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Banarasi..
Banarasiways... लोगों का क्या है वो तो ठगते ही है। परजीवो को दोष देकर वैसा आचरण खुद ही करते है। ©Banarasi.. #TiTLi #parasites #Society #Life #Faith #Quote #thought Parul Yadav Puja Udeshi R.K sagar हिमांशु Kulshreshtha राधे किशोरी पाराशर Banjara
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मेरे पिछले जन्म स्वामी विवेकानंद जन्म का मुल भाव ********************************************** हे परमत्तव अंश जी मेरा गौतम बुद्ध जन्म के बाद मेरी आत्मा का जन्म इस पृथ्वी पर स्वामी विवेकानंद की आत्मा शरीर में हुआ बचपन से पुनः जन्म ज्ञान प्राप्त हुई। हे समस्त पृथ्वी वासियों स्वामी विवेकानंद जन्म में लक्ष्मी जी का परित्याग मैंने गौतम बुद्ध जन्म ही कर दिया था। क्योंकि मेरा श्री कृष्ण जी जन्म 23तत्वो और गौतम बुद्ध जी 24 तत्वो का जन्म था। यही हमारा मुल कारण था संन्यास लेने कारण 25 वर्ष था। उस समय काल में साधु-संतों को पहचान दिया पृथ्वी पर। स्वामी विवेकानंद जन्म में ही श्रवण, चिंतन और मनन के । हमारे आत्मिक बल को समस्त पृथ्वी पर दिखाया था। हमारे गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी स्वयं महाकाल थे। उस जन्म में पीप, रक्त ग्रहण किया जो हमारे द्वारा वह समुद्र मंथन के समय काल कूट विष शिव जी को ग्रहण, करवाया गया नारायण रुप में सहयोग हमारा भी था । वह गुरु क्रिया हमारी उसी विष कूट का एक फल ही था। इस कलयुग में कोई भी गुरु जी के विष को ग्रहण नहीं करेगा । जब तक दिव्य अनुभूति नहीं होगा इस धरती पर। वह विष क्रोध रुप में हो सकता है आजकल वर्तमान में। निस्वार्थ भाव से सेवा से /ग्रहण करके चुकाना पड़ सकता है। आज इस युग में केवल ही केवल विष का प्रभाव है। हमारी समस्त पृथ्वी वासियों के माता और पिता जी के चरणों पर ही है ।यही आधुनिक युग के महान गुरु भी है। और भगवान स्वरूप भी है समस्त पृथ्वी व सभी धर्मों में। हे परमत्तव अंश जी आपका कंठ ही महाकाल का निवास स्थान है। मेरी वाणी श्री गीता जी गुप्त रहस्य सत्ताईसवां श्लोक का। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #forbiddenlove शीतल चौधरी Mahesh I jaiswal Anupriya jeet musical world Kamlesh Kandpal रविन्द्र 'गुल' ek shayar Sunita Pa
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धृतराष्ट्र - उवाच ******************* जो अवगुणों का समुद्र को लिए हुए और अयोग्य राजा होते हुए जो आज तक ना हुआ है ? इतिहास में इसके शिवा और ना ही होगा भविष्य में । तुच्छता गुणों से अयोग्य होते हुएं भी राजा बन सके। धृतराष्ट्र -उवाच वचन से ही समस्त पृथ्वी पर, इससे ही प्रमाण मिलता है । भगवान किसी के भी ना तो । अवगुणों को ग्रहण करता है और ना गुणों ग्रहण करता है। अर्थात शुभ और असुभ आपके कर्मों से भी। निवृत्त रहता है भगवान समस्त पृथ्वी पर। क्योंकि ऐसा होता तो भगवान अपनी पवित्र वाणी श्री गीता जी। मैं श्रीव्यास जी द्वारा प्रथम शब्द धृतराष्ट्र - उवाच से सम्बोधित ना करते हुए शुरू करते अपनी वाणी को। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #Tuaurmain rasmi प्रभात शर्मा Tsbist Suresh Gulia Kamalakanta Jena (KK) Anshu writer वंदना .... अनुकृति√ Sm@rt divi pande
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****महानता की पहचान**** क्या होती महानता /महापुरुषत्ता? इस संसार में हर प्राणी के हृदय में महानतम गर्व होने का पल संजोएं रहता है । उसको पहचानने और पाने के लिए हृदय से खोजता रहता है। खुद व समस्त पृथ्वी के समस्त परमत्तव अंशों के हृदय में। साथ में इन्सान हर पल अपने आस -पास दृढ़ता पूर्वक ढुंढता है, -जल्दी से मिल जाए हमें महानता का राज। इस संसार में सबसे दुर्लभ प्रश्न यही है की - महापुरुष से गद्दियां नहीं बनती और गद्दियां बनती है महापुरुष के बाद में। अर्थात तुच्छता में जीना तुच्छता में मरना व। अपने सात्विक भाव के कर्म से नहीं डरना ही एक चिंगारी है। जैसे कि- कमल का फुल कीचड़ में जन्म लेने के बाद भी कीचड़ की महक से निरंतर खिलता रहता है। यह ही एक महापुरुष का एक लक्षण भी होता है। इस संसार में महापुरुष का पल अपने आंखों से नहीं देखा जाता है, अगर वह इस पृथ्वी पर सचमुच में महान है तो। वह तो केवल दुनिया की आंखो में दिखाई देता। इस संसार मे से जाने के बाद और प्रकृति की गोद में सोने के बाद। आपके ह्रदय ज्ञान से बोला महापुरुष शब्द, उनके नाम से स्वपन में ही दिखाई देता उन्हें। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #New #treanding #New #bagati #boat Jitubhai Gauswami Gulshan_Dwivedi Brajpal Singh kondar Md Kutubuddin Sekh Swati sha
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***प्रकाश अवश्य डालें आपकी आत्मा**** मेरी आत्मा के अमृतसागर ज्ञान के प्रवेश ज्ञान पर, एक प्रकाश अवश्य डालें जी क्योंकि इसके बारे में इस आत्मा द्वारा पहले ही लिख दिया था । पेपर में तब यह आत्मा 11 कक्षा में 2005 में था . तब मुझे हद्रय में से ज्ञान प्राप्त हुआ था। उस समय लिखा गया था ,पुनः माता केकैयी का वैकुंठ में वास हो गया है ? एक सिद्ध हुई और अन्य आत्माओं का वर्णन भी किया जाएगा, धीरे -धीरे जो महान आत्मा किसी ने, किसी वचन और इच्छा से बन्धी हुई थी पृथ्वी से। उनका भी वर्णन किया जाएगा नोजोटो पर। इनमें से एक भीष्म पितामह की आत्मा की इच्छा 29 दिसम्बर2010 को पुर्ण की थी । अन्य महान आत्माओं का वर्णन भी किया जाएगा। इसलिए अमृतसागर का नकारात्मक प्रभाव नहीं समझें हे समस्त पृथ्वी वासियों। मेरा कर्म लोकहितार्थ है और लोकहितार्थ ही रहेगा। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #go #treanding #tree #reading #walkingalone Anshu writer sunil भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Shamsher Shamsher Uma Singh S