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Mukesh Poonia
मनुष्य के दांतों-आंतों की संरचना एवं पाचन शक्ति के अनुसार शाकाहार उसके लिए सर्वश्रेष्ठ है मनुष्य के दांतों-आंतों की संरचना एवं पाचन शक्ति के अनुसार शाकाहार उसके लिए सर्वश्रेष्ठ है
Anil Ray
घर परिवार में आजकल है वार्तालाप मौन दीवारों कहे अब असभ्य वाग्युद्ध कहानी। मीलों दूर ऑनलाइन निहारती रहती नज़र अब मेले में भी अकेलेपन में क्यों जवानी? मर - मिटना परमार्थ और परिवार हितार्थ नही अब युवावर्ग में, देश प्रेम की रवानी। बेरोज़गारी के पथ पर अग्रसर शिक्षा अब नही कोई सुविकसित सफलता निशानी। राजनीति परिवर्तित है आज कूटनीति में शासक स्वेच्छाचारी रहकर करे मनमानी। पथभ्रष्ट होकर रासलीला में लिप्त है नेता इच्छा रातें रंगीन और चाह शाम रूहानी। खटमल बन लहू चूसा बेचारे आदमी का बस शेष रही पूंजिपति घरानों की रोशनी। इस प्रकाश में भी अंधकारमय कुछ चेहरे कमबख्त शोषक! का क्या करूं बयानी। ©Anil Ray ⭐⭐⭐⭐🌟⭐⭐⭐⭐ ज़ालिम बादशाह! तेरे जुल्मों की सहनशक्ति नहीं है भूखी आंतों में। देखना अनिल अब दिन दूर नहीं तलवार होगी कलम वाले हाथों में। ⭐⭐ इंकला
Gayatri Modhave
शिवबाची थोरवी गावी तेवढी कमी ये, शिवबा महाराष्ट्रची आन , बान, शान, अभिमान ये. शूर्ता, धैर्य, चातुर्य, गणीमे कावे,जनतेचे प्रतिनिधीत्व, सर्व आजवर त्यांच्या मावळ्यांच्या मनात रुजु आहे . कील्यांची पूर्ती , त्यातील आंतोणात इतिहास आजही डोळ्यासमोर लखं झळकतो. महाराजांची कऱ्यशयलीची स्तुती करावी तेवढी कमी ये.. असा राजा पुन्हा होने नाही...! जय भवानी जय शिवाजी 🚩 ©Gayatri Modhave शिवबाची थोरवी गावी तेवढी कमी ये, शिवबा महाराष्ट्रची आन , बान, शान, अभिमान ये. शूर्ता, धैर्य, चातुर्य, गणीमे कावे,जनतेचे प्रतिनिधीत्व, सर्व
Guruwanshu
इस देश ना आना लाड़ो, लाड़ो इस देश ना आना.. (Must Read In Caption) #JusticeForTwinkleSharma एक बार इंसानियत ने मुह की खाई है फिर हैवानों ने ये दरिन्दगी दिखाई है इनको सज़ा मौत से बढ़कर दी जाए क़्योंकि इन आदमखोरो ने रूह हिलाई है जब तूने
Vandana
वैसे किसी को ज्ञान की बातें अच्छी लगती नहीं,, सब अपने ही एक्सपीरियंस पर चलते है,, पर फिर भी चलते फिरते एक ज्ञान बांट दू,,,, कभी-कभी हम अपनी छोटे-छोटे कर्मों से भी बहुत बड़े पाप कर देते हैं। जैसे घर में कभी कांच फूट जाए तो उसे खुले में फेंक देना अगर वह कांच किसी को
रजनीश "स्वच्छंद"
जगह मिलने पर पास देंगे।। ज़िन्दगी अनवरत भागती कहती मुझसे, जगह मिलने पर पास देंगे। ज़िन्दगी रातों को जागती कहती मुझसे, जगह मिलने पर पास देंगें। किन हाथों की उंगली पकड़ चला था, क्या शेष बचा जो चलना था। ज़िन्दगी हाथों को झाड़ती कहती मुझसे, जगह मिलने पर पास देंगे। किन रिश्तों का मन मे वहम पला था, क्या शेष बचा जो पलना था। ज़िन्दगी नातों को जानती कहती मुझसे, जगह मिलने पर पास देंगे। अनजान था सब से पर बहुत खला था, क्या शेष बचा जो खलना था। ज़िन्दगी बातों को भाँपती कहती मुझसे, जगह मिलने पर पास देंगे। लगा एक आग मैं दिल मे बहुत जला था, क्या शेष बचा जो जलना था। ज़िन्दगी यादों को झांकती कहती मुझसे, जगह मिलने पर पास देंगे। बांट मुझे मिलकर सबने बहुत छला था, क्या शेष बचा जो छलना था। ज़िन्दगी जातों को छांटती कहती मुझसे, जगह मिलने पर पास देंगे। अहं के ज्वर में जीवन ये बहुत गला था, क्या शेष बचा जो गलना था। ज़िन्दगी मातों को आंकती कहती मुझसे, जगह मिलने पर पास देंगे। क्षुधा-स्वार्थ ही जीवतरु में बहुत फला था, क्या शेष बचा जो फलना था। ज़िन्दगी आंतों को नापती कहती मुझसे, जगह मिलने पर पास देंगे। परमेश्वर भी पाषाण में बहुत ढला था, क्या शेष बचा जो ढलना था। ज़िन्दगी नाथों को ढाँपती कहती मुझसे, जगह मिलने पर पास देंगे। शुष्क रेत पर जीवन ये बहुत तला था, क्या शेष बचा जो तलना था। ज़िन्दगी माथों को थामती कहती मुझसे, जगह मिलने पर पास देंगे। समय भी बेपरवाह ये बहुत टला था, क्या शेष बचा जो टलना था। ज़िन्दगी रातों को कांपती कहती मुझसे, जगह मिलने पर पास देंगे। ©रजनीश "स्वछंद" जगह मिलने पर पास देंगे।। ज़िन्दगी अनवरत भागती कहती मुझसे, जगह मिलने पर पास देंगे। ज़िन्दगी रातों को जागती कहती मुझसे, जगह मिलने पर पास देंगें