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नित्यानंद गुप्ता
प्रतिकूलताओं को हटाने व अनुकूलताओं को पाने में लगे ऐ मानवी मन! तू अपनी डिग्रियां पाने, धन इकट्ठा करने, आलीशान मकान बनाकर बाहर से रस पाने की अंतहीन दौड़ को छोड़कर; इसका सौंवा हिस्सा भी प्रभु का सहज, सुलभ व अत्यंत मधुर रस पाने में लगा दे तो तेरी मनमानी भागदौड़ का अंत आ जाए। #बापूजी
Dev Thakur9758
बात बात पर मुझे मेरी गलतियां गिनाने लगा है..... जबसे मेरा बेटा अब कमाने लगा है...... #बापूजी
नित्यानंद गुप्ता
ज्ञान की ज्योति जगने दो। इस शरीर की ममता को टूटने दो। शरीर की ममता टूटेगी तो अन्य नाते रिश्ते सब भीतर से ढीले हो जायेंगे। अहंता ममता टूटने पर तुम्हारा व्यवहार प्रभु का व्यवहार हो जाएगा। तुम्हारा बोलना प्रभु का बोलना हो जाएगा। तुम्हारा देखना प्रभु का देखना हो जाएगा। #Bapuji #बापूजी
कॅरियर काउंसलर सोनबोइर केजू राम
पूज्य बापूजी को नमन गांधी विचार यात्रा
नित्यानंद गुप्ता
वासना रहित चित्त में ही शान्ति का अनुभव सम्भव है। भगवान शान्त हैं पर उनके भक्त प्रशान्त हैं। भक्त जितेंद्रिय है इसलिए इन्द्रिय सुख की कामनाओं से रहित है और यह अप्राप्त होने पर उन्हें क्रोध नहीं आता। भक्त अपने योग और क्षेम के लिए निश्चिन्त रहता है। -पूज्य बापूजी #पूज्य #बापूजी
राज घोष
बहुत उन्माद का समय है मेरे दोस्त कुछ किताबें पढ़ना और ईश्वर को याद करना वैसे नहीं जैसे सरकारें और उनके हरकारे कर रहे हैं एक मुहल्ले के दादा की तरह नहीं एक मित्र की तरह कुछ सिनेमा देखना और रुलाइयों को याद करना कैमरा पा कर फूटने वाली नहीं वे जो कैमरा देख सकपका कर चुप होने लगती हैं और प्रॉडक्ट-सेल्समैन के बीच फैले बाज़ार के कल्लोल को निस्पृह भाव से देखती रहती हैं चेहरों को किनारे से ज़रा-सा खुरचना और पहचान कर वापिस चिप्पी लगा देना कुछ अच्छा संगीत ना और उनमें बहते यूटोपिया पर सूखी हँसी हँसना थोड़ी-थोड़ी बात करना डरना बहुत-बहुत लेकिन ज़ाहिर कम करना सीखना उस दिसंबर बच गए लोगों से और इस जनवरी वैसे ही बचे रहना खूब अश्लील चुटकुले सोचना और मुझे सुनाना तुम फरवरी में मुझसे मिलना। ©राज घोष मित्र को पत्र
Ansari
दिन में। घर की जिम्मेदारिया😌 सोने नहीं और रात को मेरी अधूरी ❣️ मोहब्बत 🥀🥀🥀 ©Ansari उसामा अंसारी प्रधानमंत्री को पत्र या फिर किसी को पत्र ब्रश
Shivraj Solanki
प्रिय मौत मंजिल तो तुम ही थे मेरी पता नही क्या पाने को दौड़ रहा था । तुम बिना सकून नही मैं तो जॉब पाकर खुश हो जाऊंगा सोच रहा था पर जब जॉब मिली तो ना जाने कितनी समस्या बढ़ गई, सच में तुम्हारे बिना किसी को भी कही भी सकून नही मिल सकता इस जिंदगी से तो मौत बेहतर होगी उसके बाद किसी बेहतर की तलाश ना होगी दि ल टूटा आशिक ©Manshiv khatik मौत को पत्र #Memories
जगदीश निराला
आदरणीय राष्ट्रपति जी, आप पूरे राष्ट्र के पति हैं. एक पति का धर्म होता है. पूरे परिवार को संतुष्ट रखे. उसके बच्चे रोजगार को ना तरसे परिजन भूखें ना सोऐं। परिवार को कोई आतंकवादी न डराऐं ना कोई दग़ाबाज़ छल पाऐं। परिवार भी तभी संघटित रहता है परिवार का स्वामी जब अपनों का ख़याल अच्छी तरहां रखता हे तो परिजनो को भी गर्व होता है अपने पिता या पति पर। पूरा राष्ट्र आपमें श्रद्धानत् हे अब आप ही देखे. परिजनों का भला बुरा । मेने पत्र लिखा हे.बुरा ना माने आपका एक नागरिक राष्ट्रपति जी को पत्र
Manak Suthar
अदिक रही राहों को अपना हाल लिख रहा हूं .... हकीकत को कल्पना के सूखे पन्नों पर रंग रहा हूं ... ना जाने और कितनी बड़ी है .....ये रात टिमटिमाते तारों से सुनहरे ख्वाब बुन रहा हूं .... इमरजेंसी वार्ड जैसी जिंदगी में .. इंतज़ार ..... इंतज़ार .....और बस इंतजार लिख रहा हूं चमकीली आंखों को इक आस लिख रहा हूं ..... तेरा मंजर बड़ा खुशनुमा होगा ......तब तक तेरा साहस लिख रहा हूं .... उलझन भरी इस बात को ......इक सूझाव लिख रहा हूं ... मंजिल के मुसाफिर को ...इक कदम और लिख रहा हूं ... ....की होगी सुबह मस्तानी तेरी .....तब तक विश्वास लिख रहा हूं ..... हकीकत है ....कल्पना से जजबात लिख रहा हूं ... मंज़िल के मुसाफिर को एक कदम और लिख रहा हूं ..... manak suthar ✍️ खुद को इक पत्र ......