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नवनीत ठाकुर
इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, वरना हर नींद में थी सोई कहानी अपनी। चाहतें छोड़ के कुछ दर्द समेटे हमने, ये अमानत भी तो थी जान से प्यारी अपनी। कौन समझेगा ये अफ़साना-ए-ग़म का मंज़र, जब भी रोए हैं तो बस याद थी जवानी अपनी। जिनसे उम्मीद थी वो दूर नज़र आए हमें, छोड़ बैठे हैं वही राहगुज़ारी अपनी। हमने चाहा था जिसे, उसने भुला डाला हमें, और दुनिया से छुपा ली नज़्म सारी अपनी। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, व
#नवनीतठाकुर इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, व
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे हैं, सर्दी ने रोका हर काम। हिम्मत भी थरथर कांप उठी, लिपटे हम गर्म चादर में। उठकर मुंह धुलना भी दुश्वार है, किसने बर्फ डाल दी पानी में? कौन है जो यूं कहर ढा रहा, पूरे गांव को कैद किया है घर में? राह अंधेरी, जमी हुई है, थोड़ी उम्मीद बची है मन में। चलता हूं बस सहारे इसके, जो दिख रहा टॉर्च की रोशनी में। शिथिल पड़े हैं मेरे जज्बात, आलस ने ले लिया गिरफ्त में। यह कैसा दिन, एक पल न सुहा, सिकुड़ा पड़ा हूं एक चादर में। हर कदम जैसे थम सा रहा, जीवन को ढो रहा धुंध में। क्या कभी सूरज की रौशनी लौटेगी, या मैं यूं ही खो जाऊं रजाई में? ©theABHAYSINGH_BIPIN #coldwinter कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे
#coldwinter कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे
read moreAnand Paras
Unsplash दर्द त एतना बा कि ना सहल जाला ना केकरो देखावल जाला! ©Anand Paras दर्द त एतना बा 😭#mahakalanand #Dard #shyari #camping
Jitender Kumar
#emotionalstory कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझ में डूब जाता है
read moreJitender Kumar
#ateet कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझ में डूब जाता है कभी मुझ म
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