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Amit Singhal "Aseemit"
बहुत बड़ा और गहरा है पीड़ा का समंदर, जो छुपा रखा है मैंने अपने मन के अंदर। मुख पर मुस्कान रहे और शांत दिखता हूं, परंतु मन में घूमता रहता घनघोर बवंडर। ©Amit Singhal "Aseemit" #पीड़ा #का #समंदर
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
Poet Shivam Singh Sisodiya
पीड़ा का एक एकतारा नित दिल में गूँजा करता है | जब जब झाँकूं दिल कमरे में तब तब मन ये डरता है || बैठ अँधेरे दिल में तन्हा लड़की आहें भरती है, उठता सिहर तभी तन जब उस कोने से जो गुज़रता है || कह पड़ता तब मन अधीर, तू क्यों ये मोती खोती है ? वह रोती, मैं गा देता, कविता की रचना होती है || -शिवम् सिंह सिसौदिया "अश्रु" पीड़ा का एक एकतारा
Jogendra Singh writer
आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची क्या है Answer in comment section ©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची #Light
kanchan Yadav
"" हर एक मुस्कान के पीछे सुकून हो जरूरी नहीं होता, दुनिया को दिखाने के लिए इंसान हंसता रहता, पर खुद अंदर ही अंदर दर्द में घूटता रहता, शानो शौकत की कमी नहीं है फिर भी इंसान अकेला होता, दर्द अपना बता सके ऐसा कोई , अपना उसके पास नहीं होता तनहाई मानसिक पीड़ा में धीरे से दम वो तोड़ देता, अपनी उस मुस्कान के पीछे न जाने कितने राज वो छोड़ देता मौत को गले लगाकर, हजार हजार प्रश्न छोड़ देता ।।"" @kanchan Rip 😔🙏🙏🙏🙏💐💐🙏🙏 #SushantSinghRajput ##मानसिक पीड़ा मृत्यु का द्वार
विष्णु कांत
जिस पीड़ा की गहराई को मैने मापा है, अगर तुम होते तो उसके बहाव में डूब जाते। ©विष्णु कांत #पीड़ा
Pushpvritiya
"पीड़ा" पलायन करती हैं न, इस "हृदय" से उस "हृदय" तक................ @पुष्पवृतियां ©Pushpvritiya #पीड़ा
Rakhi Om
"पीड़ा " कल रात निकली पड़ी थी ख्वाबों में अपनी पुरानी दुनिया मे रास्ते मे फूल मुरझाए पड़े थे लोग आंखों में पानी भरे थे बादल भी रो पड़े थे खेत भी परेशान खड़े थे भारत माँ के दो टुकड़े पड़े थे एक हिंदुस्तान, एक पाकिस्तान पड़ा था रास्ते मे अँधेरा बड़ा गहरा था में लौट आ रही हू अपनी पुरानी दुनिया से पीड़ा असहनीय है क्योंकि भारत मां के एक तरफ हिंदुस्तान खड़ा है और और दूसरी तरफ पाकिस्तान खड़ा है Rakhi's Om ©Rakhi Gupta # पीड़ा #
R K Mishra " सूर्य "
एक अजीब सी पीड़ा खाए जा रही है कैसे औ किसको बताऊं रुलाए जा रही है एक अजीब सी..... यादों में खोऊ तो बरसती हैं आखें बरसती हैं आखें तो तरसती है यादें उम्मीदों की दुल्हन जिलाये जा रही है एक अजीब सी...... सुनता तो है वो मगर मौन होकर चुपके से आते चले जाते रोकर समय कैसी हरकत कराए जा रही है एक अजीब सी...... सुलझती है उलझन मगर कैद करके सज़ा देती खुलकर मगर अपना बनके मैं हूं "सूर्य" फिर भी बनाए जा रही है एक अजीब सी....... ©R K Mishra " सूर्य " #“पीड़ा”