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Lotus Mali
HARSH369
इस मन कि व्यथा किसे सुनाऊं कोई साथ नही मेरे सुनने को..! इस मन कि व्यथा..! सीधा हूं भोला हूं, प्यारा हूं, जग से न्यारा हूं ना नौकरी है, ना ही कोई रोजगार है, अपने आप से ही हारा हूं.. इस मन कि व्यथा..! कोई प्रेम से पुकारने वाला नही, कोई प्यार करने वाला नही, हर रूह मे मेरे लिये कोई जगह नही तपस्या मे बैठा हूं किसी ने ढंग से पुकारा नही, इस मन कि व्यथा..किसे सुनाऊं कोई समझने वाला नही..!! ©HARSH369 #मन की व्यथा
HARSH369
मन कि व्यथा मन ही जाने, ना तुम जान सको न मैं जानू क्या मन करवाये क्यू करवाये ये मन ना तुम जान सको ना हि मैं जानू.. बेधड़क बोलता हूं,बेखौफ बोलता हूं रिस्तो के बन्धन को कान्टों पर तोलता हूं जिसके पास जितना पैसा, उसी कि सरकार है बाकि बेकारो के लिये बेकार परिवार है,..! बाकि ये सब क्यूं बनाया भगवान ने ना तुम जान सके ना हि मैं जानू..! मन की व्यथा..मन हि जाने..!! ©SHI.V.A 369 #मन की व्यथा..!! #कविता मन की
Mamta Singh
आप सभी को विश्व कविता दिवस कि हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🌹 अनुशीर्षक में पढ़े 🙏 ©Mamta Singh #WritersSpecial कविता ये हैं क्या!! चंद शब्दों,या कुछ पंक्तियों का समूह। या किसी विरहनी के अंतर्मन से निकली व्यथा। किसी भक्त के वाणी से निकल
manju Ahirwar
मन की व्यथा सुनाऊं तो किसे ? कोई है अपना ।? शायद नहीं..... कौन जाने कितना टूटा हुआ है अंदर ही अंदर बिखर रहा है। जख्म अब नीले या हरे नहीं होते कोई पूछे तो अब शब्दों में बयां नहीं होते । जो है ,अपना है,अपने तक ही रख लूं ना बताऊं किसी को , ये राज़ , राज़ ही रख लूं।।। ©manju Ahirwar #मन #राज़ #व्यथा #Life
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Jai Shri Ram मनहरण घनाक्षरी:- भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा , पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं । छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया , भज ले तू प्रभु नाम , थामे तेरा हाथ हैं । पग-पग देख तेरे , चलते है नाथ मेरे , कहीं भी अकेला नहीं, वही तेरे साथ हैं । वही कण-कण में हैं , वही तेरे प्रण में हैं, जान ले तू आज उन्हें , वही प्राण नाथ हैं ।।-१ वही राधा कृष्ण अब , वही सिया राम अब , वही सबके कष्टों का , करते उतार हैं । कहीं नहीं आप जाओ , मन में उन्हें बिठाओ, मन के ही मंदिर से , करते उद्धार हैं । भजो आप आठों याम , राम-सिया राधेश्याम, सुनकर पुकार वो , आते नित द्वार हैं, असुवन की धार वे , है रोये बार-बार वे , देख-देख भक्त पीर , आये वे संसार हैं ।।२ १४/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी:- भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा , पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं । छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया , भज ले
Golden Navbharat
Pragya Amrit
मुस्कान रहे तो नसीब में, तस्वीरों में सब मुस्काते। दिलबर रहे तो करीब में, पीरों में वो कब हर्षाते।। #व्यथा
BS NEGI
निज मन की मौन व्यथायें भी मसिपथ पर भारी पड़ती हैं । अनकही वेदना निर्धन की आ कभी सृजन से लड़ती हैं। ©BS NEGI मौन व्यथा
DM Yadav
लोग पराये की तलाश में .. अपने खो देते है...!! ©DM Yadav #L♥️ve #shayri #breakup #sad_emotional_shayries Monisha Reddy Dimple कुमार रंजीत (मनीषी) Mriti_Writer_engineer कथा और व्यथा!