Nojoto: Largest Storytelling Platform

New नौनिहाल छात्रवृत्ति Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about नौनिहाल छात्रवृत्ति from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, नौनिहाल छात्रवृत्ति.

    LatestPopularVideo

Ravendra

शिक्षण संस्थान के वार्षिकोत्सव में सम्मिलित हुए कारागार राज्यमंत्री बहराइच के सुरजापुर माफी स्थित आनन्द पब्लिक स्कूल के वार्षिकोत्सव कार्यक् #न्यूज़

read more

Krish Vj

#restzone #rzलेखकसमूह #rztask453 एक कतरा मोहब्बत :- एक कतरा मोहब्बत ❤️ वक़्त का सितम और यह पेट की जलती आग 🔥 क्या कहूँ बेबस हूँ, अपनों

read more
एक कतरा मोहब्बत ❤️
वक़्त का  सितम और यह पेट की  जलती आग 🔥 क्या कहूँ
बेबस हूँ, अपनों ने ही  किया  छल, अब  किसी से मैं क्या कहूँ

अनजानी राहों में  किसी  ने दुत्कारा, किसी  ने मारा क्या कहूँ
इंसानियत होकर  शर्मशार,  करती  सफ़र  ज़िंदगी में क्या कहूँ 

कुछ दूर और चला  मुसाफ़िर, भटकता भूखा-प्यासा क्या कहूँ 
देखी एक बुढ़ी माँ, फटे हाल, भूख से  थी वो बेहाल क्या कहूँ 

इंसानियत  की दुहाई दे कर  माँगती भीख दर-ब-दर क्या कहूँ 
बैठ गया मैं भी उसके पास, ख़ामोश सी  यह  जुबान क्या कहूँ 

लौटते  देखे कुछ नौनिहाल, 'प्रेम' से मुस्कराते  चेहरे क्या कहूँ 
दूर रुक  कर देखा, आकर प्रेम  से पूछा क्या हुआ? क्या कहूँ 

समझते  देर ना लगी, रूप थे  ईश्वर का,भूखे  है दोनों क्या कहूँ
टटोली पोटली और रख दिए पकवान, इस प्रेम का मैं क्या कहूँ

तुतलाती हुई ज़बान से हम  रोज 😊  लाएंगे, अब मैं क्या कहूँ 
बंध गया हौंसले का जो बाँध, वक़्त  का ऐसा मरहम क्या कहूँ

कुछ काम किया करों बाबा, जीने के अरमान भर दिए क्या कहूँ
इंसानियत के  इन सुमन ने, भर दिया खुशबु से मुझे, क्या कहूँ  #restzone #rzलेखकसमूह #rztask453

एक कतरा मोहब्बत :-

  एक कतरा मोहब्बत ❤️
वक़्त का  सितम और यह पेट की  जलती आग 🔥 क्या कहूँ
बेबस हूँ, अपनों

Ravendra

नौनिहाल चला रहे ई रिक्शा, उतरते समय गिरी बालिका हुई चोटहिल बहराइच जिले के रुपईडीहा तथा नवाबगंज थाना क्षेत्र में सैकड़ो ऐसे छोटे-छोटे बालक ई- #न्यूज़

read more

SURAJ आफताबी

फिदाई- प्रेमी पासबाँ- पहरेदार नौनिहाल- freshly start ,किशोर नासबूरी- व्याकुलता love shayari life #mohabbat #yqdidi #yqbhaijan #lovequotes #surajaaftabi

read more
है फरियाद फ़िदाई फ़ुवाद की 
न बिठाओ नफरत के पासबाँ तख्त-अ-हुस्न की दहलीज पर
नौनिहाल सा इश्क कहीं नासबूरी में ही दम न तोड़ दे
जो हर पलक साँस ले रहा तेरे वस्ल की उम्मीद पर..!! फिदाई- प्रेमी
पासबाँ- पहरेदार
नौनिहाल- freshly start ,किशोर
नासबूरी- व्याकुलता
#love #shayari #life #mohabbat #yqdidi #yqbhaijan #lovequotes

SURAJ आफताबी

नजीर-मिसाल नौनिहाल- किशोर पुष्प तहरीर - लिखावट तदबीर- युक्ति, उपाय वसन- कपड़ा तकरीर- बात, संवाद love #lovequotes shayari #surajaaftabi moh #yqbaba #mohabbat #yqdidi #yqbhaijan

read more
पेश कर हुस्न की नजीरें 
नौनिहाल सी मेरी जान-अ-तमन्ना ऐसे ना हमें तस्वीर करो
स्याही सा बिखर गया तुम पर..अब तो मुझे शब्दों में तहरीर करो !

