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Rupesh
White तेरे जैसा कोई यार नही तू जानवर तो है लेकिन अपनी जान वारने से पीछे नही हटता है बेगानो में कोई अपना नही तू कब बेगाने से अपना हो गया पता ही न चल पाया ©Rupesh #तेरे जैसे कोई नही
gaTTubaba
White कसूर क्या हैं उनका ? जो बदल गए हैं हमने देखा हैं खुदको हम भी पहले जैसे कहां ? ©gaTTubaba #safar कसूर क्या हैं उनका ? जो बदल गए हैं हमने देखा हैं खुदको हम भी पहले जैसे कहां ?
AJAY NAYAK
White सरकारी नौकरी जैसे जल ही जीवन है, पढ़ाई ही जीवन का आधार है वैसे ही यूपी बिहार एमपी के रणबांकुरों का सरकारी नौकरी पाना ही जीवन का उद्देश्य है भले पूरी उम्र उसी में बीत जानी है ! अच्छे नंबर अगर मिले हैं पूरा विद्यालवा जवार में टॉप है नोकरी अगर मिली तो यह एक अच्छी सरकार है नही मिली, अगर कौनो नौकरी तो हमरा पढ़ाई में कौनो ना खोट है ई साला त, पूरा सरकारवा ही बेकार है जे देयी जैसे भी हमका नौकरी वही के मिले के हक है हमरा वोटवा का अधिकार है! सरकारी नौकरी पाना ही जीवन का उद्देश्य है भले पूरी उम्र उसी में बीत जानी है ! –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Services #government सरकारी नौकरी जैसे जल ही जीवन है, पढ़ाई ही जीवन का आधार है वैसे ही यूपी बिहार एमपी के रणबांकुरों का सरकारी नौकरी
Himaani
अच्छा ने अच्छा जाना मुझे बुरा ने बुरा जाना मुझे जिसकी जैसी सोच थी उसने ऐसी पहचाना मुझे ©Himaani जैसे जिसकी सोच थी
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उचित दण्ड दें पढ़िए महाभारत !! 🌷🌷 महाभारत: आश्रमवासिका पर्व पंचम अध्याय: श्लोक 18-32 📔 भारत। जिन मनुष्यों के कुल और शील अच्छी तरह ज्ञात हों, उन्हीं से तुम्हें काम लेना चाहिये। भोजन आदि के अवसरों पर सदा तुम्हें आत्मरक्षा पर ध्यान देना चाहिये। आहार विहार के समय तथा माला पहनने, शय्या पर सोने और आसनों पर बैठने के समय भी तुम्हें सावधानी के साथ अपनी रक्षा करनी चाहिये। युधिष्ठिर। कुलीन, शीलवान्, विद्वान, विश्वासपात्र एवं वृद्ध पुरुषों की अध्यक्षता में रखकर तुम्हें अन्तःपुर की स्त्रियों की रक्षा का सुन्दर प्रबन्ध करना चाहिये। राजन्। तुम उन्हीं ब्राह्मणों को अपने मन्त्री बनाओ, जो विद्या में प्रवीण, विनयशील, कुलीन, धर्म और अर्थ में कुशल तथा सरल स्वभाव वाले हों। उन्हीं के साथ तुम गूढ़ विषय पर विचार करो, किंतु अधिक लोगों को साथ लेकर देर तक मन्त्रणा नहीं करनी चाहिये। सम्पूर्ण मन्त्रियों को अथवा उनमें से दो एक को किसी के बहाने चारों ओर से घिरे हुए बंद कमरे में या खुले मैदान में ले जाकर उनके साथ किसी गूढ़ विषय पर विचार करना। जहाँ अधिक घास फूस या झाड़ झंखाड़ न हो, ऐसे जंगल में भी गुप्त मन्त्रणा की जा सकती है, परंतु रात्रि के समय इन स्थानों में किसी तरह गुप्त सलाह नहीं करनी चाहिये। 