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Divyanshu Pathak

☕🐰प्यार🌹☘🐇🤓इश्क💞🐁🦃🍹🍁मौज़🍁🐁😝मस्ती🌿💞🦃🍹🍁🌷🌷🍫🍵🍉🐦😝🌿💞🐁🍹पंछी🍹🍁🍁पाठक🌷 : जिसको एक दिवाना आधी रातों को ख़त लिखता है जिसका फ़ोटो वो हरदम अपने बटुए में

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प्रीत की तुम परीक्षा न लेना प्रिये
प्रेमियों से मैं आगे निकल जाऊंगा
दीप की लौ सी तुम टिमटिमाती रहो
मैं पतंगे के मानिंद जल जाऊंगा ! ☕🐰#प्यार🌹☘🐇🤓#इश्क💞🐁🦃🍹🍁#मौज़🍁🐁😝#मस्ती🌿💞🦃🍹🍁🌷🌷🍫🍵🍉🐦😝🌿💞🐁🍹पंछी🍹🍁🍁#पाठक🌷
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जिसको एक दिवाना आधी रातों को ख़त लिखता है
जिसका फ़ोटो वो हरदम अपने बटुए में

Ajay Amitabh Suman

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©Ajay Amitabh Suman #अश्वत्थामा,#द्रोणवध,#महाभारत,#द्रोणाचार्य,
#दुर्योधन,#Ashvatthama,#Mahabharata,#Duryodhan,#Mythology 

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-37
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Divyanshu Pathak

🌹💐पंछी😊🌻पाठक🏵🔯🕉🔯🕉🔯🌷कन्या🤗🏵😃संस्कृति🌻💠😊संस्कार🌹शब्द🌹🕉🔯🤗शक्ति🔯🕉🔯🕉🔯 कन्या का एक नाम षोडशी है। इसका अर्थ यह नहीं है कि वह सोलह साल की है

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सारे पुराणों को,उनके कथानकों को
विज्ञान के फार्मूलों की तरह खोलना होगा।
तब पहली बात तो यह स्पष्ट 
होजाएगी कि ब्रह्म शक्तिमान तो है,
किन्तु क्रिया भाव नहीं है। 
जिसका पौरूष भाव बढ़ता चला जाएगा,
उसका क्रिया भाव घटता जाएगा।
रावण की तरह उग्र और
उष्ण होता चला जाएगा।
उसका गतिमान तत्व घटता चला जाएगा।
तब उपासना से
श्रद्धा और समर्पण अर्जित करके स्त्रैण बनना ही पडेगा।
सृष्टि ब्रह्म का विवर्त तो है, दिखाई माया देती है
ब्रह्म को अपने भीतर बन्द रखती है।
प्रकृति में नर-मादा नहीं होते।
दोनों पर सभी सिद्धान्त समान रूप से लागू होते हैं
स्वरूप भिन्नता का नाम ही सृष्टि है।
उनमें समानता देखना ही दृष्टि है। 🌹💐#पंछी😊🌻#पाठक🏵🔯🕉🔯🕉🔯🌷#कन्या🤗🏵😃#संस्कृति🌻💠😊#संस्कार🌹#शब्द🌹🕉🔯🤗#शक्ति🔯🕉🔯🕉🔯
कन्या का एक नाम षोडशी है। इसका अर्थ यह नहीं है कि वह सोलह साल की है

JALAJ KUMAR RATHOUR

सुनो, एक दिन तुम गुजरो उसी स्कूल से जहाँ हम मिले थे। तुम्हे याद आयेंग बीते वो दिन फिर से ,जिनके तुम्हारे जहन में शायद कहीं अवशेष रह गए होंग #जलज

