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Pawanjeet $ethi
written by...... Pawanjeet Sethi जब लिखने लगा मैं आपबीती मुझे हर इक शब्द में तू दिखी मैं दिल में तेरा अक्स लिए लिखता रहा गलती मिटानी चाही नहीं मिटी जब लिखने........................ मुझे हर इक........................ गौर से पढिये,,,,,,,
Manish Upreti
जनक - यह सच या वह सच अष्टावक्र - तू सच आत्मा सच परमात्मा सच अच्छी कहानी है ज़रूर पढियेगा
Sangeeta Singh
बड़ी नासमझ है वो लोगों का नज़रिया नहीं जानती अपनी ही धुन में रहती है किसी की बात नहीं मानतीं यूँ तो लोग दिखावा करते है बेटा बेटी की समानता का पर समाज में दिख ही जाता है फर्क असमानता का कौन समझाए यहाँ असमानता नहीं चाहिये लिंग भेद की ये ही तो समय है जहाँ दोनों को अधिकार मिले एक ही कमियाँ तो बहुत गिनाते है लोग दुनियाँ का यही दस्तूर है एक बेटा एक बेटी का फर्ज़ अलग है ये किसका कसूर है बड़ी गहरी है ये सोच और जीवन की सच्चाई यही है पीढ़ी चाहे हो नयी पर लोगों में रुढ़ीवादी धारणा यही है एक लड़की के नजरिया से पढियेगा...
padvishal...Mumbai maharashtra
हे खुदा हम तो कुछ नही कर सकते जो लोगोने अपना रास्ता खुद से ही बदल लिया तो! हम ना कभी ऊदास थे ना कभी उदास होगे क्युकी लोगो ने खुद से ही अपनी मजिल बदली है! ©Vishal Padvi #Aasmaan दिल कि बात.. पोस्ट पढिये जरूर अच्छा लगेगा.
Jai Gupta
मापनी - १२२-१२२-१२२-१२ न जाने ये कैसी ख़ता हो गई वो मुझसे भला क्यों जुदा हो गई।।१ मिला करती थी मुझसे शामो सहर बता वो कहाँ लापता हो गई।।२ जलाई थी लौ हमने तो प्यार की मगर क्यों हवा बेवफ़ा हो गई।।३ तेरे हिज़्र में इतने पागल हुए कि हालत मेरी क्या से क्या हो गई।।४ कभी खेला करती थी आंगन में जो सयानी हुई तो विदा हो गई।।५ ग़ज़ल पढियेगा #ग़ज़ल #शायरी #शेर #कविता
Ankit Soni
बचपन और नानी का घर एक छोटा सा घर , पर दिल से भरा हुआ करता था, साथ थे मामा-मामी,और नाना-नानी का बेशुमार प्यार हुआ करता था। पूरी साल जाते थे स्कूल, ढेर सारी मस्ती करने, पर दिल तो सिर्फ 45 दिन की छुट्टियों के इंतज़ार में पागल हुआ करता था। जब जाते थे नानी के घर खुशियों से खिल- खिलाते हुए , तब नाना- नानी के चेहरों पर खुशियों का सम्पूर्ण सृष्ठि का नज़ारा सा हुआ करता था। ढेर सारी बातें , हँसी मज़ाक इसी में एक रात गुजर जाती,छत पर सोने का शोक दीवाना सा हुआ करता था। बस हमे तो नाना जी के साथ अगली सुबह होते ही खेतों में घूमने जाने का इन्तजार हुआ करता था। फिर नानी के हाथ का खाना जिसके आगे माँ के हाथ का खाना भी फैल हुआ करता था, बादमे सभी का सो जाना और हमारे कानों को तो सिर्फ चुस्की वाले की घण्टी के स्वर का इन्तज़ार हूआ करता था। भाग दौड़कर, कटोरी में