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Babli BhatiBaisla
खाक से खादिम है हम खौफ किस से खाएंगे मिले अगर सच्चा कोई सच्चे हम बन जाएंगे हो सामना अगर फरेब से बेख़ौफ़ कत्ल कर जाएंगे है ही क्या खोने को जो हम डर जाएंगे एक बेशकीमती ईमान और दूसरी सस्ती सी जान जिसे बिना लड़े सस्ते में तो कतई नहीं गंवाएंगे बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla खादिम
shriram maurya
शू प्रभात दोस्तों आपका दोस्त श्री राम मौर्य
Sabreen Nizam😊
बादशाह सा रहता हूँ अपनी झोपड़ी मे मैं, किसी महल का मुझको खादिम नही बनना। {Sabreen Nijam} #NojotoQuote खादिम(नौकर) #nojoto#sayari#khadim#naokar#mahal#jhopdi
Abeer Saifi
तेरे कसम की लाज है, अब नज़र न आयेंगे اا ग़मों को तोहफ़े समझ के, हंसते सह जाएंगे اا हुक्म लेरा सर-आखों पे, तेरे ख़ादिम कहलाएंगे اا ज़खीरा तेरी यादों का, शायद अब भुलाएंगे اا सालगिरह पे अब अपनी, बरसी हम मनाएंगे اا तेरे कसम की लाज है, अब नज़र न आयेंगे اا खादिम-servant #hqurdupoetry #hqdidi #hqbaba #hqbhaijan #hqdada #hquote #hqhindi #yqbesthindiquotes
Abeer Saifi
तेरे कसम की लाज है, अब नज़र न आयेंगे اا ग़मों को तोहफ़े समझ के, हंसते सह जाएंगे اا हुक्म लेरा सर-आखों पे, तेरे ख़ादिम कहलाएंगे اا ज़खीरा तेरी यादों का, शायद अब भुलाएंगे اا सालगिरह पे अब अपनी, बरसी हम मनाएंगे اا तेरे कसम की लाज है, अब नज़र न आयेंगे اا खादिम-servant #hqurdupoetry #hqdidi #hqbaba #hqbhaijan #hqdada #hquote #hqhindi #yqbesthindiquotes
vibrant.writer
वक्त बेवक्त कोई ना कोई काम दिया करते हो, वह तुम्हारा प्रेम है कोई सरकारी खादिम नहीं। वक्त बेवक्त कोई ना कोई काम दिया करते हो, वह तुम्हारा प्रेम है कोई #सरकारी #खादिम नहीं। Vibrant Writer ✍🏻 #pritliladabar #vibrant_writer
Abeer Saifi
बेहिस-ओ-हसीं के लहजे-ओ-इसरार पे क़ुर्बान हो गया मैं इश्क़ की तलवार पे खादिम की तवक़्क़ो है इशारा-ए-नज़र फ़ना फ़रहाद होयेगा शीरीं की दरकार पे शिक़ायत है उसे कि तुम आते नहीं पैहम निसार है गुलशन तेरे हुस्न के महकार पे कुछ गिला है क्या? क्यों बातें नहीं करते शुबह है कुछ दिल के साहिब-ए-दय्यार पे मालूम है कुछ किस से बकते हो 'अबीर' के तस्वीर है फ़क़त वहाँ फ़्रेम में दीवार पे बेहिस - जिसे एहसास न हो, इसरार - ज़िद, खादिम - गुलाम, तवक़्क़ो - अभिलाषा, फ़रहाद-शीरीं - लैला मजनू जैसे एक और प्रेमी युगल, निसार - फ़िदा, मह
Abeer Saifi
बेहिस-ओ-हसीं के लहजे-ओ-इसरार पे क़ुर्बान हो गया मैं इश्क़ की तलवार पे खादिम की तवक़्क़ो है इशारा-ए-नज़र फ़ना फ़रहाद होयेगा शीरीं की दरकार पे शिक़ायत है उसे कि तुम आते नहीं पैहम निसार है गुलशन तेरे हुस्न के महकार पे कुछ गिला है क्या? क्यों बातें नहीं करते शुबह है कुछ दिल के साहिब-ए-दय्यार पे मालूम है कुछ किस से बकते हो 'अबीर' के तस्वीर है फ़क़त वहाँ फ़्रेम में दीवार पे बेहिस - जिसे एहसास न हो, इसरार - ज़िद, खादिम - गुलाम, तवक़्क़ो - अभिलाषा, फ़रहाद-शीरीं - लैला मजनू जैसे एक और प्रेमी युगल, निसार - फ़िदा, मह