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सुनो, 
एक दिन तुम गुजरो उसी स्कूल से जहाँ हम मिले थे। तुम्हे याद आयेंग बीते वो दिन फिर से ,जिनके तुम्हारे जहन में शायद कहीं अवशेष रह गए होंगे और उन अवशेषों में मैं जरूर होऊंगा, हो सकता है तुम कुछ समय के लिए स्तब्ध हो जाओ और देखा उस सोलह साल के लड़के की प्रतिछाया को स्कूल के गेट पर जो इंतजार में  रहता था तुम्हारे,जिसे याद थे तुम्हारे हेयर बैंड के कलर,और तुम्हारे फेवरेट गाने जो तुम गुनगुनाती थी। तुम उस वक्त याद करोगी वो क्लास की सीट जिस पर उसने दिल बनाकर तुम्हारा नाम लिखा था। फिर तुम कोशिश करोगी मुझसे मिलने की  और मेरे पुराने घर आने की , उस घर पर आने की जिसकी दहलीज तक लाने के लिए वो सोलह साल का लड़का सोलह सोमवार व्रत रहा था। और शायद तुम पहुँच भी जाओ, और तुम कोशिश करो ,मेरा नाम उसी पुराने हक से पुकारने की, पर तुम्हारे स्वरो को शब्दों का रूप लेने में रोक ले तुम्हारे गले का मंगल सूत्र और फिर तुम अजनबी हो जाओ, पर दिमाग और समाज को किनारे रख कर तुम खटखटाओ मेरे दरवाजे की वो कुंडी जो तरस गयी थी तुम्हारे स्पर्श को , हो सकता है अंदर से मेरी माँ आयें और तुम्हे पार करवाये मेरे घर की दहलीज, तुम उनके इस प्रेम भाव को चावल से भरा लौटा मान लेना और थोड़ा मना करना पर वापस ना जाना,हो सकता है तुम मिलो मेरी बेटी से जिसका नाम तुमसे मिलता हो। हो सकता है। मेरी पत्नी भी मिले तुमसे, हो सकता है उस दिन तुम वजह बन मेरे और मेरी पत्नी के सवालों की, पर एक गुजारिश है ,तुम जाना जरूर उस स्कूल में, मेरी गली में, मेरे घर में, और चूमना मेरे बेटी के सिर को क्युकी चाहता हूँ मैं ,कि मेरी बेटी भी तुम्हारी जैसी बने, जिसकी नजरों में प्रेम सिर्फ माँ बाप का सत्य हो और त्याग की जो मूरत हो, हो सकता है समझ सके वो तुम्हारे और हमारे प्रेम को, क्युकी शायद मैं तब तक  रहूँ ना रहूँ पर मुझे संपूर्ण विश्वास है तुम सिखाओगी मेरी पुत्री को प्रेम का सही मतलब, उम्मीद है तुम आओगी जरूर.. ....... 
तुम्हारा दोस्त
.......... #जलज राठौर सुनो, 
एक दिन तुम गुजरो उसी स्कूल से जहाँ हम मिले थे। तुम्हे याद आयेंग बीते वो दिन फिर से ,जिनके तुम्हारे जहन में शायद कहीं अवशेष रह गए होंग

JALAJ KUMAR RATHOUR

यार कॉमरेड, सच कहूं तो छोड़ना आसान नहीं होता है और ना ही पाना।लेकिन जितनी मशक्कत हम किसी चीज को पाने में करते है उतनी ताकत से उसे छोड़ नहीं #जलज

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यार कॉमरेड,
सच कहूं तो छोड़ना आसान नहीं होता है और ना ही पाना।लेकिन जितनी मशक्कत हम किसी चीज को पाने में करते है उतनी ताकत से उसे छोड़ नहीं पाते।आज तुमसे जुड़ा हर किस्सा याद आ रहा है।मेरी जिंदगी में रंगों को भरने वाली भी तुम थीं और उसे रंगहीन करने वालीं भी तुम ही थीं।
इन्द्रधनुष के साथ रंगों से बना तुम्हारा डुपट्टा जब पहली बार मेरे चेहरे पर गिरा था तो ऐसा लगा था जैसे मैं सातवे आसमान में हूं।तुम्हारी छोटी से छोटी क्रिया मुझे विशेषण लगती थी।सच बताऊं तो मैंने बहुत कविताएं लिखीं जिनमें तुम्हें फूल,मौसम और चांद माना था।हर सोलह साल का लड़का यही तो करता है।वैसे तो प्रेम की प्रकृति ही यही है कि इसकी शुरुआत प्रकृति से ही होती है।आज तुम्हे लिखते लिखते मैं शब्दों को बुनने लगा हूं।हज़ारों वजहों के बावजूद मैं नहीं छोड़ पाता तुमसे जुड़ी कोई भी याद।कुछ चीजें जो आसान दिखती हैं वो उतनी भी आसान नहीं होती। मैं ना किनारों सा होना चाहता हूं,तुम्हारी हर मंजिल तक तुम्हारे साथ चलकर।और भी बहुत है कभी बताऊंगा मिलकर
....#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR यार कॉमरेड,
सच कहूं तो छोड़ना आसान नहीं होता है और ना ही पाना।लेकिन जितनी मशक्कत हम किसी चीज को पाने में करते है उतनी ताकत से उसे छोड़ नहीं