पैसे डालकर दादा जी पहले मुझे बस इस बात का झगड़ा हुआ करता था, यारों वो बच्चपन भी कीतना प्यार हुआ करता था,हाथ मे कटोरी और कदमो में पूरा जमाना हुआ करता था। आज भी याद है बदमाशियों के कारण घर से नानी के घर पढ़ने भेज देना, हाथ मे कपड़ो से भरा थैला और आँखों मे दोस्तो से बिछड़ने का आँसू हुआ करता था। निकल पड़े नए सफर,नए स्कूल, नए यारों की तलाश में पर ये दिल तो पुराने यारों की यादों में रोया करता था। औऱ स्कूल आने-जाने के लिए नानो जी का दिया 2 रुपिया कितना बेगाना हुआ करता था, पर हम भी कहा मानने वाले थे 1रुपये से जाना और 1 रुपिया खाना भी बहुत कलात्मक हुआ करता था। स्कूल तो जाते पर हमारी क्लास रूम तो सिर्फ पार्क का बगाना हुआ करता था, घर वालों से छिप छिपाकर ठीक 4 बजे हमारा घर जाना हुआ करता था । सुबह जल्दी उठकर पानी भरने का तूफानी युद्ध हर एक के दिमाग मे हुआ करता था, एक एक बाल्टी पानी की जिंदगी के हजारों इम्तहानों सा हुआ करता था फिर हजारों खेल, शक्तिमान,डोरीमोन आदि नाटको का अफसाना हुआ करता था, अंत मे नानी के हाथ का प्यार भरा खाना हुआ करता था। ऐसा भी कभी जमाना हुआ करता था। ऐसा भी कभी जमाना हुआ करता था। अंकित दिल से लिखा ह पढियेगा जरूर।🙏🙏🙏 Pragati Maurya
Jai Gupta
मापनी -१२२२-१२२२-१२२ सनम हो साथ ये यारी बहुत है मुहब्बत में वफादारी बहुत है।।१ नहीं लेंगे कभी भी वो तो रिश्वत पता है उनमें खुद्दारी बहुत है।।२ नहीं है फिक्र मुझको इम्तिहां की मेरी पहले से तय्यारी बहुत है।।३ है ख्वाहिश तुम भी जानो हाल मेरा मेरे दिल की तलबगारी बहुत है।।४ नहीं आती ये दुन्या रास अब 'जय' यहां लोगों में मक्कारी बहुत है।।५ एक ग़ज़ल पढिये #यारी #वफादारी #तैयारी #मक्कारी #शाइरी
Jai Gupta
मापनी - २१२२-२१२२-२१२२-२१२ मौत आने की मैं उल्टी गिनतियां गिनता रहा इक मुसाफ़िर की तरह मैं सीढ़ियां गिनता रहा।।१ क्यूँ दुआ मक़बूल मेरी हो न पाई है सदा मैं ख़ुदा के दर पे जाकर अर्ज़ियाँ गिनता रहा।।२ जिसने मुझ पर जाँ लुटा दी जिसने पाला है मुझे आज मैं उस माँ की यारों ख़ामियां गिनता रहा।।३ भूल कर अपने ही घर की सारी ज़िम्मेदारियां ज़िन्दगी की अपनी ही दुश्वारियां गिनता रहा।।४ प्यार ममता भाइचारा सब से नाता तोड़कर सिर्फ़‘जय'जीवन में अपने डिग्रियाँ गिनता रहा।।५ मेरी कलम✍️✍️ ©jai_writes_ एक और ग़ज़ल पढिये #मुसाफ़िर #जान #ममता #जिम्मेदारी #शायरी #शेर
Akshit Ojha
कनीज पर हक जताते हैं वो, शहजादियों पर पहरा है उनका, साहब तो मुहब्बत के खरीदार लगते हैं, इश्क से ताल्लुक गहरा है उनका , दाग हैं दामन पर मगर शोहरत भी बहुत है , शक्ल पर कोई भी इंकार कर देगा, एेसा चेहरा है उनका।। #cinemagraph पढियेगा जरूर दाग अच्छे हैं उनके #yourquotebaba #yourquotedidi #minewords