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Er.Atul Kumar Gupta

HARSH369

#Morning कि तरह व्यापार #विचार

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Himanshu Prajapati

#SunSet मुद्दतें लाख बुरा चाहे तो क्या होगा, पहले प्यार फिर व्यापार अंत में धोखा होगा..! #विचार

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मुद्दतें लाख बुरा चाहे तो क्या होगा,
पहले प्यार फिर व्यापार
अंत में धोखा होगा..!

©Himanshu Prajapati #SunSet मुद्दतें लाख बुरा चाहे तो क्या होगा,
पहले प्यार फिर व्यापार
अंत में धोखा होगा..!

Himanshu Prajapati

#oddone अपनी चुपडी-चपटी बातों से कईयों को हंसा रखा है, कईयों के साथ सपनों का घर बसा रखा है, यह उसका प्यारे पैसा व्यापार है, वह एक बाज है #विचार

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अपनी चुपडी-चपटी बातों से 
कईयों को हंसा रखा है,
 कईयों के साथ 
सपनों का घर बसा रखा है,
यह उसका प्यारे पैसा व्यापार है,
वह एक बाज है जिसने 
कई कबूतर फंसा रखें हैं..!

©Himanshu Prajapati #oddone अपनी चुपडी-चपटी बातों से 
कईयों को हंसा रखा है,
 कईयों के साथ 
सपनों का घर बसा रखा है,
यह उसका प्यारे पैसा व्यापार है,
वह एक बाज है

Niaz (Harf)

रमज़ान की है खुशी , और होली की है मिठास। कहा मिलेगा तुमको ऐसा समाज। मोहब्बत के रंग से दोनो मिल जाए, तू मुझपे केसरी रंग डाले, मैं हरा गुलाल स #शायरी #नोजोटो #NojotoFilms #hunarbaaz #Niaz #काव्यार्पण

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Himanshu Prajapati

#holikadahan जला दो हर बार की तरह इस बार भी लकड़ियों का गठ्ठल आग में, देकर नाम फिर से त्योहार का, फिर से शुरू हो जाएगा कल से वही सिलसिला दिख #विचार

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जला दो हर बार की तरह इस बार भी
लकड़ियों का गठ्ठल आग में,
देकर नाम फिर से त्योहार का,
फिर से शुरू हो जाएगा कल से वही सिलसिला
दिखावे प्यार का, मतलब व्यवहार का,
जलन अंदर से, बाहर जुबान पे यार का,
दूसरों की बुराई,‌ दो नम्बर व्यापार का,
एक एक ने मिलकर बिगाड़ा है 
सुंदरता इस संसार का..!









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©Himanshu Prajapati #holikadahan जला दो हर बार की तरह इस बार भी
लकड़ियों का गठ्ठल आग में,
देकर नाम फिर से त्योहार का,
फिर से शुरू हो जाएगा कल से वही सिलसिला
दिख

Vikrant Rajliwal Show

देह व्यापार : मीरा और रेशमा (दिल और अंतरात्मा तक को झंझोर देनी वाली कहानी) #JisamFaroshi #InnerStrength अभी सूने पूरी story सिर्फ "VIKRANT #शायरी #newstory #VikranRajliwal #JishamFaroshi

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Vikrant Rajliwal Show

देह व्यापार : मीरा और रेशमा (दिल और अंतरात्मा तक को झंझोर देनी वाली कहानी) #JisamFaroshi #InnerStrength अभी सूने पूरी story सिर्फ "VIKRANT #शायरी #newstory #VikranRajliwal #JishamFaroshi

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले ,  होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक , #कविता

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White गीत :-
मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार ।
देख रहा हूँ गली मुहल्ले ,  होता खूब प्रचार ।।
मानव सेवा करने को अब...

हम आज तुम्हारे शुभचिंतक , करो न हमसे बैर ।
सबको हृदय बसाकर रखता , कहीं न कोई गैर ।।
पाँच-साल में जब भी मौका, मिलता आता द्वार ।
खोल हृदय के पट दिखलाता , तुमको अपना प्यार ।।
मानव सेवा करने को अब ...

देखो ढ़ोंगी और लालची , उतरे हैं मैदान ।
उनकी मीठी बातों में अब , आना मत इंसान ।।
मुझको कहकर भला बुरा वह , लेंगें तुमको जीत ।
पर उनकी बातें मत सुनना, होगी तेरी हार ।
मानव सेवा करने को अब.....

सब ही ऐसा कहकर जाते , किसकी माने बात ।
सच कहते हो कैसे मानूँ , नहीं करोगे घात ।।
अब जागरूक है ये जनता ,ये तेरा व्यापार ।
अपनों को तो भूल गये हो , हमे दिखाओ प्यार ।।
मानव सेवा करने को अब ....

सच्ची-सच्ची बात बताओ , इस दौलत का राज ।
मुश्किल हमको रोटी होती , सफल तुम्हारे काज ।।
सम्पत्तिन तुम्हारे पिता की, और नहीं व्यापार ।
हमकों मीठी बात बताकर , लूटो देश हमार ।
मानव सेवा करने को अब.....

मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार ।
देख रहा हूँ गली मुहल्ले ,  होता खूब प्रचार ।।

२०/०४/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार ।

देख रहा हूँ गली मुहल्ले ,  होता खूब प्रचार ।।

मानव सेवा करने को अब...


हम आज तुम्हारे शुभचिंतक ,

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल:- ज़िन्दगी की मुश्किलें वे ज़िन्दगी में रह गई  । मौत आकर देख लो सबसे यही तो कह गई ।। प्रेम करना है अगर तो राम का बस नाम लो । इस जहाँ की प #शायरी

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ग़ज़ल:-
ज़िन्दगी की मुश्किलें वे ज़िन्दगी में रह गई  ।
मौत आकर देख लो सबसे यही तो कह गई ।।

प्रेम करना है अगर तो राम का बस नाम लो ।
इस जहाँ की प्रीति तो अब आसुओं में बह गई ।।

कल तलक जो थी मदद अब तो वही व्यापार है ।
स्वार्थ के इस दौर में वो भी दीवारें ढह गई ।।

देखता हूँ मैं यहाँ बूढ़े कभी माँ बाप जो ।
मान लेता देवियाँ औलाद का दुख सह गई ।।

दिख रहे थे सब मुझे दुर्बल इसी संसार में ।
एक ये दुर्लभ प्रखर था  देख लो वो पह गई ।।
३०/०३/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल:-
ज़िन्दगी की मुश्किलें वे ज़िन्दगी में रह गई  ।
मौत आकर देख लो सबसे यही तो कह गई ।।

प्रेम करना है अगर तो राम का बस नाम लो ।
इस जहाँ की प
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