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Vikrant Rajliwal
Neelam Modanwal
ਸੀਰਿਯਸ jatt
hardik Mahajan
"मैं बहुत ही मस्तीखोर और आज़ाद पंछी के जैसा और एक आज़ाद किस्म का एक लड़का था, मुझे हमेशा दुनिया को दुनिया को देखना, ओर उस दुनिया में रहकर अपनी मौज मस्ती में घूमना फिरना पसंद करता था"! "मुझे यह सब करना बहुत पसंद आता था, एक दिन इन्हीं ख्यालों में गुम होता हुआ, मैं कहीं और निकल गया, मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि मुझे कहां तक और चलते जाना हैं"! और जब-जब मैं जैसे नींद से जागता रहा, जब मैं खुली सड़कों पर खुद को पाया और डरकर मैं घबराने लगा, मुझे भूख लगी आस-पास मेरे कुछ भी नहीं दिख रहा था। और तब मुझे अपनी मां की याद आई,और उनका प्रेम याद आया, और लगा की मां तो मां होती है, हम बच्चों की जान होती हैं, अपने हाथों से खाना खिलाती, और मुझे प्यार से जबरदस्ती दो रोटी और खिलाती, और बस फिर क्या था, मैं सब कुछ छोड़ भागता हुआ घर आ जाता, और मां को देखकर मां से लिपट जाता, और बोलता की मां....मां.... मुझे आज तुम अपने हाथों से दो रोटी और ज्यादा खिला दो, पर मां कुछ समझ ही नहीं पाती थी, पर मैं सब कुछ समझ गया था, कि घर छोड़ना इतना आसान नहीं होता, इसका पता तब चलता है, जब हम घर से बाहर निकलते हैं, ओर जब किसी त्यौहार में जैसे-होली, रक्षाबंधन, दशहरा, दीपावली, पर खाने-पीने के लिए एक-एक, दाना-पानी, के लिए हम तरसते थे। और कोई भी हमारे पास हमारी मदद करने नहीं आता था, और यही बात उस दिन मुझे समझ आ गई, और मैं तब सोच लिया था, कि नहीं आज से मैं घर में ही रहूंगा, और साथ अपने माता-पिता के साथ ही रहूंगा, और उनके साथ ही रहकर अपनी उड़ान को नहीं भरूंगा, लेकिन एक उड़ते पंछी की तरह सोच रखूंगा, और जमीं पर रहकर ख़ुद पर भरोसा रखूंगा। और तब से मैंने लिखना-पढ़ना शुरू किया, और लिखते-पढ़ते आज मेरी ना जाने कितनी ही किताबें छप गई, और जो मैं छोटा "हार्दिक" था, आज बड़ा "हार्दिक महाजन" बन गया, तो मैं सभी से यही कहना चाहूंगा की एक बार घर छोड़ने से पहले सबकुछ अच्छे से सोच समझ फैसला लीजिए, फिर तब आप बाहर जाइए ऐसा नहीं है, लेकिन आप अपने परिवार के साथ रहकर ऐसा कभी फैसला न करें। ✍️✍️हार्दिक महाजन ©@छोटा लेखक हार्दिक महाजन "मैं बहुत ही मस्तीखोर और आज़ाद पंछी के जैसा और एक आज़ाद किस्म का एक लड़का था, मुझे हमेशा दुनिया को दुनिया को देखना, ओर उस दुनिया में रहकर अप
bhim ka लाडला official
Ramkishor Azad
किसने ने लिखीं है ये मोहब्बत की कहानी जरा कोई हमें तो बताए, कहा रखी है वो मोहब्बत की किताब जिसे कोई हमें तो पढ़ाए! हम उस मोहब्बत की किताब का एक-एक अल्फाज़ को दिल से पढ़ेंगे,, कितनी दुआओं से बनी है मोहब्बत की वो कहानी कोई जरा हमें तो दिखाए!! डीयर आर एस आज़ाद... ©Ramkishor Azad ©Ramkishor Azad #HappyRoseDay #शायरी #L♥️ve #मोहब्बत #प्यार #कहानी #किताब #दुआएं #पढ़ना #rsazad Sheetal sing with gayatri Dayal "दीप, Goswami..
Poet Kuldeep Singh Ruhela
bench हां तेरा ही इंतजार था मुझको इस सुनसान विरान खंडहर से बने हुए इस मकान में जहां तुम और में अक्सर मिला करते थे कभी तुम कभी में दिल की बाते किया करते थे अब बदल गया सब कुछ अब बदल गया मंजर सारा कहते है खामोशी यूं ही कोरे कागज पर उकेरी जाती हैं न मिलने की सजा दिल के अरमानों में उतारी जाती हैं रह जाती हैं सिर्फ और सिर्फ यादों की जड़ी हुई किताबे जिनको कोई इंसान पढ़ना नही चाहता है ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #Bench हां तेरा ही इंतजार था मुझको इस सुनसान विरान खंडहर से बने हुए इस मकान में जहां तुम और में अक्सर मिला करते थे कभी तुम कभी में
The Avinash Mahato
Ramkishor Azad
किसने ने लिखीं है ये मोहब्बत की कहानी जरा कोई हमें तो बताए, कहा रखी है वो मोहब्बत की किताब जिसे कोई हमें तो पढ़ाए! हम उस मोहब्बत की किताब का एक-एक अल्फाज़ को दिल से पढ़ेंगे,, कितनी दुआओं से बनी है मोहब्बत की वो कहानी कोई जरा हमें तो दिखाए!! डीयर आर एस आज़ाद... ©Ramkishor Azad #HappyRoseDay #शायरी #L♥️ve #मोहब्बत #प्यार #कहानी #किताब #दुआएं #पढ़ना #rsazad Sheetal sing with gayatri Dayal "दीप, Goswami..
Ramkishor Azad
किसने ने लिखीं है ये मोहब्बत की कहानी जरा कोई हमें तो बताए, कहा रखी है वो मोहब्बत की किताब जिसे कोई हमें तो पढ़ाए! हम उस मोहब्बत की किताब का एक-एक अल्फाज़ को दिल से पढ़ेंगे,, कितनी दुआओं से बनी है मोहब्बत की वो कहानी कोई जरा हमें तो दिखाए!! डीयर आर एस आज़ाद... ©Ramkishor Azad #HappyRoseDay #शायरी #L♥️ve #मोहब्बत #प्यार #कहानी #किताब #दुआएं #पढ़ना #rsazad Sheetal sing with gayatri Dayal "दीप, Goswami..