JALAJ KUMAR RATHOUR

lostinthoughts सुनो कॉमरेड, मुझे नही पता कि दर्द में काँधे का मिलना कितना सुकूँ देता है। मुझे नही पता कि कैसे एक सोलह साल के लड़की शादी के

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सुनो कॉमरेड, 
मुझे नही पता कि दर्द में काँधे का मिलना कितना सुकूँ देता है। मुझे नही पता कि कैसे एक सोलह साल के लड़की शादी के बाद एक औरत बन जाती है। मुझे नही पता कि प्रेम में पड़ा हर आशिक क्यूँ कविताओं को लिखता है। मगर जहाँ तक समझ पाता हूँ तो पता चलता है कि हर परिवर्तन की एक वजह होती है।तुम्हारे बदलने की भी कोई वजह रही होगी जो शायद मेरे लिए बेवजह रही होगी।मुझे आज भी याद है वो दिन जब तुम मेले में आसमानी झूले पर मेरे साथ बैठी थी। आँखे बंद कर जो विश्वास तुम मुझ पर जताती थी। वो शायद किसी ने आँखों के खुले होने पर भी नहीं जताया होगा। उस आसमानी झूले में बैठ मैं अपने जीवन के दो सबसे अजीज हिस्सों को देख खुश होता था। एक तुम और एक ये मेरा शहर।वैसे वो शहर जहाँ हम अपना बचपन बिताते हैं। कभी हमसे भुलाया नही जाता वैसे ही बचपन के प्यार को भी हम नही भुला पाते।बस यही कारण है कि तुम मेरी यादों से बिसर(भूलकर) कर नहीं जाती कहीं.... 
. .......#जलज कुमार #lostinthoughts सुनो कॉमरेड, 
मुझे नही पता कि दर्द में काँधे का मिलना कितना सुकूँ देता है। मुझे नही पता कि कैसे एक सोलह साल के लड़की शादी के

JALAJ KUMAR RATHOUR

यार कॉमरेड, किताबो के बीच रखे तुम्हारे दिए गुलाब से आज जब स्पर्श हुआ तो ऐसा लगा। जैसे आज भी तुम मेरी आंखो में आंखे डालकर, मेरा हाथ थामे हुए #जलज

