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Abeer Saifi

हर्फ़-दर-हर्फ़ - word by word, महफ़ूज़ - सम्भाल के #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqhindi #yqurdu #yqlove #yqtales #yqgazal

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हर्फ़ -दर- हर्फ़ महफ़ूज़ दिल में रक्खा है,
किसी ने हमें बड़ी मुश्किल में रक्खा है اا हर्फ़-दर-हर्फ़ - word by word, महफ़ूज़ - सम्भाल के


#yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqhindi #yqurdu #yqlove #yqtales #yqgazal

Abeer Saifi

हर्फ़-दर-हर्फ़ - word by word, महफ़ूज़ - सम्भाल के #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqhindi #yqurdu #yqlove #yqtales #yqgazal

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हर्फ़ -दर- हर्फ़ महफ़ूज़ दिल में रक्खा है,
किसी ने हमें बड़ी मुश्किल में रक्खा है اا हर्फ़-दर-हर्फ़ - word by word, महफ़ूज़ - सम्भाल के


#yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqhindi #yqurdu #yqlove #yqtales #yqgazal

JALAJ KUMAR RATHOUR

देख उनकी उड़ती जुल्फो को उस रात कदमो मे उनके झुक गई थी सारी कायनात हम कैसे संभालते ए जलज अपने जज्बात वो हर्फ़ दर हर्फ़ खोल रही थी अपने सारे #जलज_राठौर

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देख उनकी उड़ती 
जुल्फो को उस रात,
कदमो मे उनके झुक 
गई थी सारी कायनात,
हम कैसे संभालते ए जलज 
अपने जज्बात,
 वो हर्फ़ दर हर्फ़ खोल रही थी,
 अपने सारे राज 
थांम कर मेरा हाथ...
. #जलज_राठौर #NojotoQuote देख उनकी उड़ती जुल्फो को उस रात
कदमो मे उनके झुक गई थी सारी कायनात
हम कैसे संभालते ए जलज अपने जज्बात
 वो हर्फ़ दर हर्फ़ खोल रही थी
 अपने सारे

✍..Parth Mishra

हर्फ़ दर हर्फ़ अंदर ही सिमट आया है वो गजल बनके कागज पे उतर आया है ! ہیف ٹیرف اندر آ گیا ہے غازی بننے کے بعد وہ کاغذ پر واپس آ گیا ہے Puspa

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 हर्फ़ दर हर्फ़ अंदर ही सिमट आया है 
वो गजल बनके कागज पे उतर आया है !
ہیف ٹیرف اندر آ گیا ہے
غازی بننے کے بعد وہ کاغذ پر واپس آ گیا ہے Puspa

दीक्षा गुणवंत

बिन आँखे खोले उनका दीदार कहाँ से हो? जो ख़्वाब में देखा उस बात का इज़हार कहाँ से हो? दर्द-ए-दिल वक़्त दर वक़्त रिसता रहा यूं तन्हाई में उनकी

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बिन आँखे खोले उनका दीदार कहाँ से हो?
जो ख़्वाब में देखा उस बात का इज़हार कहाँ से हो?
दर्द-ए-दिल वक़्त दर वक़्त रिसता रहा यूं तन्हाई में उनकी,
इस दर्द-ए-तन्हाई का आज इलाज कहाँ से हो?


इक आह उठी है इस दिल में उन्हें पाने की,
उन्हें पा सकें एक रोज़ ऐसी कयामत की रात कहाँ से हो? 
आज समझाना पड़ेगा इस नादान-ए-दिल को ख़्वाब और हकीकत में अंतर,
गर हर ख़्वाब हकीकत हो जाए तो हज़ारों आशिक़ बरबाद कहाँ से हो?


बहुत मासूम है ये दिल जो आज भी मुंतजिर है उनके हसरत-ए-दीदार को,
जो आसानी से दीदार हो जाए तो ईनायत-ए-यार कहाँ से हो? 
लिखे हैं उनकी यादों में ख़त कई सारे,
जो हर्फ़-दर-हर्फ़ वो पढ़ ले तो इंतज़ार-ए-इज़हार कहाँ से हो?


शायद उन्हें पसंद नहीं हमारा ये मुसलसल उन्हें याद करना,
जो नाम ना आए लबों पर उनका तो हमारी सहर-ए-शुरुवात कहाँ से हो?
तुम्हीं पर शुरू, तुम्हीं पर बीते ये दिन हर दफा,
जो मिल जाए साथ आसानी से तुम्हारा, तो हमें नसीब दर्द-ए-हयात कहाँ से हो?

-लफ़्ज़-ए-आशना "पहाडी़"






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©दीक्षा गुणवंत बिन आँखे खोले उनका दीदार कहाँ से हो?
जो ख़्वाब में देखा उस बात का इज़हार कहाँ से हो?
दर्द-ए-दिल वक़्त दर वक़्त रिसता रहा यूं तन्हाई में उनकी

Qalb

मैं कैसे जुदा करुं उसे खुद से..? 
उसके नाम के दो हर्फ़ मेरे नाम में हैं..!! #हर्फ़

shailesh jha( सांझ_शैलेश)

मैं दर्द लिखता हूं,
तुम हर्फ समझते हों। #हर्फ़ #दर्द #yqdidi

katha Darshan

दर दर भटक कर #2023Recap

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BIJAY SOREN

दर- ब - दर #SunSet

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दर-ब-दर भटके कितने दिन  , 
तुम्हारे लिए तुम्हे खबर तक ना हुई  , 
वो सारे दिन बेकर से लगे मुझे , 
जिस दिन तुमसे मुलाकात ना हुई

©BIJAY SOREN दर- ब - दर

#SunSet
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