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Naushad bin Sharif
Unsplash 1. "दिखावे के शरीफ बनने की आदत नहीं है हमारी" मीनिंग: हमें दिखावे के लिए अच्छा बनने की जरूरत नहीं है, हम सच्चे और ईमानदार हैं। 2. "शब्द चाहे जैसे भी हो खुलेआम लिखते हैं" मीनिंग: हम अपने विचारों को खुलकर और स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हैं, चाहे हमारे शब्द कितने भी कठोर या सच्चे क्यों न हों। ©Naushad bin Sharif #Booसाथ: 1. "दिखावे के शरीफ बनने की आदत नहीं है हमारी" मीनिंग: हमें दिखावे के लिए अच्छा बनने की जरूरत नहीं है, हम सच्चे और ईमानदार हैं। 2
#Booसाथ: 1. "दिखावे के शरीफ बनने की आदत नहीं है हमारी" मीनिंग: हमें दिखावे के लिए अच्छा बनने की जरूरत नहीं है, हम सच्चे और ईमानदार हैं। 2
read morex._.mahira_
White प्यार के लिए तो सब बहुत कुछ लिखते है चलो आज माँ के लिए एक लाइन लिख के दिखाओ ©x._.mahira_ प्यार के लिए तो सब बहुत कुछ लिखते है चलो आज माँ के लिए एक लाइन लिख के दिखाओ
प्यार के लिए तो सब बहुत कुछ लिखते है चलो आज माँ के लिए एक लाइन लिख के दिखाओ
read moreShivkumar barman
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset 🌿❤️मेरी यादों से दूर हो गए हो, खुश रहो, मेरे जज़्बातों में चूर हो गए हो, खुश रहो...🥀💔 🌿❤️तुम्हारी तस्वीरो में चमक देखी है मैंने, पहले से तो निखर गए हो, खुश रहो...🥀💔 🌿❤️वफ़ा के अफसाने जो तुम लिखते थे, उन्हीं से मुकर गए हो, खुश रहो...🥀💔 🌿❤️छोड़ गए जो तुम साथ, मेरा हाथ, किसी और में तो बसर गए हो, खुश रहो...🥀💔 🌿❤️मोहब्बत एहसास था, एक प्यार का, उस ख्वाब से भी गुज़र गए हो, खुश रहो...🥀💔 🌿❤️कभी था तू मेरा साथी, मेरा हमराही, मेरे दिल से तो अब उतर गए हो, खुश रहो...🥀💔 ©Shivkumar barman 🌿❤️मेरी यादों से दूर हो गए हो, खुश रहो, मेरे जज़्बातों में चूर हो गए हो, खुश रहो...🥀💔 🌿❤️तुम्हारी तस्वीरो में चमक देखी है मैंने, पहले से तो
🌿❤️मेरी यादों से दूर हो गए हो, खुश रहो, मेरे जज़्बातों में चूर हो गए हो, खुश रहो...🥀💔 🌿❤️तुम्हारी तस्वीरो में चमक देखी है मैंने, पहले से तो
read morevish
सोचा चलो आज कुछ लिखते हैं दास्ताँ ने ख़ास रखते हैं आपके सामने कुछ महफूज़ रखते हैं कुछ दिल की बात साझा करते हैं महफ़िलें रंगिन हुई होगी कईं इस पल को यादगार करते हैं आज कुछ कह चलते हैं जिंद़गी ©vish # आज कुछ लिखते हैं
# आज कुछ लिखते हैं
read moreचेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
जैसा हम लिखते हैं, वैसा ही; हमारे व्यवहार में हो, हमें अपेक्षा रहती है, हमसे किसी की उपेक्षा ना हो, हमने भी देखा है , ज़माने में लोगों को बदलते हुए, हमसे छोटा ही रहें, संसार में हमसे कोई बड़ा ना हो। (मौलिक रचना) चेतना प्रकाश चितेरी ४/१/२०२५, ७:३० अपराह्न ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # जैसा हम लिखते हैं वैसा ही ; हमारे व्यवहार में हो
# जैसा हम लिखते हैं वैसा ही ; हमारे व्यवहार में हो
read moreनवनीत ठाकुर
Unsplash जिंदगी के सफर में जो मौन रहते हैं अक्सर, उनकी खामोशी में कई राज़ छुपे होते हैं। सूरत की जगह, हर किसी की नज़रों से देखो, कुछ जख्म चेहरे पे नहीं, दिल में रहते हैं। राहों में खो जाने वाले, कभी नहीं हारते, वो अपनी तक़दीर खुद से लिखते हैं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर जिंदगी के सफर में जो मौन रहते हैं अक्सर, उनकी खामोशी में कई राज़ छुपे होते हैं। सूरत की जगह, हर किसी की नज़रों से देखो, कुछ जख
#नवनीतठाकुर जिंदगी के सफर में जो मौन रहते हैं अक्सर, उनकी खामोशी में कई राज़ छुपे होते हैं। सूरत की जगह, हर किसी की नज़रों से देखो, कुछ जख
read moreनवनीत ठाकुर
Unsplash लफ़्ज़ दिल में थे, वो कागज़ पे आ न सके, ख़ामोशी में ही दबी सारी कहानी हो गईं। शाम-ए-ग़म में जलाए थे जो उम्मीद के चराग़, वो भी बुझते-बुझते बस एक निशानी हो गईं। इश्क़ में लिखते रहे हम हज़ारों किस्से, मगर सच्चाई में वो सब बेमानी हो गईं। वो कसमें, वो वादे, वो लम्हों की गहराइयाँ, अब किताबों की तरह बंद कहानी हो गईं। जो हमने देखा था कभी चाँद की रोशनी में, वो उम्मीदें भी अब धुंधली कहानी हो गईं। जिनसे रोशन था कभी हर एक कोना-ए-दिल, वो रोशनी भी अंधेरों की मेहरबानी हो गईं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर लफ़्ज़ दिल में थे, वो कागज़ पे आ न सके, ख़ामोशी में ही दबी सारी कहानी हो गईं। शाम-ए-ग़म में जलाए थे जो उम्मीद के चराग़, वो भी
#नवनीतठाकुर लफ़्ज़ दिल में थे, वो कागज़ पे आ न सके, ख़ामोशी में ही दबी सारी कहानी हो गईं। शाम-ए-ग़म में जलाए थे जो उम्मीद के चराग़, वो भी
read moreneelu
White लिखने का समय अलग होता है पढ़ने का समय अलग होता है और समझने का समय और भी अलग होता हैi लिखते रहिए पता नहीं ...किसको क्या पढ़ना है कहते रहिए पता नहीं.. किसको क्या सुनना है ©neelu #sad_quotes #लिखने का समय अलग होता है पढ़ने का समय अलग होता है और समझने का समय और भी अलग होता हैi लिखते रहिए पता नहीं ...किसको क्या पढ़न
#sad_quotes #लिखने का समय अलग होता है पढ़ने का समय अलग होता है और समझने का समय और भी अलग होता हैi लिखते रहिए पता नहीं ...किसको क्या पढ़न
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