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Tarakeshwar Dubey
बांवरा मन घनघोर घटा छाई रे सखी, मद मस्त पवन लहराए, पीय मिलन को बाँवरा मनवा, मचला मचला जाए। रिमझिम रिमझिम बूंदे बरसे, मन मल्हार गुनगुनाये, पपीहा बोले पीउ पीउ, हियरा बिध बिध जावे। अमुआ डारी डोरी पड़ी, सखिया झूला झूलावे, सावन की मस्ती में झूम झूम, कजरी सोहर गावे। बीच दलानी भाभी बैठी, मेहंदी हाथ रचावे, अबके बरस तोहें गौने भेजूं, रहि रहि तान सुनावे। बरस इक्कीस मोरी बीती, घर अंगना ना सुहावे, चेत करो मेरे प्रियतम अब, काहें तू देरी लगावे ? © मृत्युंजय @ तारकेश्वर दूबे। बांवरा मन #ShiningInDark
Akanksha Srivastava
#5LinePoetry ये भावनाओं का संगम और ये भीनी मुस्कान ही औरतों को समझने का सरल रास्ता है हे हमसफ़र कह दो इन आँखों ही आँखों मे जो मेरी मुस्कान और कल्पनाओं का भंवर इन वादियों में उमड़ रहा ये सूरज की किरणें और ख्वाबों का भंवर उफ़्फ़फ़ ये इश्क़ बांवरा सा मन! कल्पनाओं के डोर में बंधने वाले उस हसीन अजनबी के आँखों मे गुम हो गले लग अनगिनत जाल बुनती हूँ मोहब्बत एक अहसासो का भवर है जहां मेरे ख्वाब हिलोरें मार रहे, ©Akanksha Srivastava उफ़्फ़फ़ ये बांवरा सा मन #5LinePoetry
Akanksha Srivastava
ये पहला इश्क़ और जज्बात मुझे मेरे मंजर तक पहुँचने नही दे रहे हे प्रियतम ठहर जाओ यही मेरे भावनाओं के गोते में , ये इश्क़ और बांवरा सा मन इससे पहले कभी चंचल नही हुए कर लेने दो कैद मुझे इस लम्हे को जो आज से पहले कभी ना हुआ हवाओ की गुदगुदाहट से आंखे खुल जाती है सपने अधूरे भले है मगर ©Akanksha Srivastava #kavita उफ़्फ़फ़ ये बांवरा सा मन
Akanksha Srivastava
#5LinePoetry एक अजनबी कुछ अपनेपन- सा,याद नही क्या क्या सोचा था सारे सपने भूल गयी उनके ख्वाबों से जब निकली अपना ही मंजर भूल गयी ढलते सूरज चमकती चट्टाने और....वो पुरुष उफ़्फ़ तेरे इन सपनों की गलियों से जब गुजरी अपनी- ही मंजिल भूल गयी। उजले उजले कपड़े पहने तुम ख्वाबों के उन हसीन वादियों में यू मिलते हो, ©Akanksha Srivastava उफ़्फ़फ़ ये बांवरा सा मन #5LinePoetry
Akanksha Srivastava
#5LinePoetry कल्पना ही तो संसार का नियम है हे प्रियतम मैं अपनी बन्द आंखों से वो बुन रही जिसकी कल्पना मात्र मैं विचलित हूँ तुम्हारी आँखों मे वो देख रही जहां मन मौसम सा उमड़ रहा और मुस्कान समुंदर के भाँति गहरा हे प्रियतम कह लेने दो वो सबकुछ जो ह्रदय की अनकही बातें और कल्पनाओं की पतंग कही दूर तुम्हारे संग उड़ान भर रही ©Akanksha Srivastava उफ़्फ़फ़ ये बांवरा सा मन #5LinePoetry