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Peeyush priydarshi

वृक्ष एक महत्वपूर्ण अवयव #UnlockSecrets

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महादेव जरे

📝 माणसं ही झाडांच्या अवयवांसारखी असतात , काही फांदी सारखी, जास्त जोर दिला कि तुटणारी..✌🏼🙏🙏🌹 #Quote

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माणसं ही 
झाडांच्या अवयवांसारखी असतात ,
काही फांदी सारखी,
जास्त जोर दिला कि तुटणारी.. 📝    माणसं ही झाडांच्या अवयवांसारखी असतात ,
काही फांदी सारखी,
जास्त जोर दिला कि तुटणारी..✌🏼🙏🙏🌹

TheDavidPathak

‘’प्यार ही एकमात्र ऐसी आग है, जिसका कभी बीमा नहीं करवाया जा सकता‘’ #Night "अवयव" की कलम से Hariom@Kumawat...©️...🖋 Yash Verma #sudha007 S #विचार

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‘’प्यार ही एकमात्र ऐसी आग है,
जिसका कभी बीमा नहीं 
करवाया जा सकता‘’

                             देवाकथन... ‘’प्यार ही एकमात्र ऐसी आग है,
जिसका कभी बीमा नहीं करवाया जा सकता‘’
#Night   "अवयव" की कलम से  Hariom@Kumawat...©️...🖋 Yash Verma #sudha007 S

sandy

1) पोट तेव्हा घाबरते जेव्हा तुम्ही सकाळी नाष्टा करत नाही. २)मूत्रपिंड घाबरतात जेव्हा तुम्ही २४ तासात १० ग्लास पाणी पीत नाही. ३) पित्ताशय घाब #story #nojotophoto

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 1) पोट तेव्हा घाबरते जेव्हा तुम्ही सकाळी नाष्टा करत नाही.
२)मूत्रपिंड घाबरतात जेव्हा तुम्ही २४ तासात १० ग्लास पाणी पीत नाही.
३) पित्ताशय घाब

Satya Prakash Upadhyay

हम अपनों से दूर क्यों नहीं रह पाते? कोई भी जीव अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं के हितों के रक्षार्थ एक आवरण या यों कहें एक सुरक्षा कवच तैयार कर #विचार

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हम अपनों से दूर क्यों नहीं रह पाते?

कोई भी जीव अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं के हितों के रक्षार्थ एक आवरण या यों कहें एक सुरक्षा कवच तैयार करता जाता है इस कवच के सारे अवयव तब तक उसके अपने होते हैं जब तक उनसे किसी प्रकार का भय न हो,जब उसे किसी भी अंग से डर का अनुभव होता है ,उसे वो तुरत "अपने" से पराये बना देता है,चाहे सांसारिक बंधनों के अनुसार वो उसका सबसे क़रीबी हीं क्यों ना हो।

अब जब अपने के बारे में जानकारी हो चुकी तो यह भी स्पष्ट हो जाता है कि हम अपनों से दूर क्यों नहीं रह पाते। हम अपनों से दूर क्यों नहीं रह पाते?

कोई भी जीव अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं के हितों के रक्षार्थ एक आवरण या यों कहें एक सुरक्षा कवच तैयार कर

Vikas Sharma Shivaaya'

शुक्र गायत्री मंत्र : -ॐ भृगुजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र: प्रचोदयात् || -ॐ भृगुपुत्राय विद्महे श्वेतवाहनाय धीमहि तन्नो कवि: #समाज

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शुक्र गायत्री मंत्र :

-ॐ भृगुजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र: प्रचोदयात् ||

-ॐ भृगुपुत्राय विद्महे श्वेतवाहनाय धीमहि तन्नो कवि: प्रचोदयात् ||

-ॐ भृगुवंशजाताय विद्महे श्वेतवाहनाय धीमहि तन्नो शुक्रः प्रचोदयात ||

विष्णु सहस्रनाम-एक हजार नाम -(प्रतिदिन 11  नाम) आज 12से 22  नाम 

12 मुक्तानां परमा गतिः: सभी आत्माओं के लिए पहुँचने वाला अंतिम लक्ष्य
13 अव्ययः अविनाशी
14 पुरुषः पुरुषोत्तम
15 साक्षी बिना किसी व्यवधान के अपने स्वरुपभूत ज्ञान से सब कुछ देखने वाला
16 क्षेत्रज्ञः क्षेत्र अर्थात शरीर; शरीर को जानने वाला
17 अक्षरः कभी क्षीण न होने वाला
18 योगः जिसे योग द्वारा पाया जा सके
19 योगविदां नेता योग को जानने वाले योगवेत्ताओं का नेता
20 प्रधानपुरुषेश्वरः प्रधान अर्थात प्रकृति; पुरुष अर्थात जीव; इन दोनों का स्वामी
21 नारसिंहवपुः नर और सिंह दोनों के अवयव जिसमे दिखाई दें ऐसे शरीर वाला
22 श्रीमान् जिसके वक्ष स्थल में सदा श्री बसती हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' शुक्र गायत्री मंत्र :

-ॐ भृगुजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र: प्रचोदयात् ||

-ॐ भृगुपुत्राय विद्महे श्वेतवाहनाय धीमहि तन्नो कवि:

