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Vinni Gharami
ज़न्नत मंदिर-मस्जिद,काबा काशी जन्नत ढूंढे यहां वहां... माँ के आचल में सिमटाकर जो हर बार बच्चा बना दे ऐसा जन्नत दुजा कहाँ। Nitish Sagar neet राहुल सिंह आयु
Mast Veer Mandare
badboli billi B रिश्ता कई लोगों से होता है, पर कोई दिल से निभाता है, तो कोई नफरत से निभाता है… #NojotoQuote रणवीर veercopyrite
Shiv Shankar Yadav
रणवीर एंड दीपिका ©Shiv Shankar Yadav रणवीर एंड दीपिका
Vinni Gharami
मेरे जन्म के साथ शुरू हुई पहले प्यार की ये कहानी, पापा ने सीने से लगाकर कहा I love you गुड़िया रानी।। तू ही मेरी जिंदगानी, मेरे मुहब्बत की है पहली निशानी।। पापा तुम्हारे बिना जीवन व्यर्थ लगता है, तुम्हारा यह निस्वार्थ प्रेम प्रतिदिन मुझमें नई ऊर्जा भरता है।। जिसे मूछों पर ताव देकर शान से चलते देखा है, सब कहते हैं बचपन में उन्हें मेरा घोड़ा बनते देखा है।। माना माँ ने मुझको संसार दिखाया था, किंतु तुमने गिरकर उठना उठकर चलना सिखाया था।। कौन कहता हैं कि सच्चे प्यार के किस्से नहीं होते हैं, किसी बेटी से पुछो लड़की का पहला प्यार उनके पिता ही होते हैं।। कृष्ण जैसा चंचल नहीं ना राम जैसी सादगी चाहिए, जिसमें तुम्हारा प्रतिबिंब दिखें पापा मुझे बस ऐसा त्यागी चाहिए।। धन दौलत मोटर गाड़ी नहीं, मुझे बस मेरे पहले प्यार जैसा अंतिम प्रेमी चाहिए। #mera_phla_pyar Nitish Sagar Madhavi Choudhary Darpana Singh Deepika Dubey राहुल सिंह आयु
guru
नफरतों के दौर में भी साहब , प्रेम ही है जो सबको बाँधे हुए है ! ©Naval Singh Patel एक दूजे के हुए आलिया रणवीर... #Wedding
AaYu
खुली आसमां के नीचे बैठ पूरी दुनिया को अपना लेना, अगर फिर भी तुझे मेरी याद आए तो मुझे भी अपने पास बुला लेना..!! #प्यार #याद #आयु
AaYu
हम हौसला यूंही हारा नहीं करते, हम मुश्किलों से भागा नहीं करते, हम वो है जो हर पल खुद को तैयार करते है। #आयु #हौसला #ज़िन्दगी
वेदों की दिशा
।। ॐ ।। त्रायुषं जमद्गने: कश्यपस्य त्रायुषं । यददेवेषु त्रायुषं तन्नोअस्तु त्रायुषं । पद पाठ त्र्या॒यु॒षमिति॑ त्रिऽआयु॒षम्। ज॒मद॑ग्नेरिति॑ ज॒मत्ऽअ॑ग्नेः। क॒श्यप॑स्य। त्र्या॒यु॒षमिति॑ त्रिऽआयु॒षम्। यत्। दे॒वेषु॑। त्र्या॒यु॒षमिति॑ त्रिऽआयु॒षम्। तत्। नः॒। अ॒स्तु॒। त्र्या॒यु॒षमिति॑ त्रिऽआयु॒षम् ॥ है जगदीश्वर ! आपकी कृपा से जैसे विद्वान लोग विद्या धर्म और परोपकार के अनुष्ठान से आनंदपूर्वक तीनसौ वर्ष पर्यंत आयु को भोगते हैं , वैसे ही तीन प्रकार के ताप से शरीर,मन, बुद्धि,चित्त ,अहंकाररूप अंत:करण इन्द्रिय और प्राण आदि को सुख करने वाले विद्या विज्ञान सहित आयु को हम लोग प्राप्त होकर तीनसौ वा चारसौ वर्ष पर्यंत सुखपूर्वक भोगें ।। Jagadishwar! By your grace, as scholars enjoy the rituals of learning, religion and philanthropy, for the age of three to seven years, in the same way, the three types of heat, body, mind, intellect, mind, egoism, inner senses and soul, etc. We will get the age including science and enjoy it happily till the age of three or four years. ( यजुर्वेद ३.६२ ) #यजुर्वेद #वेद #आयु