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ranjit Kumar rathour
जब भी ईद हुई तेरी दीद हुई यादों में ही सही तस्दीक हुई कौन है जब पूछा किसी ने जिक्र तेरा खुशामदीद हुई ऐसा क्या था जब उसने पूछा बोली और मैं सूची से नाफेहरिस्त हुई जल गई न !मैंने बोला तू! अब बता ही देता हूं था यार मेरा वो, उससे मेरा याराना था उसका अंदाज़े बायां क्या कहूं कितना अरिफाना था शाम हमारा सालो भर कटता संग संग अनोखा मेरा दोस्ताना था जिक्र ईद का छिड़ा तो सुनो हकीकत यही कोई तीन सालों की यारी थी साथ पढ़ते एक शहर में माहे रमजान तीन दफा आया था बगैर यार वैसे भी नही कटती थी रोजा में महीने भर समझो मेरा नाश्ता और उसकी इफ्तारी थी फिर आता ईद उल फितर क्या कहने अब मस्ती की बारी थी ये सब कुछ मेरी मेरे दोस्त आरिफ की एक न भुलनेवाली पारी थी आज वो मुझसे रूठा है पता नही कहा दूर वो बैठा है फेसबुक पर भी ढूंढा है नही मिलता वो कैसा है कितना उसको मैं याद आता नही पता मुझको बहुत वो आता है ईद की इफ्तारी और सेवई संग गले लगा कर दिल से लगाना यार बहुत याद आता है **************** (दोस्त आरिफ को समर्पित) आखिर बार कोलकाता में 30 साल पहले मिले! ©ranjit Kumar rathour ईद को दीद हुई(मित्र आरिफ को समर्पित) #poetry month
lakhimpur khire
Mohammad Arif (WordsOfArif)
आज फिर हमने उन्हें देखा सुना बड़बोलेपन की देखो इन्तहा कर दिया सवाल कुछ होता है जवाब कुछ और डर के मारे बात इधर का उधर कर दिया डर लगता है उनकी बातों से मुझे देखो देश को कितना बर्बाद कर दिया मौत सबको आनी है डरता कौन है तुमने अपनों का कत्लेआम कर दिया बड़ी तकलुफ़्फ़् सी हो गई है जिन्दगी आरिफ यहाँ अपना इंतेजाम कर दिया ©Mohammad Arif (WordsOfArif) आज फिर हमने उन्हें देखा सुना बड़बोलेपन की देखो इन्तहा कर दिया सवाल कुछ होता है जवाब कुछ और डर के मारे बात इधर का उधर कर दिया डर लगता है उन
Mohammad Arif (WordsOfArif)
आजमाईशों का दौर है सम्भल कर चलिए वक्त करवट जरूर लेगा साथ मिलकर चलिए अपने दौलतखाने पर सब की इज्जत कीजिए प्यार मोहब्बत के साथ मिल जुलकर चलिए आफतें आयेगी फिर भी दरवाजे से लौट जायेगी माँ बाप की दुआऐं लेकर सम्भलकर चलिए इतनी अच्छी बात नहीं है की सब की बुराई कीजिए सब यहाँ नफ़रत करते हैं फिर भी देखकर चलिए आदतें बदल जायेगी जरा कोशिश तो कीजिए आरिफ बहुत देर हुआ है हमारे हाथ पकड़कर चलिए ©Mohammad Arif (WordsOfArif) आजमाईशों का दौर है सम्भल कर चलिए वक्त करवट जरूर लेगा साथ मिलकर चलिए अपने दौलतखाने पर सब की इज्जत कीजिए प्यार मोहब्बत के साथ मिल जुलकर चलिए
Mohammad Arif (WordsOfArif)
खुशी भी है ग़म भी है यहाँ भीड़ भी है लोगों में ये कैसा अफरातफरी अब भी है जीत मिली है थोडे़ वक्त के लिए समझों आगे नया पुराना खेल देखों तुम अब भी है ये कोठे के सब दलाल है समझों तुम बात खेल आगे जरूर होगा मुझे डर अब भी है बातें सभी करते हैं तुम्हारी देखा है मैंने लोगों में देखों जीत की उम्मीद अब भी है मैंने बरसों तलक मुहब्बत की बात की है आरिफ दिल में याद उनकी देखों अब भी है ©Mohammad Arif (WordsOfArif) खुशी भी है ग़म भी है यहाँ भीड़ भी है लोगों में ये कैसा अफरातफरी अब भी है जीत मिली है थोडे़ वक्त के लिए समझों आगे नया पुराना खेल देखों तुम अ
Mohammad Arif (WordsOfArif)
दिल ही तो है जो अब भर सा गया है तुमसे मिले मुझे एक अरसा हो ही गया है कीमत तुम बताओ जान फिर भी दे दूगां मैं कैसे कहें बिछड़े हुए एक जमाना हो ही गया है इतना क्यूँ अब घबराना जान फिर भी साथ है देखो तुम अब पुराना खत्म खजाना हो ही गया है इस कदर दूर क्यूँ जा रहे हो तुम हमसे बताओं अपना मिलना देखों कितना निराला हो ही गया है दूरियाँ क्यूँ तुम बढ़ा रहे हो अब बताओ आरिफ हमारी दोस्ती फिर से बढ़कर पुराना हो ही गया है ©Mohammad Arif (WordsOfArif) दिल ही तो है जो अब भर सा गया है तुमसे मिले मुझे एक अरसा हो ही गया है कीमत तुम बताओ जान फिर भी दे दूगां मैं कैसे कहें बिछड़े हुए एक जमाना ह
Ravendra