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Diya
White मल्हार की आवाज जब कानों में पड़ी मैं शुद्ध बुद्ध भूलाकर उससे जा लड़ी। यह भी याद नहीं रहा की कोई मेरा इंतजार कर रहा है, आँखों में सपने सजाए कोई अड़ा है। उसकी दर्द भरी आवाज सुनकर मैं सब कुछ भूल गई, किनारे जब तक कश्ती नहीं लगी तब तक मैं उसे देखती रही, जादू था या क्या था उसकी आवाज में मैं मदहोश सी हो गई। जब होश आया तो मैं दौड़ कर तेरे दर पर आ गई, तुझे ना पाकर फिर थोड़ा घबरा गई, तू ठीक तो है ना बस यह सोचने लगी। Good evening dostji🌷💐 ©Diya #Goodevening #मल्हार #डूबता #हुआ #सूरज #कश्ती #diyakikalamse❤✍🏼
सूरज
डूबते सूरज से आज कुछ इस तरह मुलाकात हुई की, ढलते ढलते फिर कल मिलने का वादा कर गया। ©सूरज #डूबता सूरज
#डूबता सूरज
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White मैं बैठे-बैठे सोच रहा था, उनकी तस्वीरें ताक रहा था। मन के कोने में हलचल थी, लबों पर नाम सजा रहा था। बीती यादों का सैलाब उमड़ा, गुज़रा वक्त भी सता रहा था। जिक्र उनका अब जरूरी नहीं, खयालों में डूबता जा रहा था। ©theABHAYSINGH_BIPIN #Sad_Status मैं बैठे-बैठे सोच रहा था, उनकी तस्वीरें ताक रहा था। मन के कोने में हलचल थी, लबों पर नाम सजा रहा था। बीती यादों का सैलाब उमड़ा,
#Sad_Status मैं बैठे-बैठे सोच रहा था, उनकी तस्वीरें ताक रहा था। मन के कोने में हलचल थी, लबों पर नाम सजा रहा था। बीती यादों का सैलाब उमड़ा,
read moreनवनीत ठाकुर
तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो, डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ। गिरकर फिर से खड़ा, तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ। राहें कठिन हो, फिर भी रुकता नहीं , गिरते हुए भी खुद को सम्भालता हूँ, हार नहीं मानता कभी, हर हाल में जूझता ज़रूर हूँ। हर चोट ने मेरी पहचान बनाई है, जो गिरा, उसने उठने की कहानी सुनाई है। राख से उगने की आदत है मुझमें, जलकर भी खुद को जलाता ज़रूर हूँ। मुश्किलें मुझसे हार मान जाती हैं, मेरे इरादे हर मोड़ पर मुस्कुराते हैं। ज़िंदगी के हर तुफ़ान को मैंने देखा है, पर ख़ुद को हर बार आज़माता ज़रूर हूँ। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो, डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ। गिरकर फिर से खड़ा, तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ।
#नवनीतठाकुर तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो, डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ। गिरकर फिर से खड़ा, तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ।
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