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Stories related to निकला गड्डी लेके

dilkibaatwithamit

यूं बेवजह नहीं त्यागा मैंने दुनिया का मोह मेरे किस्से का हर किरदार गद्दार निकला है... #Sad_Status Noor Hindustani 'दर्द भरी शायरी'

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White यूं बेवजह नहीं त्यागा मैंने दुनिया का मोह 
मेरे किस्से का हर किरदार गद्दार निकला है...

©dilkibaatwithamit यूं बेवजह नहीं त्यागा मैंने दुनिया का मोह 
मेरे किस्से का हर किरदार गद्दार निकला है...
#Sad_Status Noor Hindustani  'दर्द भरी शायरी'

gaTTubaba

#Thinking सबसे बड़ा झूठ निकला ये तो की "तुम्हारी नहीं हैं तलाश हमें"

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White सबसे बड़ा झूठ निकला ये तो की


"तुम्हारी नहीं हैं तलाश हमें"

©gaTTubaba #Thinking सबसे बड़ा झूठ निकला ये तो की


"तुम्हारी नहीं हैं तलाश हमें"

theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_qoute एक अधूरा सफ़र एक सफ़र अधूरा रहा, ख्वाहिशों का साथ छूट गया। मंज़िल मेरी रूठ गई, मैं खुद से ही तो रूठ गया।

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White एक अधूरा सफ़र

एक सफ़र अधूरा रहा,
ख्वाहिशों का साथ छूट गया।
मंज़िल मेरी रूठ गई,
मैं खुद से ही तो रूठ गया।

दरिया में कश्ती डूब गई,
पतवार मेरी टूट गई।
मैं खुद से ही तो रूठ गया,
मैं खुद से ही तो टूट गया।

ख़्वाब सजाए आँखों ने,
एक पल में सब टूट गया।
सफ़र पर निकला जब,
खुद ही रास्ता भटक गया।

रुका मैं अभिलाषा में,
मुश्किल दौर से गुज़र गया।
माया के भंवर में फँसकर,
भरी ज्येष्ठा में सर्द सा सिहर गया।

एक महल बनाया रेत सा,
जो पल भर में ढह गया।
ख़्वाबों की दीवारें टूटीं,
और दिल भी कहीं बह गया।

साथ किसी का छूट गया,
दर्द सा दिल में बैठ गया।
मैं खुद से ही तो रूठ गया,
मैं खुद से ही तो टूट गया।

दिल मासूम फिर से टूट गया,
मंज़िल मेरी फिर छूट गई।
महबूब मुझसे रूठ गया,
मैं खुद से ही तो टूट गया।
मैं खुद से ही तो रूठ गया।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_qoute  
एक अधूरा सफ़र

एक सफ़र अधूरा रहा,
ख्वाहिशों का साथ छूट गया।
मंज़िल मेरी रूठ गई,
मैं खुद से ही तो रूठ गया।

बेजुबान शायर shivkumar

चेहरे जमाने में मैंने तो बहुत से देखे है पर कोई चेहरा तुझ सा बेवफ़ा न निकला... चलो न एक झूठ ही कह दो तुम्हे भी प्यार है हमसे हमे भी सांस ले

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चेहरे जमाने में मैंने तो बहुत से देखे है
पर कोई चेहरा तुझ सा बेवफ़ा न निकला...

चलो न एक झूठ ही कह दो तुम्हे भी प्यार है हमसे
हमे भी सांस लेने का कोई झूठा बहाना दो....!!

ज़रा सा एक झूठ ही कह दो मेरे बिन तुम अधूरे हो,
तुम्हारा क्या बिगड़ता है ज़रा सी बात कहने को..!!

ज़रा सा एक झूठ ही कह दो, कि तुम बिन दिल नहीं लगता,
हमारा दिल बदल जाए, तो तुम फिर से मुकर जाना,,,,

अपने दिल से एक झूठ ही कह दो की 
किसी ओर से मोहब्बत का ना सोचे।
एक में ही काफ़ी हुं 
तुम्हे सारी उम्र चाहने के लिए...❤️

एक ही शब्द काफी है मेरे सुकून के लिए... 
अगर तुम कह दो दिल से कि तुम ख़ास हो मेरे लिए...

©बेजुबान शायर shivkumar चेहरे जमाने में मैंने तो बहुत से देखे है
पर कोई चेहरा तुझ सा बेवफ़ा न निकला...

चलो न एक झूठ ही कह दो तुम्हे भी प्यार है हमसे
हमे भी सांस ले

RJ VAIRAGYA

#rjharshsharma #rjvairagyasharma metaphysical poetryआँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा तमाम उम्र कहा

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White आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा

तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता है
ये जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलो

अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के
अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो

जब भी दिल खोल के रोए होंगे
लोग आराम से सोए होंगे

तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल
हार जाने का हौसला है मुझे

कितना आसाँ था तिरे हिज्र में मरना जानाँ
फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते

याद आई है तो फिर टूट के याद आई है
कोई गुज़री हुई मंज़िल कोई भूली हुई दोस्त

शहर-वालों की मोहब्बत का मैं क़ाएल हूँ मगर
मैं ने जिस हाथ को चूमा वही ख़ंजर निकला

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते
जो आज तो होते हैं मगर कल नहीं होते

