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Dheeraj Kumar Singh
मोहब्बत में इजहार हो जरूरी तो नहीं । उसे भी तुमसे प्यार हो जरूरी तो नहीं । तुम करो मोहब्बत, ये हक है तुम्हारा है। वो भी करे ऐतबार , ये जरूरी तो नहीं **धीरज कुमार** poetdheer@twitter #love #shayari #poem
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***एक रिश्ते में आयी दूरी के बाद मेरे शब्दों में मेरा दर्द*** उफान बनकर उठे थे, कुछ सिलसिले टकराकर चट्टानों से धूमिल हो गए है लहरें भी अब दो दिशा बह रही है। ना पगली हवा अब कुछ कह रही है। फूलों में भी ना नजर आता तब्बुस्म और तितली भी फूलों पे बैठी है गुमसुम तारे आसमान में झिलमिल खो गए है। सपने जो देखे वो एक नींद सो गए है उफान बनकर उठे थे, कुछ सिलसिले टकराकर चट्टानों से धूमिल हो गए है। धीरज कुमार 02/04/2019 (एक साल से ज्यादा हो गया और लगता है जैसे कल की ही बात है) poetdheer@twitter #loveisforever #missyou #love #poem #shayari
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Alone वो मुझसे इश्क करती है, मै उससे दूर रहता हूं मै जिससे इश्क करता हूं वो मुझसे दूर रहती है मै कुछ कर नहीं सकता, ये एहसासों की कहानी है कभी इन आंखो में, कभी उन पलकों पे पानी है ये आंसू ना बहे ऐसे, पर मैं मजबूर रहता हूं । वो मुझसे इश्क करती है, मै उससे दूर रहता हूं मै जिससे इश्क करता हूं वो मुझसे दूर रहती है ***धीरज कुमार*** poetdheer@twitter #poem #shayari
Dheeraj Kumar Singh
Alone * कोरोना पर** अरे भैया, सुनो ना बहुत, फैल रहा है, कोरोना इसका, ना उपचार है। स्थिति लाचार है दहशत में, सब लोग है बड़ा गंभीर रोग है। बस भीड़ में तुम बचो और हाथो को स्वच्छ रखो हर चीज को छूने के बाद अच्छे से हाथ धो लेना अरे भैया, सुनो ना... बहुत फैल रहा है कोरोना घर से अगर निकलो भी मास्क तुम लगा लेना किसी से भी तुम मिलो मत हाथ उस से मिला लेना दूर से करो राम राम और हथेली मिला लेना... अरे भैया सुनो ना बहुत फैल रहा है कोरोना **धीरज कुमार** poetdheer@Twitter #poem #shayari
Dheeraj Kumar Singh
सर्वत्र हाहाकार मचा है, वक्त का पहिया रूका हुआ है सूक्ष्म जीव ने रची है साजिश, मानव कैसे झुका हुआ है थमी हुई है धरा धुरी पर , जीवन अस्त व्यस्त हुआ है हमे डरा कर सूक्ष्म जीव वो देखो कैसा मस्त हुआ है देख त्रासदी रोया मानव , मानव जो ना कभी डरा है । जिसने इसे गंभीर ना समझा, वो सड़कों पे मरा हुआ है । सूक्ष्म जीव से जंग है जारी , वीर वहीं जो सदा लड़ा है । लिए शरण विज्ञान की देखो , आज भविष्य, हुआ खड़ा है । मानव का बना है दुश्मन, सूक्ष्म जीव ये अडा हुआ है । जान हथेली, पर लेकर , आज डॉक्टर भिड़ा हुआ है । है विकट घड़ी, है बड़ी आपदा, पर संयम ना अपना खोना है । घर में खुद को कैद करो , ना फैलाना कोरोना है । धीरज कुमार poetdheer@Twitter #poem #shayari
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नो महीने गर्भ में रखती है, भीतर अपने उठाए रहती है , उफ्फ भी ना करती है । जब मा का रूप होती है वो औरत, वो खुद में ईश्वर होती है... उस माँ को मै हृदय से आभार देता हूं, वो सब छोड़ देती है। घर परिवार से दूर, किसी और परिवार का हिस्सा हो जाती है इतना त्याग करती है वो औरत जो तुम्हारी अर्धांगिनी बनती है, उस त्याग को हृदय से सम्मान देता हूं... वो लड़की जो तुम्हारी बहन है.. तुम्हारे घर को घर वो ही बनाती है हर छोटी बड़ी चीज को संभालना हर उस चीज जिसे तुम यूं ही छोड़ देते हो वो बहन ही होती है जो घर संभालती है उस बहन को में हृदय से प्यार देता हूं लड़की जब एक दोस्त जब बन जाती है तुम्हारी जिन्दगी में एक और खुशी आ जाती है वो तुम्हारी हकीकत से तुम्हे रुबरु कराती है हर मुश्किल में तुम्हे वो तुम्हे हिम्मत दिलाती है उस दोस्त को भी धन्यवाद करता हूं... धीरज कुमार poetdheer@twitter #poem #shayari
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धीरज की कलम से जहर इतना हवा में, है घुल चुका । इस कदर प्रदूषण, है बढ़ चुका । की सांस लेना हुआ, मुश्किल आज है । चीखती प्रकृति की ये आवाज़ है । प्रदूषण की जो ये गंभीर मार है जल-वायु में आये जो ये विकार है । इस हालत का मानव तू जिम्मेदार है। मेरी बिगड़ी हालत का तू गुनहगार है हवा में जो आज ये धूल ही धूल है बंद हुए इस वजह से कॉलेज - स्कूल है। इन अवकाशों को पाकर तुम तो ये खुश फहमी भी तुम्हारी भूल है । ये बात है चिंतन की, स्तिथि है गंभीर इस समास्या का करना कुछ तो उपचार है । बचा लो मुझे ना यूं दूषित करो धरा को अपनी ना प्रदूषित करो । लगाओ वृक्ष अधिक से अधिक तुम धरा को फिर से हरी भरी करो । धीरज कुमार poetdheer@Twitter #poem #shayari
Dheeraj Kumar Singh
मैने ख्वाब में देखा उसे पर कुछ कह ना सका बस खामोश निगाहें हमारी एक दूसरे को पढ़ती रही फिर ख्वाब में अगले ही पल उसने मुझे छू लिया और नींद में मैंने अपनी बन्द आंखो को मूंद लिया नींद में एक बार फिर में सो गया और जब जागा मैं इश्क का सवेरा हो गया आपका मित्र धीरज कुमार (नींद से जागकर ख्वाब को लिखता हुआ) poetdheer@twitter #poem #shayari
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कुछ यादें बेहोश है, कुछ खामोश है तन्हाई चुभती है रोशनी, हवा भी लगती हरजाई। दिल में पसरा सन्नाटा, धड़कन भी मौन है। क्यों संग है, ये परछाई ? ये मेरी कौन है ? धीरज कुमार ( गम, उदास, परेशान, नीरसता से भरे पल में) 01/04/2020 poetdheer@Twitter #sad #poem #shayari