझ सकारे तू मौजूद है पल-पल के सफ़र में, इस बात को यूँ ही हल्के में न लेना कहीं, हाथों का हाथों को थामना, चादर पर तेरी सिलवटें, ख़्वाबों में मौजूदगी मेरी, देती हकीक़त में रोज़ गवाही, लहर तुझमें उठती है तो क्या, मेरी पलकों पर एक नज़र तो डाल, न हर ज्वार भाटा थाम ले ये अंदाज़, तो बात रही! नीना झा संजोगिनी ©Neena Jha #Chhavi #Neverendingoverthinking #नीना_झा #जय_श्री_नारायण #संजोगिनी जय माँ शारदे 🙏 विषय... ज्वार-भाटा वो इश्क़ की लुका छुपी बहुत हुई, सहस
राजेन्द्र सनातनी
_Ram_Laxman_
नान पन के सुरता,,,😁🤞🏻 संगवारी हो,,,, जब दाई बाबू मन हा पहली धान मींजे बर, दऊंरी फांदे ना ता बेलन गाड़ी अऊ बईला के संग मा हमन हा पाछु पाछू उलान बादी अड़बड़ खावत रहेंन । अऊ कहुं लुका छुपई खेलना राहय ता धान के पैरा मा लुकावत रहेंन। फेर मजा तब आवय संगवारी, जब हमन हा घाम पियास मा खेलन अऊ धूर्रा माटी मा सनाय राहन ता, ओ समय हमर मन बर न निरमा लगे न साबुन, सिधा तरिया मा जाके जुच्छा पानी भर मा नहावत रहेंन । फेर अऊ जब हमन ला कहूं कोनो डहर जाना राहय ना, ता चाहे ओह कतनो दूरिहा राहय ओ डहर ले हमन चार पांच झन संगवारी अइसने घूम फिर के आवत रहेंन । अऊ हमन हा नान - नान रहे हन ता हमन एकदम ना समझ रहे हन यार,,,, तभे तो जब बाजा बजाय के मन करय ता तेल टिपा ला डंडा धर के बजावत रहेंन । अऊ का बतावव संगवारी....! नान पन के गोठ हा तो सबके अड़बड़ निराला रहिथे । वइसने हमरो मन के निराला रहिस हे..! काबर कि हमर मन के नान नान हाथ गोड़ राहय अऊ बड़े बड़े आमा अमली के पेड़ मन राहय, ता बस खाना राहय ता आमा खाय बर एक के ऊपर एक के कंधा मा चढ़के कच्चा पक्का आमा टोर के सुघ्घर बईठ के छईहां मा खावत रहेंन । अऊ संगवारी जब हमन ला स्कूल हो या आंगन बाढ़ी, जाना राहय ता ना..ओ समय पहली बेग वेग कुछू नई राहय ता बस कलम अऊ पट्टी ला झोला मा डार के आँगन बाढ़ी अऊ स्कूल हलावत जावत रहेंन । फेर अऊ संगवारी,,,😎 जब हमन हा नान कुन राहन ता जम्मों चीज मन के मजा ला पावत रहेंन । फेर अब संगवारी उही दिन, उही रात अऊ उही जगह मन के अड़बड़ सुरता आथे यार...☹️ फेर कास,,,, अऊ हमन ला हमर नान पन मिल पातिस संगी..! ता अऊ हमन ला दुबारा खेले कूदे के मौका मिलथिस..। लेकिन अइसे नई हो सकय यार,,, तेखरे सेतिक अपन नान पन के सुरता ला कभू कभू रतिहा म लमावत रहिथन यार..😐 ©_Ram_Laxman_ नान पन के सुरता,,,😁🤞🏻 संगवारी हो,,,, जब दाई बाबू मन हा पहली धान मींजे बर, दऊंरी फांदे ना ता बेलन गाड़ी अऊ बईला के संग मा हमन हा पाछु पाछू उ
_Ram_Laxman_
नान पन के सुरता,,,😁🤞🏻 संगवारी हो,,,, जब दाई बाबू मन हा पहली धान मींजे बर, दऊंरी फांदे ना ता बेलन गाड़ी अऊ बईला के संग मा हमन हा पाछु पाछू उलान बादी अड़बड़ खावत रहेंन । अऊ कहुं लुका छुपई खेलना राहय ता धान के पैरा मा लुकावत रहेंन। फेर मजा तब आवय संगवारी, जब हमन हा घाम पियास मा खेलन अऊ धूर्रा माटी मा सनाय राहन ता, ओ समय हमर मन बर न निरमा लगे न साबुन, सिधा तरिया मा जाके जुच्छा पानी भर मा नहावत रहेंन । फेर अऊ जब हमन ला कहूं कोनो डहर जाना राहय ना, ता चाहे ओह कतनो दूरिहा राहय ओ डहर ले हमन चार पांच झन संगवारी अइसने घूम फिर के आवत रहेंन । अऊ हमन हा नान - नान रहे हन ता हमन एकदम ना समझ रहे हन यार,,,, तभे तो जब बाजा बजाय के मन करय ता तेल टिपा ला डंडा धर के बजावत रहेंन । अऊ का बतावव संगवारी....! नान पन के गोठ हा तो सबके अड़बड़ निराला रहिथे । वइसने हमरो मन के निराला रहिस हे..! काबर कि हमर मन के नान नान हाथ गोड़ राहय अऊ बड़े बड़े आमा अमली के पेड़, ता बस खाना राहय ता आमा खाय बर एक के ऊपर एक के कंधा मा चढ़के कच्चा पक्का आमा टोर के सुघ्घर खावत रहेंन । अऊ संगवारी जब हमन ला स्कूल हो या आंगन बाढ़ी, जाना राहय ता ना..