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Atul Sharma
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“20/1/2022”*📚 🖋️*“गुरुवार”*🌟 हम सभी “प्रकाश के अनुगामी” है “सूर्य” से हमें “प्रकाश” मिलता है और “प्रकाश” के कारण ही हम सबकुछ “देख” पाते है, और इसी वजह से हम “सूर्य” को इतना मानते है, उसका “सम्मान” करते है,उनकी “पूजा” करते है, परन्तु क्या इस संसार में के सूर्य ही है जो “प्रकाश का स्त्रोत” है ? नहीं...जब “सूर्यास्त” होता है तब “चंद्रमा” “प्रकाश” देता है वो हमें “मार्ग” दिखाता है और जब “चंद्रमा” भी न हो तब क्या होता है ? तब हमारे “घरों को प्रकाश” से भर देता है एक “छोटा सा दीपक”, अर्थात “आकार” या “नाम” महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण है “गुण” , आप भी इन “गुणों” को अपनाइए, “चंद्रमा” या “दीपक” की भांति, “सूर्य की अनुपस्थिति” में भी “प्रकाश” फैलाते जाइए और “सत्कर्म” करते जाइए... *अतुल शर्मा*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“20/1/2022”*📚 🖋️ *“गुरुवार”* 🌟 *#“सूर्य से प्रकाश”* *#“प्रकाश के अनुगामी”*
Biikrmjet Sing
1. कबीर गरब न किजीयै रंक न हंसिए कोए।। अजे सो नाओ समुद्र मैं क्या जानो क्या होए।। अर्थ:- हे मन रूपी कबीर कभी अपने ऊपर हंकार न करो न ही किसी गरीब पर हंसो क्योंकि अभी हमारी खुद की नाव भी भवसागर यानी त्रे गुण में है क्या जाने कब परमात्मा कौन सा खेल कर दे।। 2. सूरत शब्द भवसागर तरियै नानक नाम वखाने।। अर्थ:- संतो द्वारा बताई हुई विधि से सुरति से प्रकाश को ध्याने से भवसागर तरा जा सकता है।। ऐसा नाम संत जन अपने मुख से वखान यानी भाख्या करते हैं।। 3. संत जना सुने शुभ बचन सर्ब व्यापी राम संग रचन।। अर्थ:- संत जन द्वारा नाम की विधि के व्यख्यान के शुभ वचन सुने तोह मन सर्ब व्यापी राम यानी प्रकाश संग रचना यानी रमना शूरु हो गया।। ©Biikrmjet Sing #प्रकाश
कवी दिपक सोनवणे
या अंधारलेल्या वाटेलाच मी माझा प्रकाश शोधणार मनातून अंधार घालवणार त्यासाठी हवं ते सर्व करणार प्रकाश
प्रकाश
read morePrakash Singh
क्या लिखूं जो आपसे प्यार हो जाए।। ताकि जब भी मिलू तो दीदार हो जाए।। प्रकाश##
प्रकाश##
read morePrakash Singh
एक बेटी जब ब्याह के उपरांत अपने पीया के घर जाती हैं..तो उस दरम्यान माँ और बेटी के बीच आँखो ही आँखो क्या बाते होतीं हैं ...ज़रा गौर फरमाइयेगा...दोस्तों....मेरी चंद पंक्तियाँ पे...... ब्याह हो जब बेटी पिया के घर चली... , अपनी ममता की छाव वो छोड़ चली.. माँ की ममता में पली... वो नन्ही सी कली... ब्याह हो अपनी पिया के घर चली... ये घर आँगन सब बेंरंग हो चली... . तू पिया के संग हो चली... . हाथों में तेरी मेंहदी हैं रची.... लाल जोड़े में तू हैं सजी.... ओ मेरी नन्ही सी कली... तू अपने पिया के घड़ी चली... . जब घड़ी आयी जुदायी की.. माँ की ममता विभोर हो चली... छलक के आँखो से आँसू... ग़मजदा हो चली.... मेरी नन्ही सी कली... अपने पिया की घर चली.... बिटिया जब माँ के गले लगी.... माँ की कलेजा बेजान हो चली.. सिसकीयां से मौसम ग़मगीन हो चली मेरी लाडो में पली... मेरी नन्ही सी कली... अपने पिया के घर चली... थमी क़दम आगे अब बढ़ती नहीं... बिटिया की... आँखो से आँसू रुकती नहीं..... बिटिया की.... माँ की ममता विभोर हो चली.. पालकी में बैठ.... बेटी अपने पिया के घर चली.... प्रकाश ##
प्रकाश ##
read morePrakash Shukla
अपेक्षा के शिकारी तुम उपेक्षा के शिकार हम क्योंकि अपेक्षा रूपी तरकश मे स्वेक्षा रूपी बाण से नखरे रूपी धनुष का प्रयोग एक मँझे शिकारी के रूप मे करने वाली तुम और उपेक्षा रूपी पतेले मे चाकू रूपी आकाँक्षाओं की धार मे रहकर जल रूपी मीठी चासनी मे भीगकर शान्त रहने वाले शिकार हम अपेक्षा के शिकारी तुम उपेक्षा के शिकार हम सबसे बड़ी बीमारी तुम उससे पड़े बीमार हम ओ जाल़िम अब तो कहर कम कर रहम कर क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी जुगाड़ी तुम सबसे बड़े जुगाड़ हम प्रकाश प्रकाश
प्रकाश
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