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Shayar.ix
ये मैथमेटिक्स, केमिस्ट्री, हिस्ट्री, रीजनिंग सब समझ आ जाती है, मगर तुम... 🥀❤️🔥 . ©Shayar.Nix ये मैथमेटिक्स, केमिस्ट्री, हिस्ट्री, रीजनिंग सब समझ आ जाती है, मगर तुम... 🥀❤️🔥#SAD #sad_feeling #शायरी #शायरी #shayari Laxmi Singh Vish
Vedantika
प्रेम पत्र अधूरी मोहब्बत के नाम प्रिय……… आज बाज़ार में दस साल बाद तुम्हें फिर से देखा तो लगा कि जैसे कॉलेज का वो दिन अभी कल ही गुज़रा हो जब तुम मुझसे यूँ ही टकरा गई थी। इसस
Kulbhushan Arora
झूठ, अहम और मैं और ,*ईश्वर* Dedicated to Sir AVR Krishnan ji मुझे पढ़नी थी psychology पढ़नी पड़ी Pharma एक तो वैसे ही पढ़ाई में mediocre उपर से मनपसंद का subject नहीं।
Mahima Jain
टीम 'E' एक किताब जो हमें पसंद है और एक जो नहीं है। (पढ़िए अनुशीर्षक में) Day 8 Team "E" एक किताब जो हमें पसंद है और एक जो नहीं है। मेंबर :- Khushbu Rawal Khushi किताबें तो बहुत सी पढ़ी है वो ही जीवन जीने की अहम
Anindya Dey
.. मौज़ु ए हालात से समझ तजुर्बे जोड़ती रही, कमसकम ज़रूरी हो ज़्यादा तो ज़्यादती ही रही.. .. उस्ताद की तालीम हालात से ज़हीन हो रहीं, तय निसाब के हर पहलू में बसीरत बेशुमार रहीं.. .. एहसान मंद हैं के शुक्रगुज़ार ये उलझन रही, भरपूर पे तसल्ली आते से रुख़सत की घड़ी रही.. .. 🌱खुशामदीद..💞 निसाब माने, पाठ्यक्रम, अंग्रेज़ी में सिलेबस/ syllabus. बसीरत माने, अनुभूति, अंग्रेज़ी में इनसाइट/insight.
BIKASH RANJAN
याद आते हैं वह पल 2। इम्तिहान याद आता हे वह गलियां , चौबारे जहाँ बने थे दोस्ती हजारे वह सुबह शुरू होता था पानी भरे चाय की कप से खतम होते थे रात की बाकी रहा नींद में। कित
BIKASH RANJAN
याद आते हैं वह पल 2। इम्तिहान याद आता हे वह गलियां , चौबारे जहाँ बने थे दोस्ती हजारे वह सुबह शुरू होता था पानी भरे चाय की कप से खतम होते थे रात की बाकी रहा नींद में। कित
alex akash
Read the caption...👇 दिन सोता है रातें जागती है, इस शहर की भी अजी़ब आवाजाही है, लोग घंटों ताकते है रास्ता ऐसी ख़ुद्दारी है, कोई घर से दूर है तो कोई शहर पराया, आ
Divyanshu Pathak
सिलेबस के बोझतले दबचला बचपन का जोश। ना वो तिफ़्ली रही न है बाक़ी तिफ़्लाना ख़रोश। खेलने और खाने के दिन अब किसी के पास हैं! बोलो तो बताओ मुझे इस बात का है क्या होश? ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "तिफ़्ली" "tiflii" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है बाल्यकाल, बाल्यावस्था, लड़कपन एवं
Divyanshu Pathak
शब्द रूप रस गंध और स्पर्श अब इनका प्रभाव चरम पर है ! चेतना का स्तर अहंकार ग्रस्त अब मन में तनाव चरम पर है ! मुझे कुछ भी पता नही अपने ठौर का मैं युवा हूँ भई इस आज के दौर का ! देश दुनिया गीत मीत संगीत सब है जब तक कि पत्थर फ़िके ना औऱ का ! 💕☕☕🍫😊🙏🍵☕☕ : मैं स्वयं से इतर कुछ देख नही पाता हूँ तर्क वितर्क की उलझनों में फंस जाता हूँ ! इनसे निकलने का रास्ता नहीं मिलता मैं स्वयं ही स्व