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Stories related to विराजित

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Asha Giri

मेरे‌ घर विराजित श्री गणेश। #latepost

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Ganpati bappa morya  मेरे‌ घर विराजित श्री गणेश।
#latepost

sriniwash pal ketu

हर दिल में राम विराजित हो

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ऐसे जलाओ दीपक,की चारो ओर प्रकाशित हो l
हर कोने कोने से,अंधकार पराजित हो ll
छाए खुशी ही खुशी का आलम....
की हर दिल में राम विराजित हो ll

बदल के अपनी फितरत को, 
भूल के सारे नफरत को, 
आपस में ऐसे प्रेम बढ़ावो, 
की हर चीज़ सुसज्जित हो... 
छाए.......... हर दिल में .... ll

अनुराग उदित हो मन में, 
सत्य प्रस्फुटित हो जीवन में.,
तन में सनातनी तेज पुंज प्रज्वलित हो... 
छाए.... ....... हर दिल में ........ll
By :Sriniwash pal ketu हर दिल में राम विराजित हो

ललित शर्मा lalit sharma

मेरे घर में विराजित माँ दुर्गा इस रूप में ।।जय माँ कात्यायनी।। #nojotophoto

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 मेरे घर में विराजित माँ दुर्गा इस रूप में
।।जय माँ कात्यायनी।।

3 Little Hearts

"कर्म ही पूजा है" प्रत्येक मनुष्य में आत्म स्वरुप ईश्वर स्वयं विराजित है। इनमे ही परमात्मा के दर्शन करें। बाकी मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे तो #समाज

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★ नयी बहू जब ससुराल में आई ★

एक नई नवेली दुल्हन जब ससुराल में आई तो उसकी सास बोली बींदणी कल माता के मन्दिर में चलना है।
बहू ने पूछा सासु माँ, एक तो माँ जिसने मुझे जन्म दिया और एक आप हो और कौनसी माँ है?
सास बहुत खुश हुई कि मेरी बहू तो बहुत सीधी है।

सास ने कहा बेटा पास के मन्दिर में दुर्गा माता है सब औरतें जायेंगी,
हम भी चलेंगे।
सुबह होने पर दोनों एक साथ मन्दिर जाती है।
आगे सास पीछे बहू।
जैसे ही मन्दिर आया तो बहू ने मन्दिर में गाय की मूर्ति को देखकर कहा माँ जी देखो ये गाय का बछड़ा दूध पी रहा है,
मैं बाल्टी लाती हूँ और दूध निकालते है।

सास ने अपने सिर पर हाथ पीटा कि बहू तो पागल है और बोली बेटा ये स्टेच्यू है और ये दूध नही दे सकती।
चलो आगे।
मन्दिर में जैसे ही प्रवेश किया तो एक शेर की मूर्ति दिखाई दी फिर बहू ने कहा माँ आगे मत जाओ ये शेर खा जायेगा।
सास को चिंता हुयी कि मेरे बेटे का तो भाग्य फूट गया और बोली बेटा पत्थर का शेर कैसे खायेगा?

चलो अंदर चलो मन्दिर में,
और सास बोली बेटा ये माता है और इनसे माँग लो,
यह माता तुम्हारी माँग पूरी करेंगी।
बहू ने कहा माँ ये तो पत्थर की है, ये क्या दे सकती है?
जब पत्थर की गाय दूध नही दे सकती?
पत्थर का बछड़ा दूध पी नही सकता?

पत्थर का शेर खा नही सकता?
तो ये पत्थर की मूर्ति क्या दे सकती है?
अगर कोई दे सकती है तो आप है आप मुझे आशीर्वाद दीजिये।
 तभी सास की आँखे खुली!

वो बहू पढ़ी लिखी थी, तार्किक थी, जागरूक थी, तर्क और विवेक के सहारे बहु ने सास को जाग्रत कर दिया!
अगर ईश्वर की प्राप्ति करनी है तो पहले असहायों, जरूरतमंदों, गरीबों की सेवा करो परिवार, समाज में लोगों की मदद करें।
मानव सेवा ही सर्वोच्च सेवा है।

©Vishnuuu X "कर्म ही पूजा है"
प्रत्येक मनुष्य में आत्म स्वरुप ईश्वर स्वयं विराजित है।
इनमे ही परमात्मा के दर्शन करें।
बाकी मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे तो

Shravan Goud

आभार: गुगल। हिन्दू धर्मग्रंथों व पुराणों में लक्ष्मी जी को धन और समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी माना गया है। वहीं कुबेरजी को भी धन का स्वामी म

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धनतेरस की शुभकामनाएं 🙏। आभार: गुगल।  हिन्दू धर्मग्रंथों व पुराणों में लक्ष्मी जी को धन और समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी माना गया है। वहीं कुबेरजी को भी धन का स्वामी म

Odysseus

प्रफुल्ल चंद्रमा भाल पर है विराजित गले में भुजंगों की माला सजी है हुई भस्म से है ये काया सुशोभित जटाओं में गंगा की लहरें बंधी हैं हे करुण #bhajan #Devotional

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संगीत कुमार

#Morning हे श्रमिक श्रम नायक। धरती-पुत्र तू अन्नदाता।। जीवनदायनी कर्मदाता । कोई वो क्षेत्र नहीं, जहाँ तू विराजित नहीं।। हे श्रमिक श्रमना #कविता

