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Monika Singh
तेरा मेरा साथ हो ऐसे। अमावस्या के बाद पूर्णिमा की रात हो जैसे। *अवनि ..पृथ्वी / धरती *ज्योत्स्ना .. चाँदनी; चंद्रिका ,चंद्रमा का प्रकाश ♥️Collab with GulnaaR 💐नमस्कार ..मैं GulnaaR Tanha Raatein परिवा
Madhumati Kinikar
Caption मध्ये कादंबरीतील काही क्षण वाचा. #madhukinikar #yqtaai #yqmarathi सायकलच्या पॅडलवर हळुवार पाय मारत सिद्धार्थ गावाजवळ पोहोचला. सांजवेळीच्या सोनेरी पिवळ्या किरणांनी धरणीमाता
Abeer Saifi
यूँ कहते तो हैं लोग के मैं बेहिस हूँ बहोत, मुख़ालिफ़ के चंद्रिका मेहसूस करता हूँ اا शिक़वा तो ये भी के करता बातें नहीं 'अबीर' , करता तो हूँ हीं मगर मख़्सूस करता हूँ اا बेहिस- जिसे एहसास न हो, मुख़ालिफ़- विपरीत, चंद्रिका- चांदनी मख़्सूस - खास, विशेष Collab on this picture. Image: clicked by me #leher#nigh
Abeer Saifi
यूँ कहते तो हैं लोग के मैं बेहिस हूँ बहोत, मुख़ालिफ़ के चंद्रिका मेहसूस करता हूँ اا शिक़वा तो ये भी के करता बातें नहीं 'अबीर' , करता तो हूँ हीं मगर मख़्सूस करता हूँ اا बेहिस- जिसे एहसास न हो, मुख़ालिफ़- विपरीत, चंद्रिका- चांदनी मख़्सूस - खास, विशेष Collab on this picture. Image: clicked by me #leher#nigh
AK__Alfaaz..
मन स्वच्छ,शान्त, शीतल, निर्मल सा, हृदय अद्भुत, अनुपम, ममतामयी मीत सा, व्यक्तित्व सहज,शालीन, सुंदरतम् स्नेह रीत सा, रूप अभिनव अनंत, उज्जवल शशि सम, चंचल चंद्रिका प्रीत सा, छवि माँ पावन सिया-तुलसी जैसी, मुस्कान हृदय स्पर्शी, मनमोहक मनमोहिनी, राधा रानी जैसी, अलौकिक सूर्य-चंद्र कांति संग, अनंत गुण साजे जिनमें, मन स्वच्छ,शान्त, शीतल, निर्मल सा, हृदय अद्भुत, अनुपम, ममतामयी मीत सा, व्यक्तित्व सहज,शालीन, सुंदरतम् स्नेह रीत सा, रूप अभिनव अनंत, उ
AK__Alfaaz..
कल, सपनों की थाली मे, चंदा की रोटी परोसकर, सितारों के चावल की, मीठी प्रेम की खीर मे, इंद्रधनुष की सतरंगी मिश्री मिला, बादलों की कटोरी मे लेकर, ममता मुँह मीठा कराने आयी, कल, धरती की गोद मे, नदियाँ नहाकर आयीं, संग वो अपने नेह सीपियाँ लायीं, और..लायीं कान्हा का पांचजन्य शंख, कल, सपनों की थाली मे, चंदा की रोटी परोसकर, सितारों के चावल की, मीठी प्रेम की खीर मे, इंद्रधनुष की सतरंगी मिश्री मिला, बादलों की कटोरी
AK__Alfaaz..
इक रोज, साँझ ढ़ले, बहती पुरवईया मुस्काई आँचल मे बाँध वो, बसंती पवन संग लायी, और...लायी, कान्हा का आशीष, साथ मे, इक खुशियों की पोटली, जो भरी थी, नेह के..श्वेत अक्षतों से, इक रोज, साँझ ढ़ले, बहती पुरवईया मुस्काई आँचल मे बाँध वो, बसंती पवन संग लायी, और...लायी, कान्हा का आशीष, साथ मे,
AK__Alfaaz..
भोर भये, महकी पुरवाई आयी, छूकर माटी का तन, दैविय सुगंध से महका गई, आँचल की ममता से, निकले नेह के मोती, झर झरकर, पाँव से लिपटी, पाजेब बजी तो, सामने माँ गंगा सी, पवित्र छवि नजर आई, भोर भये, महकी पुरवाई आयी, छूकर माटी का तन, दैविय सुगंध से महका गई, आँचल की ममता से, निकले नेह के मोती झर झरकर, पाँव से लिपटी, पाजेब ब
AK__Alfaaz..
कल, साँँझ ढ़ले, रजत चंद्रिका की, श्वेत रश्मियों के नीचे, प्रयाग के, पावन संगम से निकली, दुग्ध धवलित, निर्मल माँ गंगा, काशी के अस्सी घाट पे, महादेव के पग पखारती, जा पहुंची तृप्ति देने, कल, साँँझ ढ़ले, रजत चंद्रिका की, श्वेत रश्मियों के नीचे, प्रयाग के, पावन संगम से निकली, दुग्ध धवलित, निर्मल माँ गंगा,
AK__Alfaaz..
भाव विभोर होती, चंचल चंद्रिका, इठलाती बलखाती सी, बरसा रही थी, उजलित किरणें, अपने स्नेह की धरा पर, उसकी महकती चंदन सी, कुंदन देह पर, भाव विभोर होती, चंचल चंद्रिका, इठलाती बलखाती सी, बरसा रही थी, उजलित किरणें, अपने स्नेह की धरा पर, उसकी महकती चंदन सी,