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Vivek Singh rajawat
"रावण संवाद" कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, तब एक था,अब हर घर मे छाया हैं, मर के भी पुनः दशानन आया हैं, इस कलियुग में तुझे समझाने आया हैं, सतयुग में होंगे तुम मर्यादा परुषोत्तम राम, कलियुग में काल सौगंध न होगा अब विराम, कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, तेरे शर से आघात हुआ, मृत्यु को मैं प्राप्त हुआ, फिर पुनः कलियुग में भयंकर मैं व्याप्त हुआ, कहीं पुत्र बन अपने माँ-बाप को सताया, तो कहीं पति बन पत्नी पर जोर जताया, तब एक अपहरण कर मृत्यु को पाया, अब अनगिनत अपहरण कर भी जोर दिखाया, कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, छल कपट का ये कलयुगी सम्राज्य बनाया, इस बार कोई विभीषण न होगा, जिसने मेरा भेद बताया, मृत्यु के भय को भी भयंकर भयभीत किया, लंकापति की उपाधि से खुद को पुनः मनोनीत किया, अबकी जो ये नाश बढेगा चाह कर भी तू न रोक सकेगा, तेरे शर में वो शक्ति नही जो मुझको तू रोक सकेगा, कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, तब तू वास्तविक था,तेरे सत्य पुरुषत्व से मैं घबराया, अब तेरे भेष में अज्ञानी मनुष्य ने खुद को राम बतलाया, मैं जल रहा फिर भी असमंजस में सोच रहा था, मैं मेरा जलता शरीर तुझे ही इस कलियुग में खोज रहा था, कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, तब एक था अब हर घर मे छाया हैं। धन्यवाद। विवेक सिंह राजावत। रावण का संवाद
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
हा लक्षिमन तुम्हार नहिं दोसा, सो फलु पायऊँ किन्हेऊँ रोसा । बिबिध बिलाप करति बैदेही, भूरि कृपा प्रभु दूरि सनेही ।। ©Anushi Ka Pitara सीता संवाद ( रामायण) #NojotoRamleela
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
दशमुख सकल कथा तेहि आगे, कही सहित अभिमान अभागे । होहु कपट मृग तुम्ह छलकारी, जेहि बिधि हरि आनौं नृपनारी ।। ©Anushi Ka Pitara मारीच रावन संवाद (रामायण) #NojotoRamleela
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
ऐहि ते अधिक धरमु नहिं दूजा सादर सासु - ससुर पद पूजा राम सीता संवाद ( रामायण) ©Anushi Ka Pitara राम सीता संवाद ( रामायण) #NojotoRamleela
Alok Vishwakarma "आर्ष"
शीश काट कर ब्रह्म देव के चरणों में, अर्पण करने का प्रण लेता रावण भी तिरस्कार का भागी हो जन-गण-मन में, धू-धू करता जले ज्ञान का गागर भी #alokstates #रावण #जीवनगाथा #रामायण #ब्रह्म
Ajay Malha
कोई कितने बी पाडे पड़ानदा ओ पर रावण बरगा नी कोई ओणा ज्ञानी उसने सीता का हरण बेसक करा पर कदी नी करी गलत छेड़खानी कुछ उसने घमंड मारगया अर कुछ उसका अडब पन मारगया। अर कुछ अपनो की फितरत जैसे साप की फितरत जब बी मिले मोका डस जाए तबी तो कहु दूर रया करो दोगलया त क्योंकि घर का भेदी लंका ढाए। ©Ajay Malha #रावण #रामायण #राम #सितारे #दोगले