ज़ब्त लाज़िम है मगर दुख है क़यामत का 'फ़राज़'
ज़ालिम अब के भी न रोएगा तो मर जाएगा

©RJ VAIRAGYA #rjharshsharma #rjvairagyasharma  metaphysical poetryआँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा

तमाम उम्र कहा

theABHAYSINGH_BIPIN

#Sad_Status ये किस तरह उसने मुझको बर्बाद किया, महफ़िलों से निकाल गलियों में आवाद किया। उसके बहकावे में आकर उसे ही महफ़िल समझा, आहिस्ता-आह

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White ये किस तरह उसने मुझको बर्बाद किया,
महफ़िलों से निकाल गलियों में आवाद किया।

उसके बहकावे में आकर उसे ही महफ़िल समझा,
आहिस्ता-आहिस्ता उसने ज़हर के करीब किया।

ख़्वाबों में रंग भरकर हकीकत से दूर किया,
दिल में बसे अरमानों को चूर-चूर किया।

जो मुस्कुराहट मेरी पहचान हुआ करती थी,
उसने हर ख़ुशी का अंधेरा सा नज़ारा किया।

यकीन करके जिसके साथ चलने निकला था,
उसने हर मोड़ पर मुझसे किनारा किया।

अब समझ आया उसकी चालों का खेल,
उसने अपने फायदे के लिए मुझ पर वार किया।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Sad_Status 

ये किस तरह उसने मुझको बर्बाद किया,
महफ़िलों से निकाल गलियों में आवाद किया।

उसके बहकावे में आकर उसे ही महफ़िल समझा,
आहिस्ता-आह

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे का

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इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक,
दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला।

जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता,
जैसे काग़ज़ पर गिरा, पानी का असर निकला।

अरमान सजे थे जिनसे रोशन मेरी दुनिया,
वो चिराग़ जला लेकिन हवा का असर निकला।

मिलन की घड़ी आई तो जुदाई के साए थे,
जिसे चाहा था अपना, वो भी बेख़बर निकला।

ख़्वाबों की हक़ीक़त में जो देखा था कभी हमने,
आईना दिखाया तो हर शक्ल बदल निकला।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक,
दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला।

जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता,
जैसे का

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर "तेरी बातों पे विश्वास किया, फिर भी दिल टूटा, कितनी तुझसे उम्मीदें थीं, वो सब झूठा निकला।" तुम्हारी बातों पर था यकीन, फिर भी

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"तेरी बातों पे विश्वास किया, फिर भी दिल टूटा,
कितनी  तुझसे उम्मीदें थीं, वो सब झूठा निकला।"

तुम्हारी बातों पर था यकीन, फिर भी दिल दर्द से भर गया,
हर बार तुमसे जो उम्मीदें थीं, इस बार भी ख्वाबों की तरह बिखरा।

"तेरी कसमों पे विश्वास किया, फिर भी दिल टूटा,
कितनी  तुझसे उम्मीदें थीं,  वो सब झूठा निकला।"

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
"तेरी बातों पे विश्वास किया, फिर भी दिल टूटा,
कितनी  तुझसे उम्मीदें थीं, वो सब झूठा निकला।"

तुम्हारी बातों पर था यकीन, फिर भी

neha rajput

इतना बड़ा अजगर सांप रूम से निकला

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Shivkumar barman

!! दिसंबर आभार करने का महीना है !! दिसंबर आभार करने का महीना है ये साल भर के तजुर्बों की पोटली है जिसमें 11 महीने लंबी डोरी से गाँठ लग

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!! दिसंबर आभार करने का महीना है !!

दिसंबर आभार करने का महीना है 
ये साल भर के तजुर्बों की पोटली है 
जिसमें 11 महीने लंबी डोरी से गाँठ लगी है 

दिन छोटे हो जाते हैं ,
पर दिल बड़े होते हैं इस महीने में 
जनवरी की शुरूआत में ख़ुद से किए गए 
वादों का अब हिसाब किताब होता है ..

.. जो पूरे हुए उन पर गुमान होता है ,
और जो नहीं हो पाये 
उनको कुछ बदलाव के साथ 
अगले साल फिर डायरी में लिख लिया जाता है !! 

पूरे साल की रील मानो सामने घूमती है और कभी थोड़ी
 सी मुस्कुराहट और कभी थोड़ी उदासी ले आती है चेहरे पर।

अच्छा बुरा जैसा भी समय निकला 
पर उस की रेत बजरी समेट कर
 उम्मीद के सीमेंट में मिला कर फिर
 एक नया मकान बनाना है .. अगले साल का 

यूँ तो जनवरी और दिसंबर में
 एक दिन की ही दूरी है पर फ़ासला एक साल का।

ऐसा लगता है जैसे जनवरी धरती है और दिसंबर है अंबर,
 और क्षितिज पर ये दूर से एक रात के लिए मिलते दिखते हैं।

31 तारीख़ को ….तुम छोड़ जाओगे दिसंबर की तरह 
और हम बदल जायेगें जनवरी की तरह...।

©Shivkumar barman  !! दिसंबर आभार करने का महीना है !!

दिसंबर आभार करने का महीना है 
ये साल भर के #तजुर्बों  की पोटली है 
जिसमें 11 महीने लंबी डोरी से गाँठ लग
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