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यार कॉमरेड,
किताबो के बीच रखे तुम्हारे दिए गुलाब से आज जब स्पर्श हुआ तो ऐसा लगा। जैसे आज भी तुम मेरी आंखो में आंखे डालकर, मेरा हाथ थामे हुए ,मुझे ये गुलाब दे रही हो।सच बताऊं तो मुझे नहीं पता कि एक गुलाब कैसे प्रेम का प्रतीक हो सकता है।गुलमोहर क्यूं नही? वैसे मेरे जीवन में तुम वसंत ऋतु सी ही तो थी।तुम्हारे आते ही मैं गुलमोहर के पेड़ सा खिल उठता था।बचपन में पूरी क्लास के सामने गुलमोहर वाले चैप्टर को पढ़ते हुए जब नजरें तुमसे टकराई थी तो मैं स्तब्ध हो गया था।बिल्कुल ऐसे जैसे कोई सोलह साल का लड़का अपनी प्रेमिका को देख कर हो जाता है।वो हमारी सोलह वर्ष की दुनिया कितनी अल्हड़ थी ना।जहां तुम बेफिक्र हो कर मेरे हाथो में अपना हाथ दे देती थीं।कॉलेज के बाहर वाले गुलमोहर के पेड़ के नीचे खड़े हुए मैंने ना जाने कितना इंतजार किया तुम्हारा।तुम जब भी आती थी तो एक बहाना साथ लाती थी।कल जब तुमसे मुलाकात पर तुम्हारी छोटी बेटी ने मेरा हाथ थामा तो ऐसा लगा जैसे सालों का इंतजार खत्म हुआ।सुनकर अच्छा लगा कि तुमने उसका नाम "गुलमोहर" रखा।सच में प्रेम कहानियां शादी के बाद पूरी हों ये जरूरी नहीं।
...#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR यार कॉमरेड,
किताबो के बीच रखे तुम्हारे दिए गुलाब से आज जब स्पर्श हुआ तो ऐसा लगा। जैसे आज भी तुम मेरी आंखो में आंखे डालकर, मेरा हाथ थामे हुए

JALAJ KUMAR RATHOUR

यार कॉमरेड, आज भी जब कॉलेज के बाहर की सड़कों पर चहचाती हुई लड़कियों की टोली को गुजरते हुए देखता हूं तो तुम याद आ जाती हो।आंखो में काजल और बा #जलज

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यार कॉमरेड,
आज भी जब कॉलेज के बाहर की सड़कों पर चहचाती हुई लड़कियों की टोली को गुजरते हुए देखता हूं तो तुम याद आ जाती हो।आंखो में काजल और बालों को जूडे में बांधने की तुम्हारी अदा मुझे सदैव तुम्हारी ओर आकर्षित करती थीं।
कभी कभी मंदिर जाने वाला मैं,रोज सुबह नहाकर तुम्हें देखने उसी तिराहे तक आता था।जिस तिराहे पर तुम्हारे लिए सदैव चौथी राह का विकल्प , मैं प्रतीक्षा स्वरूप रहता था।तुम्हारे संग चाय की पहली चुस्की और तुम्हारी बेबाक हंसी आज भी मेरे जीवन के सबसे सुखद पलों में से एक हैं।मुझे सच में नहीं पता की अब हम कब मिलेंगे शायद ना भी मिले।लेकिन एक बात का सुकून जरूर रहेगा की तुम्हारे संग इस अंजान शहर के हर चौक और चौराहे को मैंने जाना था।पता नहीं तुमसे मोहब्बत करते करते कब इस शहर के साथ मेरा लव ट्रेंगल हो गया।अक्सर ऐसा ही होता है हर  सोलह साल के लड़के के साथ,जिसे उसकी प्रिय से ज्यादा उसके मोहल्ले के लोग प्रेम करने लगते हैं।वैसे तो इन बातों का कोई अर्थ नहीं है लेकिन मेरी ये बातें मेरे प्रेम पत्र की तरह व्यर्थ भी नहीं है।
.....#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR यार कॉमरेड,
आज भी जब कॉलेज के बाहर की सड़कों पर चहचाती हुई लड़कियों की टोली को गुजरते हुए देखता हूं तो तुम याद आ जाती हो।आंखो में काजल और बा

JALAJ KUMAR RATHOUR

यार कॉमरेड, मुझे नहीं पता कि प्रेम का इजहार कर के लोग इतना खुश क्यूं होते हैं। शायद हम इंसानों की प्रकृति ही हो गई है कि हम जब तक लोगो से अप #जलज