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Black हे श्रमिक श्रम नायक। 
धरती-पुत्र तू अन्नदाता।। 
जीवनदायनी कर्मदाता ।
कोई वो क्षेत्र नहीं, जहाँ  तू विराजित नहीं।। 
हे श्रमिक श्रमनायक। 
संस्कृति के तू रखवाले। 
जग के तू पालनकर्ता ।। 
आपदा में तुम हीं दिखते। 
सुखदा में भी तेरा  नाम।। 
हे श्रमिक श्रमनायक। 
खेत-खलिहान में तू ही दिखते। 
कल-कारखानो में भी तू ही बसते।। 
नगर-नगर में तुम्हें ही पाते। 
जग के भर्ता पालनकर्ता।। 
हे श्रमिक श्रमनायक। 
आँसू पीड़ा दुःख का जीवन। 
 पर सबको को बरसाते अमृत।। 
खुद हलाहल पी कर भी। 
जीवन सुखद बनाते हो। 
हे श्रमिक श्रमनायक।

©संगीत कुमार #Morning हे श्रमिक श्रम नायक। 
धरती-पुत्र तू अन्नदाता।। 
जीवनदायनी कर्मदाता ।
कोई वो क्षेत्र नहीं, जहाँ  तू विराजित नहीं।। 
हे श्रमिक श्रमना

संगीत कुमार

श्रमिक हे श्रमिक श्रम नायक। धरती-पुत्र तू अन्नदाता।। जीवनदायनी कर्मदाता । कोई वो क्षेत्र नहीं, जहाँ तू विराजित नहीं।। हे श्रमिक श्रमनाय

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(श्रमिक)

हे श्रमिक श्रम नायक। 
धरती-पुत्र तू अन्नदाता।। 
जीवनदायनी कर्मदाता ।
कोई वो क्षेत्र नहीं, जहाँ  तू विराजित नहीं।। 
हे श्रमिक श्रमनायक। 

संस्कृति के तू रखवाले। 
जग के तू पालनकर्ता ।। 
आपदा में तुम हीं दिखते। 
सुखदा में भी तेरा  नाम।। 
हे श्रमिक श्रमनायक। 

खेत-खलिहान में तू ही दिखते। 
कल-कारखानो में भी तू ही बसते।। 
नगर-नगर में तुम्हें ही पाते। 
जग के भर्ता पालनकर्ता।। 
हे श्रमिक श्रमनायक। 

आँसू पीड़ा दुःख का जीवन। 
 पर सबको को बरसाते अमृत।। 
खुद हलाहल पी कर भी। 
जीवन सुखद बनाते हो। 
हे श्रमिक श्रमनायक।

     (संगीत कुमार /जबलपुर) 
 ✒️स्व-रचित कविता 🙏🙏 श्रमिक

हे श्रमिक श्रम नायक। 
धरती-पुत्र तू अन्नदाता।। 
जीवनदायनी कर्मदाता ।
कोई वो क्षेत्र नहीं, जहाँ  तू विराजित नहीं।। 
हे श्रमिक श्रमनाय

Pushpvritiya

हाँ मैं अल्पमति......... तुम वसुधैव कुटुंबकम का जाप लिए चलते हो, #कविता

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हाँ मैं अल्पमति.........                            

                  तुम वसुधैव कुटुंबकम का
           जाप लिए चलते हो,
                         मैंने तुममें अपनी 
                                    पूरी वसुधा माप ली........

           ज्ञान के क्षितिज पर विराजित तुम,
कहाँ तुम्हें मैं जान पाऊंगी 
                गृहस्थी पुस्तकालय मेरा 
     घटनाएं पुस्तक 
                               और अनुभव पृष्ठभूमि ज्ञान की......
                                                              
 कि मैं ताज नहीं 
हूँ वन तुलसी   
अवांछित 
                                    औषधीय गुण लिए तेरे आँगन निकल आई.........
 
द्वार पर पड़ा वह पायदान.                            
           जिस पर रगड़ पग उसे मलिन कर 
                  स्वच्छ रख पाते हो गृह की छवि.........
                     
हाँ मैं वह छोटा सा कण,
वह तृण
                             वह बूंद जो निज अस्तित्व खो
 कांति, शांति, विशालता, भद्रता,अस्तित्व तक का 
मूल धारे हूं तुम्हारी.......
                                       हाँ मैं अल्पमति..........

@पुष्पवृतियां

©Pushpvritiya हाँ मैं अल्पमति.........                            

                  तुम वसुधैव कुटुंबकम का
           जाप लिए चलते हो,

शब्दिता

तुम अति निकट हो विश्व के प्रत्येक व्यक्ति के किंतु व्यक्तित्व की मलीनता ही व्यक्ति को तुम्हारा स्पष्ट दर्शन नहीं होने देती। जिस व्यक्ति के #ईश्वर_का_अनुभव_स्वयं_के_भीतर

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हे प्रभु!! तुम अति निकट हो विश्व के प्रत्येक व्यक्ति के
किंतु व्यक्तित्व की मलीनता ही व्यक्ति को तुम्हारा स्पष्ट दर्शन नहीं होने देती।
जिस व्यक्ति के
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