Satya Prakash Upadhyay

श्रद्धा ,विश्वास और समर्पण दर्शाता है कि उसका किससे और कितना मजबूत बन्धन है। माँ का संतान से ,भक्त का भगवान से या प्रेमियों का आपस मे इन सार #विचार

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बंधन 

श्रद्धा ,विश्वास और समर्पण दर्शाता है कि उसका किससे और कितना मजबूत बन्धन है। माँ का संतान से ,भक्त का भगवान से या प्रेमियों का आपस मे इन सारे बंधनो के मूल में बस प्रेम ही होता है।
प्रकृति में भी हर एक अवयव दूसरे के बिना सम्पूर्ण नही और नाही उनका अस्तित्व ही रह पाएगा। इसमे स्वार्थ नही अपितु कुछ देने की भावना ही है,जैसे सूर्य की ऊर्जा धरती पर जीवन का आधार है।
प्रेम और प्रकृति का बन्धन तो स्वतः हो जाता है, परन्तु कुछ बन्धन मनुष्य के द्वारा समाज को व्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए "सामाजिक बन्धन" लगाए जाते हैं। ये समय के साथ परिवर्तित होता जाता है वहीं प्राकृतिक बन्धन अपने आप मे सम्पूर्ण है उसमें थोड़ा भी परिवर्तन विनाशकारी ही होता है।
तात्पर्य यह है कि बन्धन आवश्यक है परंतु जिन बंधनो का निर्माण हमने किया है बस उसी में हम परिवर्तन करने के उतने हीं अंश में अधिकारी हैं जिसमें कि दूसरे पक्ष की भी रजामंदी हो ताकि उसकी भावनाएं आहत न हों।






satyprabha💕 श्रद्धा ,विश्वास और समर्पण दर्शाता है कि उसका किससे और कितना मजबूत बन्धन है। माँ का संतान से ,भक्त का भगवान से या प्रेमियों का आपस मे इन सार

sandy

#स्पर्श वेदा हल्ली कुणाशी बोलायला मागत नव्हती.नेहमी आईबाबांबरोबर खूप गप्पा मारणारी वेदा गप्प गप्प राहू लागली होती. वेदाचा वाढदिवस जवळ आला #story #nojotophoto

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 #स्पर्श

वेदा हल्ली कुणाशी बोलायला मागत नव्हती.नेहमी आईबाबांबरोबर खूप गप्पा मारणारी वेदा गप्प गप्प राहू लागली होती.

वेदाचा वाढदिवस जवळ आला

gudiya

#Travel हिम गिरि के उत्तुंग शिखर पर, बैठ शिला की शीतल छाँह। एक पुरुष, भीगे नयनों से, देख रहा था प्रलय प्रवाह। नीचे जल था, ऊपर हिम था, #Poetry #nojotohindi #nojotoLove #nojotoenglish #nojotoshayari

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"कामायनी" - जयशंकर प्रसाद
(चिंता सर्ग)

©gudiya #Travel 

हिम गिरि के उत्तुंग शिखर पर, 
बैठ शिला की शीतल छाँह। 
एक पुरुष, भीगे नयनों से, 
देख रहा था प्रलय प्रवाह। 

नीचे जल था, ऊपर हिम था,

Vikas Sharma Shivaaya'

✒️जीवन 📖की पाठशाला 🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की सूर्य अथवा सूरज सौरमंडल के केन्द्र में स्थित एक तारा जिसके चारों तरफ पृथ्वी और सौरमंडल के #समाज

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✒️जीवन 📖की पाठशाला 🖋️

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की सूर्य अथवा सूरज सौरमंडल के केन्द्र में स्थित एक तारा जिसके चारों तरफ पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य अवयव घूमते हैं...,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा पिंड है और उसका व्यास लगभग 13 लाख 90 हज़ार किलोमीटर है जो पृथ्वी से लगभग 109 गुना अधिक है... परमाणु विलय की प्रक्रिया द्वारा सूर्य अपने केंद्र में ऊर्जा पैदा करता है...,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की पृथ्वी और सूर्य की औसत दूरी 15 करोड़ किलोमीटर है...,
  
आखिर में एक ही बात समझ आई की  भगवान सूर्य जिस सात घोड़े वाले रथ पर सवार रहते हैं उसके संबंध में धार्मिक ग्रंथों में कई पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं- सूर्यदेव के रथ को संभालने वाले इन सात घोड़ों के नाम- गायत्री, भ्राति, उष्निक, जगती, त्रिस्तप, अनुस्तप और पंक्ति हैं...!इस रथ में बैठने का स्थान छत्तीस लाख योजन लम्बा है तथा महर्षि कश्यप और विनता के पुत्र और पक्षीराज गरुड़ के बड़े भाई अरुण इसे चलातें हैं। इस रथ का विस्तार नौ हजार योजन है। इससे दुगुना इसका ईषा-दण्ड (जूआ और रथ के बीच का भाग) है। इसका धुरा डेड़ करोड़ सात लाख योजन लम्बा है, जिसमें पहिया लगा हुआ है...!
       
बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....!

   🙏सुप्रभात 🌹
आपका दिन शुभ हो 
विकास शर्मा'"शिवाया" 
🔱जयपुर -राजस्थान 🔱

©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️जीवन 📖की पाठशाला 🖋️

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की सूर्य अथवा सूरज सौरमंडल के केन्द्र में स्थित एक तारा जिसके चारों तरफ पृथ्वी और सौरमंडल के
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