ओ समय पहली बेग वेग कुछू नई राहय ता बस कलम अऊ पट्टी ला झोला मा डार के आँगन बाढ़ी अऊ स्कूल हलावत जावत रहेंन । फेर अऊ काला बतावंव संगवारी,,,😎 जब हमन हा नान कुन राहन ता जम्मों चीज मन के मजा ला पावत रहेंन । फेर अब संगवारी उही दिन, उही रात अऊ उही जगह मन के अड़बड़ सुरता आथे यार...☹️ फेर कास,,,, अऊ हमन ला हमर नान पन मिल पातिस संगी..! ता अऊ हमन ला दुबारा खेले कूदे के मौका मिलथिस..। लेकिन अइसे नई हो सकय यार,,, तेखरे सेतिक अपन नान पन के सुरता ला कभू कभू रतिहा म लमावत रहिथन यार..। ©_Ram_Laxman_ हमर नान पन के सुरता,,,😁🤞🏻 संगवारी हो,,,, जब दाई बाबू मन हा पहली धान मींजे बर, दऊंरी फांदे ना ता बेलन गाड़ी अऊ बईला के संग मा हमन हा पाछु पा
Vijayjay Vijayjay
अर्जी किया है मांगा था गुलाब मिला है धतूरा मांगा था गुलाब मिला है धतूरा पिताजी ने मारी है चप्पल और प्यार हुआ पूरा ©Vijayjay Vijayjay #Sitaare शायरी गजल दिल की बात रियल देसी सीरियल
Abhishek 'रैबारि' Gairola
थोड़ा कुछ कुछ लिखता हूँ जिसमें से बहुत कुछ बकवास है, शायद, लगभग सब कुछ ही। इस कबाड़ में कभी कभी, एक दो शब्दों का समूह भीड़ से कुछ अलग, कुछ अप्रत्यक्षता से परिपूर्ण, वही लुका रहता हैं। हालांकि ये हीरे तो नही हैं जो एक चटक चमक छोड़ अपने अस्तित्व का परिचय दें परंतु इतने गोधुले भी नहीं कि ढूंढने से मिले भी नहीं। थोड़े भाग्य, कुछ अन्वेषण से शायद इनका साक्षात्कार हो जाये। अधिक कुछ नहीं तो गुम होने से बच जाएंगे, नहीं तो थोड़ा बहुत ही भार रखते हैं सृष्टि पे ये, उसी में धूल जाएंगे। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola #Sawera थोड़ा कुछ कुछ लिखता हूँ जिसमें से बहुत कुछ बकवास है, शायद, लगभग सब कुछ ही। इस कबाड़ में कभी कभी, एक दो शब्दों का समूह भीड़ से कुछ
Vedantika
(देखा एक ख़्वाब तो…) सुरभि और संजय बरसात के मौसम में अपनी कार में लॉन्ग ड्राइव पर निकले थे। बाहर हल्की बूंदाबांदी हो रही थी जिसकी छींटों से कार के शीशे भीग गए थे। सुरभि ने अपनी ओर की खिड़की का शीशा थोड़ा सा नीचा किया और हाथ बाहर निकाल कर उंगलियों से शीशे पर तरह तरह के चित्र एक गीत गाते हुए बनाने लगी। संजय ने उसे ऐसा करने से रोका नहीं क्योंकि सुरभि बहुत दिनों बाद खुश लग रही थी। वो अभी कुछ दूर ही गए थे कि एक तेज आवाज के साथ गाड़ी रुक गई। सुरभि को यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आई। उसने संजय से पूछा- “क्या हुआ संजय, आपने कार क्यो रोक दी? सुरभि की बात सुनकर संजय ने हँसते हुए कहा- “मैंने कार नहीं रोकी डियर, लगता हैं, कार को भी तुम्हारे ये अजीब कारनामे पसंद नहीं आए।” यह सुनकर सुरभि ने संजय की और देखा और मुस्कुराने लगी। वे दोनों कार से नीचे उतरे और संजय ने कार की खराबी देखने के लिए डिक्की खोल दी। काफी देर
Nisha Bharti Jha
काश बचपन दोबारा आ जाता! बचपन में जो काग़ज़ की कश्ती बनाई थी, काश वो दोबारा बना पाते वो जो दोस्तों के साथ स्कूल में डाट खाई थी, काश वो डाट दोबारा सुन पाते वो बचपन