कबसे कह रहा तेरे होंठों का काला तिल..अब तो कर दो ये संबंध मुकम्मिल
बुलाओ कोई काजी और निकाह की कोई तो तदबीर करो
वसन सा बिछ गया तुम पर..अब तो कोई मीठी सी तकरीर करो !  नजीर-मिसाल
नौनिहाल- किशोर पुष्प
तहरीर - लिखावट
तदबीर- युक्ति, उपाय
वसन- कपड़ा
तकरीर- बात, संवाद
#love #lovequotes #shayari #surajaaftabi #moh

ASHKAR Shahi

हरियाली होली : एक संदेश प्रतियोगिता होली के हमजोली के लिए ये हमारी टीम का पांचवां और अंतिम दिन का टॉपिक हैं। Happy Holi to all होली का दिन #YourQuoteAndMine #होलीकेहमजोली #collabwithकोराकाग़ज़

read more
            हरियाली होली : एक संदेश

प्रतियोगिता होली के हमजोली के लिए ये हमारी टीम का पांचवां और अंतिम दिन का टॉपिक हैं।
Happy Holi to all

होली का दिन

Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के विचार और संक्षिप्त जीवन परिचय महामना मदन मोहन मालवीय भारतीय इतिहास के महान प्रणेता, स्वतंत्रता संग्राम सेनान #जानकारी #MerryChristmas

