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Pia India(Priya)
.......... ©Pia India(Priya) अलविदा बिरजू महाराज...🙏
Sandeep Lucky Guru
स्यिति नहीं,गति नहीं, मुद्रा नहीं,न ही भंगिमा लय मे लयमान सुष्टि कथाकृति मूर्तिमान बिरजू महाराज का नृत्य देखते हुए
REETA LAKRA
बृजमोहन से बिरजू महाराज ४ फरवरी १९३८ के शुभ दिन, लखनऊ में पैदा हुए मिश्रा बृजमोहन शास्त्रीय घराने के अग्रणी नर्तक थे पिता महाराज अच्छन बृज के ताऊ-चाचा लच्छू - शंभू महाराज वे प्रसिद्ध कलाकार नौ वर्ष की वय में सर से पितृच्छाया हट गयी, अंस पर इनके परिवार का जिम्मा आया चाचा से तब कत्थक सीखा, शास्त्रीय गायन में की हासिल निपुणता १६ जनवरी २०२२ जग को कहा अलविदा जोड़ा कत्थक में नृत्य नाटिका, पहुँचाया कत्थक कला को शीर्ष पर 'कलाश्रम' के वे संस्थापक विश्व भ्रमण कर सैकड़ों कार्यशालाओं के बने संयोजक कत्थक में लब्ध नई ऊँचाई, बन गए बृजमोहन से बिरजू महाराज 👑०२/३६५@२०२२ १६ जनवरी २०२२ के दिन बिरजू महाराज ने देह त्याग कर दिया। 🙏 विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित है
charu
Rao pradeep
कथक सम्राट पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज, कथक के एक युग का अन्त हुआ आज भावभीनी श्रद्धांजलि 💐🙏 ©Rao pradeep कथक सम्राट पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज, गायन वादन नृत्य तीनों में पारंगत एक महान विभूति जिनको करीब से देखने का सुनने का मुझे कई बार सौभा
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय नर्तक, "पद्म विभूषण" पंडित बिरजू महाराज "बृज मोहन मिश्र" जी कत्थक के पर्याय पंडित बिरजू महाराज जी का निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है।भारतीय कला की गौरवशाली परंपरा की सुगंध को विश्व भर में प्रसारित करने वाले महाराज जी अनंत में विलीन हो गए। उनके परिजनों व प्रशसंकों के प्रति संवेदनाएँ..। ईश्वर दिवगंत आत्मा को श्रीचरणों में स्थान दें..एवं शोकाकुल परिजनों को इस कठिन घड़ी को सहने की शक्ति प्रदान करें..। ✍️Vibhor vashishtha vs Meri Diary #Vs❤❤ प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय नर्तक, "पद्म विभूषण" पंडित बिरजू महाराज "बृज मोहन मिश्र" जी कत्थक के पर्याय पंडित बिरजू महाराज
ruchika_2710
मेरा इश्क बनारस सा है। मेरा इश्क बनारस सा है मेरा इश्क बनारस सा है। कभी निर्मल गंगा जल सा छलकता है, कभी दशाश्वमेध घाट सा शांत मन में ठहरता है, कभी गोदौलिया बाजार
Nitesh Prajapati
मिला जो लम्हा तो, बांट ले सुख-दुःख अपने, साथ निभाले साथिया इस लम्हें मे, शायद यह लम्हा फिर हो ना हो। चलना है सबको छोड़ यहाँ,अपने सुख-दुख का भार प्रिये, करना है कर लो आज उसे,कल पर किसका अधिकार प्रिये। ~भगवतीचरण वर्मा , ( तुम अपनी हो, जग अपना
Madhu Jain
कोई यहाँ किसी का नहीं,सब रैन बसेरा है प्रिये पलक झपकते ही स्वपन सा,ओझल संसार है प्रिये। चलना है सबको छोड़ यहाँ,अपने सुख-दुख का भार प्रिये, करना है कर लो आज उसे,कल पर किसका अधिकार प्रिये। ~भगवतीचरण वर्मा , ( तुम अपनी हो, जग अपना
Vedantika
अकेले आये हो जग में, अकेले ही तुम्हें अब चलना है, तुम्हारे साहस के आगे हारेगा एक दिन ये संसार प्रिये। चलना है सबको छोड़ यहाँ,अपने सुख-दुख का भार प्रिये, करना है कर लो आज उसे,कल पर किसका अधिकार प्रिये। ~भगवतीचरण वर्मा , ( तुम अपनी हो, जग अपना