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Kiran Chaudhary
हाल कुछ यूं है इन दिनों मेरा, कि पिछली चीज़ें में याद नहीं करना चाहती और, मूव ओं मैं कर नहीं पा रही।। ©Kiran Chaudhary हाल कुछ यूं है इन दिनों मेरा..
हाल कुछ यूं है इन दिनों मेरा..
read moreKiran Chaudhary
ये एक आखिरी खत होगा तो मैं तुम्हारे नाम लिख रही हूं, कहना तो बहुत कुछ है मगर कलम ने भी मेरा साथ छोड़ दिया है। ©Kiran Chaudhary कलम ने भी मेरा साथ छोड़ दिया है।।
कलम ने भी मेरा साथ छोड़ दिया है।।
read moreDhaneshdwivediwriter
मेरा सुख चैन खो रहा है अंदर ही अंदर तेरी यादों का बवंडर उमड़ रहा है। ©Dhaneshdwivediwriter मेरा सुख चैन खो रहा है अंदर ही अंदर तेरी यादों का बवंडर उमड़ रहा है
मेरा सुख चैन खो रहा है अंदर ही अंदर तेरी यादों का बवंडर उमड़ रहा है
read moreKundan Kumar
White मेरा भारत महान है कोई बोलेगा रे ©Kundan Kumar #मेरा #भारत #महान #है
वैभव जैन
White 💠मेरा दिल 💠 🎄मेरी दौलत 🎄 मेरे मित्र पूछते हो मेरी प्रसन्नता का राज पूछते हो मेरी दौलत के बारे में कौनसा खजाना है मेरे पास जो हरदम मुझे प्रसन्न रखता है जानना चाहते हो मित्र तो सुनो ध्यान से सुनो मेरी दौलत ऐसी दौलत नहीं है जिसे मुझे कोई और दे सके अथवा मुझसे कोई मेरी दौलत छीन सके मेरी दौलत मेरा अपना खूबसूरत दिल है मेरी दौलत मेरी अपनी उजली सोच है मेरी दौलत मेरा मनुष्य होना है एक ऐसा मनुष्य जिसे इंसानियत से प्यार है जिसके हृदय में प्रभु कृपा से सद भावो की बहार है सबके सुख की कामना है सब को मिले शांति सबका कल्याण हो यह मेरी आत्मा की पुकार है जियो और जीने दो का संस्कार है गुरु कृपा से पावन मन पवित्रता का आधार है आप मित्रों का स्नेह ही मेरी प्रसन्नता का त्यौहार है ©वैभव जैन #मेरा दोस्त
#मेरा दोस्त
read moreवैभव जैन
White 🔷🔶मेरा मन🔷🔶 कीचड़ और कीचड़ से मुक्ति दोनों जल से होती है पाप बंध और पाप से मुक्ति दोनों मन से होती है मन से बंधन से मन मुक्ति मन में ही महावीर बसा मन ही रावण मन दुर्योधन मन में ही तो कंश बसा संयम धारण करले मन कुंदन करेगी तप की अगन निज में रमजा अब तो मन चिंतन मंथन कर ले मन राम जगेगा तुझ में मन ओ मेरे बैरागी मन ©वैभव जैन #मेरा मन
#मेरा मन
read moreनवनीत ठाकुर
White मेरा ग़म अब मुझे महसूस कम होता है, जैसे मछली को न हो ख़बर कि समंदर क्या होता है। वो गहराइयाँ अब मेरे हिस्से में यूँ समा गई हैं, जिनमें दर्द का दरिया है, पर कोई असर नहीं होता है। हर मौज का थपेड़ा अब आहिस्ता सा लगता है, दर्द का भी अपना अलग ही सफर होता है। जिसमें डूब कर कभी साँस थम जाने का ख़ौफ था, अब वही ग़म मेरा साथी, मेरा हमसफ़र होता है। अब तो अश्क भी आँखों में ठहरे रहते हैं, दिल के हर ज़ख्म पर जैसे बेअसर होता है। दर्द का दरिया बहता है, पर कोई तासीर नहीं, इस दिल की वीरानी में अब कोई असर नहीं होता है। मेरा ग़म अब मुझे महसूस कम होता है, जैसे मछली को न हो ख़बर कि समंदर क्या होता है। ©नवनीत ठाकुर #मेरा दर्द अब मुझे कम महसूस होता है
#मेरा दर्द अब मुझे कम महसूस होता है
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