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Faizan Ansari
कहाँ ज़ुल्फ़ अपनी बिखरा कर जारही हो क्या राज़ है जो हमसे छुपा कर जारही हो किसतरह रोक पाएंगे इन तेज़ हवाओं को बिना इजाज़त के चराग जला कर जारही हो शाह फैज़ अलीगढ़ //diksha// Anshika Gangwar Suman Zaniyan Maha Khan Shikha Verma
kr.A.Raut
Satya Verma
सुनहरी कोयल गीत गा गा कर रोती पीड़ा वह सिसक सिसक के करती गिरते आंखों से सुनहरे मोती वेदना से हृदय को धोती मन का हाल रो रो के सुनाती अपनी पीड़ा को वह बतलाती समझता ना कोई उसकी भाषा सब सुनते उसकी मधुर भाषा खो गया था उसका बच्चा था अकेला घोंसले में पड़ा कोयल चली गई थी डाल से दाना लाने कहीं प्यार से आने में हो गया था उसको शाम देखा तो खो चुका था उसका लाल रो रो के वह सब दुख सुनाती बच्चे के बिना कोयल जी ना पाती था मुन्ना अभी उसका मासूम सिखा ना था वह उड़ने का वसूल भय था कोयल को बच्चा खो ना जाए मां का हृदय प्रभु को पुकार लगाएं विनती करती प्रभु से हाथ जोड़ जाड़े का मौसम है लगे ना उसको चोट बीत चुका था आज कितने हफ्तों मुन्ना होगा कहां प्रभु आज तुम ढूंढो थक गया है मेरा हृदय आज प्राण से पीड़ा निकलती लाख इतने में कहीं से आवाज आई सूरज की किरणों से लाली आई चीं चीं करती मुन्ना उड़ता आया मां के पंखों में चलकर लिटाया चूमा मां ने लाखों बार उसे रोती रही मैं लाल खो के तुझे पूछा कहां चला गया था तू मैं मर जाती मेरा प्राण है तू मां तेरे जाने के बाद शाम हो गई मैं अकेला तुझे खोजने तू कहां गई समझ ना पाया रास्ता मैं तुझे खोजते खोजते रात हो गई भूल गया था मैं कहीं अकेले खोजता था तुझे हर सवेरे आज मैं मां उड़ना सीख गया अपने कदमों पर चलना सीख गया सत्या वर्मा © Satya Verma Shobhit Kumar gudiya writer Cs Thakur Shushma Verma Anshika Seth
Satya Verma
आज़ादी का तिरंगा फहरा था जब जगत में आजादी का तिरंगा मुक्त हुआ था हृदय का हर एक जैसे कोना बिछा था चारों ओर एक ही अंधियारा वर्षों बाद हुआ था जो उजियारा कर दिए जो काम महान आत्माओं ने हो गई वह इतिहास कहीं दफ़न पन्नों में चल पड़ा है फिर से वही दौर बंदिशों का हो रहा जख्मी हृदय कहीं हर इंसानों का फूलों सा चमकता मुखड़ा खौफ से भर गया है आज हर दरिंदा सरेआम घूम रहा है है प्रसंग बड़ी ही कष्टदायक जग में हो रहा आत्मदाह हर एक घर में बन रहा है बंजर हरा भरा आंगन खत्म होती जा रही है खुशियों की आंचल लुप्त हो रहा है खुशियों का हर एक रंग मिट गई है कहीं जिंदगी से प्रेम की रंग तन पे लग रहा है खौफनाक सा ज़ख्म नहीं मिल रहा है जिंदगी को आजादी का जश्न नया जमाना सुनने का बस नाम रहा है हर हदय में जख्म का दर्द झलक रहा है चाहिए हमें आजादी जिंदगी को जीने की नहीं हो कोई बंदिशें हमारी बेटियों को जीने की बंधे ना हो पांव में बेड़ियां जंजीरों के खुली आसमां को चूमती रहे बेटियां जमी से हो रौनक हर आंगन में जन्मी बेटी से रंग हवा में उड़ता रहे सदा बेटी के होने से आज़ादी आज कि हम खुलकर मनाए जग में तिरंगा हम फहराए सारे ही हृदय के आंगन में सत्या वर्मा © Satya Verma #India2021 Shobhit Kumar gudiya writer Cs Thakur Shushma Verma Anshika Seth
DEEPAK TOMAR
Sachin Singh pσєt
इंसान।किसी को टूट कर।चाहता है फिर। एक दिन। खुद टूट जाता। है।💔 #Night Aman Verma Syed Danish Abdi Sofia Gupta Anshika Gangwar kirti Raj
Er. Ashish Kumar Sharma
उसे वो नहीं चाहिए जो उसका है उसे वो चाहिए जो उसका नहीं है ©Er. Ashish Kumar Sharma Anshika Patel RAHUL Nitin GUPTA kiran kee kalam se Rashmika Verma #Bewafa
anshika dwivedi
yaar sbki yaad bahut aati hai. tera vo scooti pe baithna, bina man ke mere liye hindi padna,. vo last sset pe kabza karna,. happy singh se lad jaane ka jazba rakhna,. vo do choti mei school aana,. 150 clip ke liye madam se daat khana,aur besabri se madam ke attitude aa gaya hai ka kahna k khana ,. anshika
anshika dwivedi
vo befizool ke bio mei sawal poochna,. marks ke liye baagha sir ko naam yaad dilana,. aur bina man ke 2 ghante jaggu bhai ke bell mei baithna ,. yaad aata hai ,. vo utra hua chara dekh ke shivani mam ma haal puchna ,. aur free bell mei bhi library , se nikal diya jana,. anshika