read more
महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के विचार और संक्षिप्त जीवन परिचय
महामना मदन मोहन मालवीय भारतीय इतिहास के महान प्रणेता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, हिंदू महासभा के अध्यक्ष, हिंदू समाज के महान सुधारक थे। वो शिक्षा के क्षेत्र में किये गए अपने योगदान के लिए भारतीय इतिहास में अमर हैं। इन्होंने सनातन धर्म और संस्कृति के संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वो इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रेसिडेंट भी रहे थे,और उनका महत्वपूर्ण कार्य बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी की स्थापना करना था। भारत में स्काउटिंग की शुरुआत उन्होंने ही की थी।
मालवीय जी का जन्म 25 दिसंबर 1861 ईo को ब्रिटिश भारत के प्रयाग में हुआ था। इनके पूर्वज मध्य भारत के मालवा से आकर यहाँ बसे थे इसीलिए ये मालवीय कहलाते थे। इनके पिता का नाम ब्रजनाथ था जो कि अपने समय के संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और और कथा सुना कर अपनी आजीविका चलाया करते थे। इनकी माता का नाम मूनदेवी था। ये अपने माता-पिता की सात सन्तानों में से 5 वें थे।
उन्होंने पांच साल की उम्र में अपनी शिक्षा संस्कृत में शुरू की थी, वो अपनी प्राथमिक शिक्षा को पूरा करने के लिए पंडित हरदेव के धर्म ज्ञानोपदेश पथशाला में गए, उसके बाद विधान वर्धिनी सभा द्वारा चलाए जाने वाले  स्कूल में दाखिला लिया। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद जिला स्कूल में दाखिला लिया जो कि अंग्रेजी माध्यम का स्कूल था जहां उन्होंने कविताए लिखना शुरू किया, यही कविताएँ बाद में कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई। उन्होंने एक उपनाम ‘मकरंद’ के साथ कविताएँ लिखी थी, जिन्हें बाद में ‘हरिश्चंद्र चंद्रिका’ पत्रिका में 1883-84 के दौरान प्रकाशित किया गया था। इसके अलावा उनके  समकालीन और धार्मिक विषयों पर उनके लेख ‘हिंदी प्रदीपा’ में प्रकाशित हुए थे। उनके पिता संस्कृत में विद्वान और कथावचक थे, वो ‘श्रीमद् भागवत’ की कहानियों को पढ़ा करते थे, यही कारण था कि मदनमोहन भी उनकी तरह कथावचक बनना चाहते थे।
वर्ष 1879 में, उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय (मुइर सेंट्रल कॉलेज) से अपना मैट्रिकुलेट का एक्जाम पास किया और इसके बाद कलकत्ता विश्वविद्यालय से 1884 ईo में इन्होंने स्नातक ( बीo एo ) की उपाधि प्राप्त की। उनका परिवार आर्थिक रूप से समृद्ध नहीं था, जिसे देखकर ही हैरिसन कॉलेज’ के प्रधानाचार्य ने उन्हें मासिक छात्रवृत्ति के साथ मदद की थी। अपनी स्नातक की परीक्षा पूरी करने के बाद इन्होंने शिक्षक की नौकरी करना प्रारम्भ किया। ये स्नातक के बाद स्नातकोत्तर की पढ़ाई करना चाहते थे, परन्तु इनके घर की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी इसलिए ऐसा नहीं कर पाए। वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने पहले जिला न्यायालय और बाद में उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की।
औरस्वतंत्रता संघर्ष के दौरान इन्होने ही उदारवादियों और राष्ट्रवादियों के बीच सेतु का काम किया। रौलेट बिल के विरोध में लगातार साढ़े चार घंटे और अपराध निर्मोचन के बिल पर लगातार 5 घंटे तक दिए गए अपने भाषण के लिए वे आज भी विख्यात हैं। 50 वर्षों तक कांग्रेस में सक्रिय रहने वाले मालवीय जी ने राजा रामपाल सिंह के हिन्दी अंग्रेजी समाचार पत्र हिंदुस्तान का 1887 ईo से संपादन भी किया था। इसके बाद इंडियन ओपीनियन के संपादन में भी सहयोग किया। 1909 ईo में सरकार समर्थक समाचार पत्र पॉयनियर के समकक्ष दैनिक पत्र लीडर निकाला। 1924 ईo में दिल्ली आये और हिंदुस्तान टाइम्स को सुव्यवस्थित किया। वे चार बार कांग्रेस के सभापति भी निर्वाचित हुए। 1930 ईo के सविनय अवज्ञा आंदोलन में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 1931 ईo के द्वितीय गोलमेज सम्मलेन में भाग लिया।
देश के लिए इनका सबसे बड़ा योगदान काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ( B.H.U. ) के रूप में जाना जाता है। 1937 ईo में राजनीति से संन्यास ले लिया और पूर्ण रूप से सामाजिक मुद्दों की ओर ध्यान केंद्रित कर लिया। सनातन धर्म में अपार श्रद्धा रखने वाले भारत के महान सपूत मालवीय जी ने दलितों के मंदिर में प्रवेश निषेध का पुरजोर विरोध किया और देश भर में इस बुराई के खिलाफ आंदोलन चलाया। इन्होंने महिलाओं की शिक्षा, विधवा पुनर्विवाह का समर्थन और बाल विवाह तथा छुआ-छूत जैसी सामाजिक बुराइयों का विरोध किया। देश की आजादी मिलने के एक वर्ष पूर्व ही 12 नवम्बर 1946 ईo को 85 वर्ष की अवस्था में इनका स्वर्गवास हो गया।
महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य :
मदन मोहन मालवीय जातिवादी विचारधारा की घोर विरोधी थे, इस कारण ही उन्हें ब्राह्मिण जाति से निष्कासित भी कर दिया गया था।
हरिद्वार के हर की पौड़ी में गंगा आरती की शुरुआत इन्होंने ही की।
उन्होंने मंदिरों में होने वाले सामजिक भेदभाव का ना केवल विरोध किया बल्कि रथ यात्रा के दिन कालाराम मंदिर में हिन्दू दलितों का प्रवेश, और गोदावरी में मन्त्रों के जाप के साथ पवित्र स्नान भी करवाया।
इन्हे महात्मा गांधी ने महामना की उपाधि से सम्मानित किया था, वो पंडितजी को अपने बड़े भाई के जैसा सम्मान देते थे।
गांधीजी ने उन्हें “मेकर्स ऑफ़ इंडिया” भी कहा था।
भारत के दुसरे राष्ट्रपति डॉक्टर राधकृष्णन ने उनके निस्वार्थ काम के लिए करम योगी का टाईटल भी दिया था।
पंडित जवाहर लाल नेहरु का कहना था कि वो एक महान आत्मा हैं, जिन्होंने नवीन भारत के राष्ट्रवाद की नींव रखी हैं।
उन्होंने ब्रिटिश सरकार को इस बात के लिए भी मनाया था कि न्यायालय में देवनागरी लिपि का उपयोग किया जाए, जिसे उनकी बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जाता हैं।
मालवीय जी कट्टर हिन्दू थे, और गौ-हत्या के विरोधी थे।
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए मालवीयजी ने फंड की व्यवस्था के लिए निजाम के दरबार में भी गये जहां निजाम ने उनका अपमान करते हुए  उन पर जुता फैंक दिया, मालवीयजी शांत रहे और उन्होंने उस जुते को बाहर ले जाकर नीलामी में लगा दिया।
1918 में कुंभ मेले, बाढ़, भूकंप, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के लिए अखिल भारतीय सेवा समिति ने कई जगह अपने केंद्र स्थापित किए।
इसी वर्ष इसका सब यूनिट मॉडल जैसा बॉय स्काउट शुरू हुआ, इसकी महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि इसमें ब्रिटिश नेशनल एंथम की जगह वन्दे मातरम गाया जाता था।
मालवीय जी ने गांधीजी को कहा था कि देश की विभाजन को स्वीकार ना करे, लेकिन उन्होंने मालवीयजी की बात को सुना नहीं।
1918 में जब वो इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रेसिडेंट थे तब उन्होंने सत्यमेव जयते का नारा दिया था।
सम्मान एवं पुरस्कार :
इनके जन्म दिवस से एक दिन पूर्व 24 दिसंबर 2014 ईo को इन्हे देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से मरणोपरांत सम्मानित किया गया।