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यार कॉमरेड,
मुझे नहीं पता कि प्रेम का इजहार कर के लोग इतना खुश क्यूं होते हैं। शायद हम इंसानों की प्रकृति ही हो गई है कि हम जब तक लोगो से अपने जीवन में होने वाले सुखद पलो को ना सुन ले, तब तक हम खुश हो नहीं हो पाते।मुझे नहीं पता कि चांद ने चांदनी से कभी अपने प्रेम का इजहार किया कि नहीं।मैंने कभी नहीं सुना  कि सूरज ने सांझ से साथ रहने का वादा लिया हो।कुछ चीजों का एहसास करा कर हम, उन्हें या तो किसी की नजरों में बड़ा लेते हैं या गिरा लेते हैं।"पता नहीं क्यूं हर बार प्रेम को जताना पड़ता है।क्या बिना इजहार किए हम किसी से प्रेम नहीं कर सकते।या फिर वो हमसे तभी प्रेम करेगा जब हम उसको ये बताएंगे"
इन्हीं हज़ारों सवालों को लेकर चाय की चुस्की लेता हुआ मेरा मित्र मुझसे प्रेम और उसके अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा कर रहा था।उसकी भी बात जायज थीं।आज जब उसके बचपन के क्रश की सहेली ने बताया कि उसकी क्रश भी उससे प्रेम करती थी। तो वो खुद को कोसने लगा।ना जाने ऐसे कितनी ।  प्रेम कहानियां खत्म हो जाती हैं सोलह साल की उम्र से बीस साल की उम्र तक आते आते।सच बताऊं तो कसक तो आज मेरे ह्रदय में भी है को काश हम भी तुमसे अपने प्रेम का इजहार करपाते।
  ....#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR यार कॉमरेड,
मुझे नहीं पता कि प्रेम का इजहार कर के लोग इतना खुश क्यूं होते हैं। शायद हम इंसानों की प्रकृति ही हो गई है कि हम जब तक लोगो से अप

JALAJ KUMAR RATHOUR

यार कॉमरेड, कल वैलेंटाइन डे है।वहीं दिन जिस दिन का इंतजार मैंने सोलह साल के बाद आने वाली हर साल तक किया था। मैं नादान सोचता था कि शायद इस दि #Happy #जलज

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यार कॉमरेड,
कल वैलेंटाइन डे है।वहीं दिन जिस दिन का इंतजार मैंने सोलह साल के बाद आने वाली हर साल तक किया था। मैं नादान सोचता था कि शायद इस दिन तुम मुझे और मेरे प्रेम को अपना लोगी।लेकिन मैंने कभी जताया ही नहीं जो मेरे ह्रदय में तुम्हारे प्रति था।मेरा प्रेम सीमित था,क्लास की सीटों ,दीवारों और रफ़ कॉपियों पर तुम्हारे संग लिखे मेरे नाम तक।तुम,जिसे मेरे दोस्त भाभी बुलाते थे।पता नहीं क्यूं लेकिन इतना जरूर जानता हूं कि तुम्हारे संग मेरा नाम,तुम्हारी शादी के कार्ड पर भले ही न रहा।लेकिन हमारी क्लास के हर लड़के- लड़की की जुबान पर मेरे साथ तुम्हारा नाम आज भी जोड़ा जाता है।तुम्हारे लिए किए गए मेरे जतन और प्रयत्न मेरे जीवन के सर्वश्रेष्ठ प्रयत्नों में से थे।मैंने 12 वी से पहले हर वैलेंटाइन डे पर तुम्हारे लिए गुलाब खरीदा था लेकिन कभी दिया नहीं था।लेकिन बारहवी में मैंने हिम्मत और पैसे जुटा कर तुम्हे जो गुलाब दिया था वो मेरे जीवन का सबसे बहुमूल्य खर्चा था।तुम्हारी खामोशी ने उस रोज मेरा दिल नहीं बल्कि भ्रम तोड़ा था।वैसे सच बताऊं तो चीजों का बेवजह जुड़े रहने से अच्छा है टूटकर खुद की पहचान बनाना।आज मुझे नहीं पता मैं क्या हूं लेकिन इतना जरूर जानता हूं कि मैं जो भी हूं उसकी वजह तुम हो।....#जलज कुमार राठौर
#happy valentine day @dear_Comrade

©JALAJ KUMAR RATHOUR यार कॉमरेड,
कल वैलेंटाइन डे है।वहीं दिन जिस दिन का इंतजार मैंने सोलह साल के बाद आने वाली हर साल तक किया था। मैं नादान सोचता था कि शायद इस दि
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