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MमtA Maया
प्यार की कोई परिभाषा ही नहीं है क्यूँ की हर किसी के लिए प्यार के मायने अलग हैं ©MमtA Maया 01/07/24 प्यार की परिभाषा
01/07/24 प्यार की परिभाषा #Love
read moreSONA DEVI
White कुर्बानी की वास्तविक परिभाषा! कुर्बानी गर्दन काटने से नहीं होती, समर्पण से होती है। प्रभु को हृदय से तन-मन-धन समर्पण कर दे यही कुर्बानी प्रभु को पसन्द है। हिंसा, हत्या प्रभु कभी पसंद नहीं करता। #AlKabir_Islamic #SaintRampalJi ©SONA DEVI #eid_mubarak कुर्बानी की वास्तविक परिभाषा! कुर्बानी गर्दन काटने से नहीं होती, समर्पण से होती है। प्रभु को हृदय से तन-मन-धन समर्पण कर दे यही
#eid_mubarak कुर्बानी की वास्तविक परिभाषा! कुर्बानी गर्दन काटने से नहीं होती, समर्पण से होती है। प्रभु को हृदय से तन-मन-धन समर्पण कर दे यही #भक्ति #SaintRampalJi #AlKabir_Islamic
read moreARTI DEVI(Modern Mira Bai)
White कुर्बानी की वास्तविक परिभाषा! कुर्बानी गर्दन काटने से नहीं होती, समर्पण से होती है। प्रभु को हृदय से तन-मन-धन समर्पण कर दे यही कुर्बानी प्रभु को पसन्द है। हिंसा, हत्या प्रभु कभी पसंद नहीं करता। #AlKabir_Islamic #SaintRampalJi ©ARTI DEVI(Modern Mira Bai) #rajdhani_night #लव #शायरी #कविता #viral #Love कुर्बानी की वास्तविक परिभाषा! कुर्बानी गर्दन काटने से नहीं होती, समर्पण से होती है। प्रभु को
#rajdhani_night #लव #शायरी #कविता #viral Love कुर्बानी की वास्तविक परिभाषा! कुर्बानी गर्दन काटने से नहीं होती, समर्पण से होती है। प्रभु को #भक्ति #SaintRampalJi #AlKabir_Islamic
read morePoet Kuldeep Singh Ruhela
White पापा दो शब्दो से मिलकर बना हैं पापा की परिभाषा जीवन में कोई भी व्यक्ति नही बता सकता पापा को एक दिन विशेष में नही बांध सकते है पापा जीवन का आधार है और पापा के बिना जीवन निराधार हैं पापा की तुलना किसी से नही हो सकती पापा खिलाता है पापा सुलाता है पापा ही हमारी जिंदगी को संवारने के लिए दिन रात जागता है ना खाता है ना पीता है समय पर पापा के लिए तो शब्द भी कम पड़ जाते है बस यही बाते तो हमको समझनी है के भविष्य में हम भी पापा की तरह कभी बन पाएंगे क्युकी ये नई पीढ़ी नही समझ पाएगी पुराने पापा को कभी ये सच है ये सच है! गुमनाम शायर ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #fathers_day पापा दो शब्दो से मिलकर बना हैं पापा की परिभाषा जीवन में कोई भी व्यक्ति नही बता सकता पापा को एक दिन विशेष में नही बांध सकते
#fathers_day पापा दो शब्दो से मिलकर बना हैं पापा की परिभाषा जीवन में कोई भी व्यक्ति नही बता सकता पापा को एक दिन विशेष में नही बांध सकते #मोटिवेशनल
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- रहूँ सदा मैं माँ की गोदी , जीवन की है जिज्ञासा । त्याग तपस्या और बलिदान , देख लिया माँ की भाषा ।। रहूँ सदा मैं माँ की गोदी .... इस जीवन का मोल अदा हो , मातु-पिता की कर सेवा । इस सेवा से ही पहले तो , हमने चखा बहुत मेवा ।। बिन कर्म किए फल मिले हमें , नहीं किया था अभिलाषा । रहूँ सदा मैं माँ की गोदी .... तुम ही जननी तुम जगदम्बा , मुझको कर दो अब श्रीधर । पड़ा रहूँ मैं शरण तुम्हारी , मातु हमें अब दे दो वर ।। मैं भी सेवा करूँ तुम्हारी , उठती मन में अभिलाषा । रहूँ सदा मैं माँ की गोदी ...। तुम ही साथी तुम ही देवी , तुमसे आज छुपाऊँ क्या । शीतल पावन दूध तुम्हारा, पीकर मैं इठलाऊँ क्या ।। जो बनकर लहू दौड़ता है , क्या दूँ उसकी परिभाषा । रहूँ सदा मैं माँ की गोदी ..... रहूँ सदा मैं माँ की गोदी , जीवन की है जिज्ञासा । त्याग तपस्या और बलिदान , देख लिया माँ की भाषा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #motherlove गीत :- रहूँ सदा मैं माँ की गोदी , जीवन की है जिज्ञासा । त्याग तपस्या और बलिदान , देख लिया माँ की भाषा ।। रहूँ सदा मैं माँ की ग
#motherlove गीत :- रहूँ सदा मैं माँ की गोदी , जीवन की है जिज्ञासा । त्याग तपस्या और बलिदान , देख लिया माँ की भाषा ।। रहूँ सदा मैं माँ की ग #कविता
read moreNeetu Sharma
neetu sharma ©Neetu Sharma प्रेम की परिभाषा ❤️🥀Satyaprem Upadhyay Namit Manak desai SIDDHARTH.SHENDE.sid Arshad Siddiqui
प्रेम की परिभाषा ❤️🥀Satyaprem Upadhyay Namit Manak desai SIDDHARTH.SHENDE.sid Arshad Siddiqui #Poetry
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच
चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच #कविता
read moreMadhu Singh
मेरी प्यारी सासु मां... एक मां जिसने पति खोकर संपत्ति खोकर बड़े संघर्ष से ना घर परिवार बच्चों को संभाला.. लेकिन एक सांस को खुश कर पाना मेरे #विचार
read moreMahadev Son
White जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना है अर्थ - भौतिक समृद्धि, आय सुरक्षा, जीवन के साधन इन तीनों के लिये सभी निरंतर प्रयास करते... मोक्ष के लिये सोचते भी नहीं क्योंकि मुश्किल या मालूम ही नहीं.... मोक्ष - मुक्ति, आत्म-साक्षात्कार। जीवन की अंतिम परिणति है। मोक्ष आत्मा को भौतिक संसार के संघर्षों और पीड़ा से मुक्त करता है! आत्मा को जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र से मुक्त करता है! ©Mahadev Son जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना ह
जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना ह #Bhakti
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