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के विचार और संक्षिप्त जीवन परिचय
महामना मदन मोहन मालवीय भारतीय इतिहास के महान प्रणेता, स्वतंत्रता संग्राम सेनान

Santosh 'Raman' Pathak

हम हैं भारत के नौनिहाल #alone

read more
हम हैं भारत के नौनिहाल हम एक हैं मत भरमाओ जी
तुलसी रहीम की आत्म मित्रता हममें फिर जनमाओ जी
हम हैं भारत के नौनिहाल......
हम बच्चे हैं अपने स्वभाव निश्चिंत भाव से जीते हैं
हम क्षण क्षण जीवन जीते हैं हर भेद भाव से रीते हैं
निर्दोष प्रेम पथगामी हम मत घृणा गर्त खुदवाओ जी..
हम हैं भारत के नौनिहाल......
ऐ धर्म के ठेकेदारों शिक्षा जीवन मूल्य परक अच्छी
और जीवन मूल्याधृत शिक्षा 'सब एक मनुज तरु पशु पक्षी'
जीवन पूजो पूजवाओ, मत मंदिर मस्जिद लड़वाओ जी...
हम हैं भारत के नौनिहाल......
हम कृष्ण की बंसी राम चाप हम बुद्ध प्रबुद्ध मोहम्मद हैं
हम ईसा प्रेम और महावीर जरथुस्त्र विवेक विशारद हैं
अब तथाकथित ये धर्म भेद कृपया न हमें समझाओ जी..
हम हैं भारत के नौनिहाल.......
विद्यालय मदरस और स्कूल में शब्द भेद ही रहने दो
शिक्षालय जीवन मन्दिर हैं जीवन ही इनमें बहने दो
जीवन विनम्र बहते जल से कट्टर पत्थर तोड़वाओ जी...
हम हैं भारत के नौनिहाल.......

©Santosh Pathak हम हैं भारत के नौनिहाल

#alone

Naresh Chandra

उत्तराखंड से 200000 मुस्लिम बच्चे रातों-रात हो गए गायब, फिर सामने आयी वो खौफनाक सच्चाई, जिसे देख मोदी जी भी रह गए हैरान ddbharti.in *उत्तरा

read more
Nojoto कारनामा 
कृपया अनुशीर्षक का अवलोकन
अवश्य करें।
🙏धन्यवाद🙏

©Naresh Chandra उत्तराखंड से 200000 मुस्लिम बच्चे रातों-रात हो गए गायब, फिर सामने आयी वो खौफनाक सच्चाई, जिसे देख मोदी जी भी रह गए हैरान
ddbharti.in
 *उत्तरा

manoj solanki boddhy

#डॉ_बाबासाहेब_भीमराव_अंबेडकर जी के जीवन संघर्ष पर आधारित आज के प्रश्न, प्रश्न 11:- बाबासाहेब के पिता रामजी मालोजी अपने परिवार के साथ कितने #Stars #note #प्राचीन_भारतीय_व्यापार #भारतीय_जाति_प्रथा

read more
#डॉ_बाबासाहेब_भीमराव_अंबेडकर जी के जीवन संघर्ष पर आधारित आज के प्रश्न,

प्रश्न 11:- बाबासाहेब के पिता रामजी मालोजी अपने परिवार के साथ कितने बड़े मकान में रहते थे?