📔 मनुष्यों का अनुसरण करने वाले जो वानर और पक्षी आदि हैं, उन सबको तथा मूर्ख एवं पंगु मनुष्यों को भी मन्त्रणा गृह में नहीं आने देना चाहिये। गुप्त मन्त्रणा के दूसरों पर प्रकट हो जाने से राजाओं को जो संकट प्राप्त होते हैं, उनका किसी तरह समाधान नहीं किया जा सकता - ऐसा मेरा विश्वास है। शत्रुदमन नरेश। गुप्त मन्त्रणा फूट जाने पर जो दोष पैदा होते हैं और न फूटने से जो लाभ होते हैं, उनको तुम मन्त्रिमण्डल के समक्ष बारंबार बतलाते रहना। राजन्। कुरूश्रेष्ठ युधिष्ठिर। नगर औश्र जनपद के लोगों का हृदय तुम्हारे प्रति शुद्ध है या अशुद्ध, इस बात का तुम्हें जैसे भी ज्ञान प्राप्त हो सके, वैसा उपाय करना। नरेश्वर। न्याय करने के काम पर तुम सदा ऐसे ही पुरुषों को नियुक्त करना, जो विश्वासपात्र, संतोषी और हितैषी हों तथा गुप्तचरों के द्वारा सदा उनके कार्यों पर दृष्टि रखना। भरतनन्दन युधिष्ठिर। तुम्हें ऐसा विधान बनाना चाहिये, जिससे तुम्हारे नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उचित दण्ड दें। 📔 जो दूसरों से घूस लेने की रुचि रखते हों, परायी स्त्रियों से जिनका सम्पर्क हो, जो विशषतः कठोर दण्ड देने के पक्षपाती हों, झूठा फैसला देते हों, जो कटुवादी, लोभी, दूसरों का धन हड़पने वाले, दुस्साहसी, सभाभवन और उद्यान आदि को नष्ट करने वाले तथा सभी वर्ण के लोगों को कलंकित करने वाले हों, उन न्यायाधिकारियों को देश काल का ध्यान रखते हुए सुवर्ण दण्ड अथवा प्राण दण्ड के द्वारा दण्डित करना चाहिये। प्रातःकाल उठकर (नित्य नियम से निवृत्त होने के बाद) पहले तुम्हें उन लोगों से मिलना चाहिये, जो तुम्हारे खर्च बर्च के काम पर नियुक्त हों। उसके बाद आभूषण पहनने या भोजन करने के काम पर ध्यान देना चाहिये। जय श्री राधे कृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #SAD {Bolo Ji Radhey Radhey} नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उ
Babita Singh
Men walking on dark street खुद को साबित कैसे करें लोग अच्छाइयों का भी मजाक बनाए चलते हैं दर्द है जो सीने में उसे कैसे बया करें लोग अनसुना करते है ©Babita Singh जैसे भी है हम अपने जगह ठीक है ओरो का क्या सही होने पर भी बुरा बताए चलते हैं ✍️🫂🙏
Ravendra
Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).
एक शौक बेमिसाल रखा करें, हालात जैसे भी हों, पर होठों पर हमेशा "मुस्कान" रखा करें🙏🏾. ©Krishna Deo Prasad. ( Advocate ). #Happy #एक शौक बेमिसाल रखा करें, हालात जैसे भी हों, पर होठों पर हमेशा "मुस्कान" रखा करें
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी :- राधे राधे जप कर , बुलाते हैं गिरधर , दौड़े-दौड़े चले आते , मन से पुकारिये ।। राधा में ही श्याम दिखे , श्याम को ही राधा लखे , दोनो की ये प्रीति भली , कभी न बिसारिये ।। रूप ये बदल आये , देख निधिवन आये , मिले कभी समय तो , उधर निहारिये ।। कट जाये जीवन यूँ , राधे-राधे जपते यूँ , शरण बिहारी के यूँ , जीवन गुजारिये ।।१ पटरी की रेल है ये , जीवन का खेल है ये , तेरा मेरा मेल है ये , प्रीति ये बढ़ाइये । चाँद जैसी सूरत है , अजन्ता की मूरत है , सुन चुके आप हैं तो , घुंघट उठाइये ।। नहीं हूर नूर देखो , पीछे हैं लंगूर देखो , जैसे भी हूँ अब मिली , जीवन गुजारिये ।। आई हूँ तू ब्याह कर , नहीं ज्यादा चाह कर , मुझे और नखरे न , आप तो दिखाइये ।।२ २९/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- राधे राधे जप कर , बुलाते हैं गिरधर , दौड़े-दौड़े चले आते , मन से पुकारिये ।। राधा में ही श्याम दिखे , श्याम को ही राधा लखे