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Sunil Kaushal
मोहब्बत में कुछ न मिला आज तक. बस टाइपिंग फ़ास्ट हो गई.
Deep Thapliyal
वो "हाँ जी" कहती है , और मैं "और बताओ ?? ना वो "बात" आगे बढ़ाती है, और न "मैं"। कुछ ऐसे ही 'रोज़' हमारा "वक़्त" गुजर जाता है ।। 😉😀 ©Deep Thapliyal मोहब्बत में कुछ न मिला आज तक, बस टाइपिंग फ़ास्ट हो गई.. 😜 😂🤣 #standAlone
Deep Thapliyal
वो "हाँ जी" कहती है , और मैं "और बताओ ?? ना वो "बात" आगे बढ़ाती है, और न "मैं"। कुछ ऐसे ही 'रोज़' हमारा "वक़्त" गुजर जाता है ।। 😉😀 ©Deep Thapliyal मोहब्बत में कुछ न मिला आज तक, बस टाइपिंग फ़ास्ट हो गई.. 😜 😂🤣 #standAlone
अनिता कुमावत
एक यात्रा शुरू हुई थी स्वयं को जानने की क्या हूँ मैं , कौन हूँ मैं रुक गई वो बीच राह में ही कहीं भटक गया मन , छूट गई राहें सारी ... कुछ प्रश्नों के उत्तर मिले कुछ के ढूँढने अभी बाकी है फिर नयी यात्रा की शुरुआत करते हैं कि स्वयं को जानना अभी भी बाकी है ....!!!! लग रहा जैसे गाड़ी रिवर्स गियर में जा रही है ... अब क्या ... एक ब्रेक मारते हैं और फिर गाड़ी को सही ट्रैक पर आते हैं ... 😃😃
Sanjeev Prajapati
जिस प्रकार से सिगरेट, तम्बाकू और शराब हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, ठीक उसी प्रकार से रिफांइड, चाय, चीनी, फ़ास्ट फ़ूड और पैरासिटामोल भी घातक बिमारियों को जन्म देती हैं । संजीव प्रजापति। लेखक (स्वास्थ्य क्रांति का भारतीय तारिका) ©Sanjeev Prajapati जिस प्रकार से सिगरेट, तम्बाकू और शराब हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, ठीक उसी प्रकार से रिफांइड, चाय, चीनी, फ़ास्ट फ़ूड और पैरासिटामोल भ
TabishAhmad 'تابش '
मेरा क़सूर क्या था? मुझे घर ही तो जाना था, भूख मिटाने को आया था, अब भूख में मर जाना था, इसीलिये घर ही तो जाना था! मेरा कसूर क्या था? न मिला किसी का सहारा था, जान के ऊपर अब आना था, भूख में महीनों इन्तेजार करना था, अब आख़री फैसला था, इसीलिये घर ही तो जाना था, मेरा कसूर क्या था! चलना पैदल ही था, रास्ता खुद ब खुद बन जाना था, सड़क भी अब बेगाना था, इसलिये रेलवे ट्रैक पर आना था, चलते ही चलते जाना था, मंजिल का न अभी तक कोई पता था, इसीलिये घर ही तो जाना था, मेरा कसूर क्या था? दिन-रात सफर कर थक जाना था, कब तलक नींद को धोका देना था, आंख लगी तो रेलवे ट्रैक पर सोना था, क्या पता था की आखरी नींद था, रात गुजरते ही सुबह को फिर आना था, मगर मुझे तो ईश्वर के पास जाना था, मेरा क़सूर क्या था? मेरा क़सूर क्या था? मुझे घर ही तो जाना था, भूख मिटाने को आया था, अब भूख में मर जाना था, इसीलिये घर ही तो जाना था! मेरा कसूर क्या था? न मिला