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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास । वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१ गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप । मिट जायेंगे एक दिन , सब तेरे संताप ।।२ जीवन के हर मोड़ पर , करिये गुरु का ध्यान । हो जायेंगी आपकी , राहें फिर आसान ।।३ स्वस्थ करो गुरुदेव को , विनती है रघुनाथ । उनका अपने शिष्य पर , रहता निशिदिन हाथ ।।४ तन पर दिखता है नहीं , अब तो कहीं गुलाल । मन में ज्यों का त्यों रहा , सबके आज मलाल ।।५ रंग प्रीति का जब चढ़े , फीका लगे गुलाल । आज सखी पाहुन मिले , हुए लाल फिर गाल ।।६ भटक गये हैं लोग सब , बिगड़ गये त्यौहार । मुर्गा दारू बिन यहाँ , नज़र न आये प्यार ।।७ २८/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास । वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१ गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप । मिट जायेंगे एक दिन , सब त
Sangeeta Kalbhor
अभंग... तुझ्या समीप येण्याचे नकोत मला बहाणे तुला जाणवावे आवडते समीप तुझ्या राहणे तन माझे भेदणारा कटाक्ष तुझा करारी सावळ्याची राधा मी सावळाच रे मुरारी मखमल तुझ्या लोचणी अलवार मी पांघरते क्षणभराची साथ तुझी फार मुश्किलीने आवरते मिठीत होते गुडूप जेव्हा माझा वसंत तू होतो बहर रोमरोमी अन् मनी माझा आसमंत तू होतो नाही ठाऊक मजला चूक काय नि काय बरोबर माझ्या काळजातला तू अथांग पसरलेला सरोवर लट होते बावरी स्पर्शिता तू तिला अलवार भावना भेटता भावनेला होते की रे गरवार सहस्त्र श्वासांचे मिलन प्रणयाला येतो रंग मनामनाच्या मिलनाला रहावेच लागेल अभंग..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor अभंग... तुझ्या समीप येण्याचे नकोत मला बहाणे तुला जाणवावे आवडते समीप तुझ्या राहणे तन माझे भेदणारा कटाक्ष तुझा करारी सावळ्याची राधा मी सावळा
Rishu singh
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. हाथों से उड़ा गुलाल आसमान को लाल कर गया 😍😍😍😍😍 ©Rishu singh #holi2024 हाथों से उड़ा गुलाल आसमान को लाल कर गया 😍😍😍😍😍
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
लेकर हाथ गुलाल में , चला लगाने रंग । आ जायें जो सामने , लगा उन्हें लें अंग ।। रंग छुपाये हैं सभी , देख हाथ में ग्वाल । अब बचकर चलना सखी , छुपे नन्द के लाल ।। हो जाओगी अप्सरा , अगर रंग दूँ डाल । गोरे-काले गाल ये , हो जायेंगे लाल ।। भर पिचकारी मार दूँ , जब मैं प्रीत फुहार । आकर दोगी बोल तुम , हमको तुमसे प्यार ।। आज प्रीत के रंग का , चढ़ा सभी को रंग । जीजा साली झूमते , देखो पीकर भंग ।। १५/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लेकर हाथ गुलाल में , चला लगाने रंग । आ जायें जो सामने , लगा उन्हें लें अंग ।। रंग छुपाये हैं सभी , देख हाथ में ग्वाल ।
paritosh@run
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. पुरानी होली का थोड़ा सा गुलाल बचा कर रखा है... उसका इश्क हमने कुछ यू संभाल कर रखा है... ©paritosh@run पुरानी होली का गुलाल.. Sm@rty divi pandey Ruchi Rathore Prajwal Bhalerao Anshu writer कथायति Ak.writer_2.0 AD Grk Khushboo Gola Dhyaan mira
ANIL KUMAR
इस बरस भी फिर से वही मलाल रह गया हाथों में तेरे नाम का गुलाल रह गया! ©ANIL KUMAR तेरे नाम का गुलाल
Shivkumar
तुमनें छुआ तो जैसे रंग गया जहां, बेरंग थी मुस्कान वो अब रही कहां, बंद आंखों में कैद कर लिए लम्हें, कि हमेशा लगे तू अब भी है यहां ! मेरा रंग उतर तेरा रंग ऐसा चढ़ा कि, जहां भी जाऊं, लगे हर कुछ नया, गुलाल की खुश्बू से गुलजार है दिन, कि कैसे इस खुशी को करूँ मैं बयां ! बालों से उड़ता गुलालों का हुजूम, और रंगीन करता जैसे ये समां, तुमनें छुआ तो जैसे रंग गया जहां, बेरंग थी मुस्कान वो अब रही कहां ! ©Shivkumar #Holi #holihai #happyholi #happyholi2024 #happyholi2025 #happyholi2026 तुमनें छुआ तो जैसे #रंग गया जहां, बेरंग थी #मुस्कान वो अब रही
संगीत कुमार
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. ऊंच नीच की ऐसी तैसी मिलजुल हम सब गाये प्रीति रंग गुलाल लगाये मिलजुल खेले खूब प्रीत की होली ऊंच नीच की ऐसी तैसी ईर्ष्या द्वेष को दूर भगाये प्रीत की खूब अलख जगाये मिलकर हमसब सुसंगीत गाये आओ आओ होली खेले ऊंच नीच की ऐसी तैसी खूब मिठाई हम सब खाये आओ आओ त्यौहार मनाये कटुता को मन से दूर भगाये हिया में खूशी का रंग घोल डाले ऊंच नीच की ऐसी तैसी खूब रंग हम सब मिल डाले भींगे तन मन खिल जाये गालो पर गुलाल लगाये अधरों पर मुसकान छा जाये ऊंच नीच की ऐसी तैसी ©संगीत कुमार #holi2024 ऊंच नीच की ऐसी तैसी मिलजुल हम सब गाये प्रीति रंग गुलाल लगाये मिलजुल खेले खूब प्रीत की होली ऊंच नीच की ऐसी तैसी ईर्ष्या द्वेष