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Parasram Arora
White प्रतिदिन अख़बार क़ी खबरें.पढ़ कर कितना सुकून मिलता था मुझे लेकिन आज मै खुद एक खबर बन कर रह गया हूँ और मजे क़ी बातये कि मुझे सारी दुनिया पढ़ रहीं है ©Parasram Arora खबर
खबर
read moreBhupendra Uikey
बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में 🌺👰 ©Bhupendra Uikey बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में
बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में
read moreMď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."]
White ✍️["बरसों की तन्हाई"]✍️ "आज मैं उस शख़्स से मिला, जिससे मिलने की बचपन से ख़्वाहिश थी। बातें हुईं कुछ यूँ कि लगा, जैसे बरसों की तन्हाई थी।" 💕💕 💕💕 💕💕 ✍️["चाँदनी की आरज़ू"]✍️ "ऐ काश, चाँद की बाहों में एक चाँदनी भी होती, रात की ख़ामोशी में बस उसी की रोशनी होती।" ©Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."] #Moon ["#चाँदनी की #आरज़ू"] ["#बरसों की #तन्हाई_और_.....# #shayari love
Sarfraj Alam Shayri
White गरीबी से मर गए गरीब, और अखबार में खबर छपी है .. गरीबी कम हुई.! ©Sarfraj Alam Shayri #Sad_Status गरीबी से मर गए गरीब, और अखबार में खबर छपी है .. गरीबी कम हुई.!
#Sad_Status गरीबी से मर गए गरीब, और अखबार में खबर छपी है .. गरीबी कम हुई.!
read moreGhumnam Gautam
"ज़माने भर में हुआ क्या!" ख़बर तो रखते हो मगर बताओ कि कब मेरा हाल पूछोगे? ©Ghumnam Gautam #makarsankranti #ज़माना #खबर #हाल #ghumnamgautam
#makarsankranti #ज़माना #खबर #हाल #ghumnamgautam
read moreAnkit Yadav
Love अखबार सी हो गई हैं जिंदगी हर रोज नई खबर... ©Ankit Yadav अखबार सी हो गई हैं जिंदगी हर रोज नई खबर.. #ankityadav
अखबार सी हो गई हैं जिंदगी हर रोज नई खबर.. #ankityadav
read moreSunny Kumar
गलत को गलत और सही को सही, कहने की हिम्मत रखता हूँ, तभी मै रिश्ते आजकल कम रखता हूँ। ©Sunny Kumar गलत को गलत और सही को सही, कहने की हिम्मत रखता हूँ, तभी मै रिश्ते आजकल कम रखता हूँ। attitude shayari
गलत को गलत और सही को सही, कहने की हिम्मत रखता हूँ, तभी मै रिश्ते आजकल कम रखता हूँ। attitude shayari
read morevish
Unsplash नये साल में, नई बहार चाहती है जिंद़गी ग़मों की नहीं, अब खुशियों की बौछार चाहती है जिंद़गी जिंद़गी ©vish # खुशियों की बौछार
# खुशियों की बौछार
read moreनवनीत ठाकुर
आरज़ू भी कहां सुकूं देती, सांस आती है पर नहीं जाती। हर दुआ जैसे बेमकसद ठहरी, आवाज कहीं असर नहीं पाती। यह सफर, यह तमाम रास्ते, खुद से मिलने की खबर नहीं लाती। किससे कहें ये दिल के किस्से, कोई सुनता है पर नहीं सुन पाती। आरज़ू और भी बढ़ती जाती है, मगर मंज़िल की कोई खबर नहीं आती। हर लम्हा ठहर-सा जाता है, जैसे सांस चलती, मगर नहीं आती। किसी मोड़ पर शायद जवाब मिले, पर सवालों की गूंज थम नहीं पाती। हमने खुद को भुला दिया है यहां, और जिंदगी ये समझ नहीं पाती। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर आरज़ू भी कहां सुकूं देती, सांस आती है पर नहीं जाती। हर दुआ जैसे बेमकसद ठहरी, कहीं आवाज असर नहीं पाती। यह सफर, यह तमाम रास्ते,
#नवनीतठाकुर आरज़ू भी कहां सुकूं देती, सांस आती है पर नहीं जाती। हर दुआ जैसे बेमकसद ठहरी, कहीं आवाज असर नहीं पाती। यह सफर, यह तमाम रास्ते,
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