उत्तर:- 10 फीट लंबे और 10 फीट चौड़े एक कमरे में रहते थे जिसमें उनकी एक बकरी भी रहती थी।

प्रश्न 12:-  बाबासाहेब भीमराव सकपाल नाम से भीमराव अंबेडकर कैसे बने?

उत्तर:- मैट्रिक की पढ़ाई से पहले उनके एक ब्राह्मण गुरु अंबेडकर ने अपना उपनाम भीमराव को दिया।
तब से वे भीमराव सकपाल के बजाए भीमराव अंबेडकर नाम से प्रसिद्ध हुए।
लेकिन इस पर भी काफी विवाद है कि उनका उपनाम किसी ब्राह्मण ने नहीं दिया था
इस पर राजरत्न अंबेडकर जी के कई मतभेद हैं।

प्रश्न 13:- बाबासाहेब ने मैट्रिक की परीक्षा कब उत्तीर्ण की? 
उत्तर:- 1907 में 

प्रश्न 14:- बाबासाहेब को भगवान बुद्ध का जीवन चरित्र पुस्तक किस अध्यापक ने भेंट की?

उत्तर:- बाबासाहेब को सन 1907 में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने पर अर्जुन कैलुस्कर नाम के अध्यापक ने भगवान बुद्ध का जीवन चरित्र पुस्तक भेंट की थी।

प्रश्न 15:- बाबा साहेब का विवाह किस स्थान पर संपन्न हुआ?
उत्तर:- बाबा साहेब का विवाह माता रमाबाई के साथ भाईकला के पास मुंबई के मछली मार्केट में बाजार बंद होने के बाद संपन्न हुआ।

प्रश्न 16:-  बाबासाहेब ने बीए की परीक्षा कब उत्तीर्ण की थी?
उत्तर:- सन 1911 

प्रश्न 17:- पुत्र यशवंत राव का जन्म कब हुआ? 
उत्तर:- बाबासाहेब के पुत्र यसवंत राव का जन्म दिनांक 12 दिसंबर 1912 में हुआ।

प्रश्न 18:- महाराजा बड़ौदा सियाजी राव गायकवाड़ ने बाबा साहेब को कितने रुपए महीने की छात्रवृत्ति मंजूर की थी? 

उत्तर:- महाराजा बड़ौदा ने ₹25 महीने की छात्रवृत्ति सन 1913 में मंजूर की थी।
बाबासाहेब उच्च शिक्षा के लिए बड़ौदा नरेश द्वारा छात्रवृत्ति मंजूर होने के बाद जुलाई 1913 में अमेरिका (न्यूयॉर्क) चले गए 

प्रश्न 19:- बाबासाहेब ने M.A. की परीक्षा कब उत्तीर्ण की?
उत्तर:-  बाबासाहेब ने सन 1915 में M.A. की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा #प्राचीन_भारतीय_व्यापार नाम से पुस्तक लिखी।

प्रश्न 20:- बाबासाहेब शिक्षा ग्रहण करने लंदन कब गए?

उत्तर:- बाबासाहेब जुलाई 1915 में अमेरिका से लंदन गए तथा जून 1916 में #भारतीय_जाति_प्रथा पर एक लेख लिखा।

🌹🌹जय भीम नमो बुद्धाय🌹🌹

#Note:- लिखने के दौरान या जानकारी के अभाव में 
यदि कोई गलती हो जाए 
तो कृपया अवश्य अवगत कराएं मैं उसे अपडेट कर दूंगा 🙏 #डॉ_बाबासाहेब_भीमराव_अंबेडकर जी के जीवन संघर्ष पर आधारित आज के प्रश्न,

प्रश्न 11:- बाबासाहेब के पिता रामजी मालोजी अपने परिवार के साथ कितने
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile