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theABHAYSINGH_BIPIN

#togetherforever Anupriya Rakhie.. "दिल की आवाज़" writer Sunita singh Arab ab tu SAB par najar Rakha kar Jodi jiski Amar banaa de usi ka D

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प्रेम की वेदी

तुम आते हो एक आस लेकर,
तुम जाते हो एक आस देकर।
ना जाने कौन हो तुम मेरे,
तुम जाते हो एक ख़ुशी देकर।

तुम आते हो एक उम्मीद लेकर,
तुम जाते हो एक ख़्वाब देकर।
ना जाने कब तक साथ दोगे,
तुम जाते हो एक एहसास देकर।

कुछ ख़्वाबों को सजा रही हूँ,
बिन कहे कहानी गुनगुना रही हूँ।
जब आओगे, तुमसे कुछ लेना,
पूर्ण कर दो मुझे कसम देकर।

भरी सावन में छेड़ती सखियाँ,
ले चलो अब गवाँना कराकर।
अब बाबुल का घर न भाए,
ले आओ डोली सुंदर सजाकर।

मेहंदी में मैं नाम छुपाऊँ,
ढूँढ़ना तुम मेरे हाथों को जोड़कर।
मैं तो तेरा रस्ता देखूँगी,
तेरे प्रेम का गहरा रंग चढ़ाकर।

अधूरे ख़्वाबों को सजा दो,
आ जाओ अब सेहरा बांधकर।
ले चलो मुझे अपने आंगन,
प्रेम की अंतिम वेदी पर बैठकर।

भरे रहें एहसासों से आंगन,
बस छू लो मुझे हाथों में लेकर।
बिरहन जीवन से कर दो रिहा,
सूनी मांग में सिंदूर भरकर।

©theABHAYSINGH_BIPIN #togetherforever  Anupriya  Rakhie.. "दिल की आवाज़"  writer Sunita singh Arab ab tu SAB par najar Rakha kar Jodi jiski Amar banaa de usi ka D

theABHAYSINGH_BIPIN

#Sad_Status ये किस तरह उसने मुझको बर्बाद किया, महफ़िलों से निकाल गलियों में आवाद किया। उसके बहकावे में आकर उसे ही महफ़िल समझा, आहिस्ता-आह

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White ये किस तरह उसने मुझको बर्बाद किया,
महफ़िलों से निकाल गलियों में आवाद किया।

उसके बहकावे में आकर उसे ही महफ़िल समझा,
आहिस्ता-आहिस्ता उसने ज़हर के करीब किया।

ख़्वाबों में रंग भरकर हकीकत से दूर किया,
दिल में बसे अरमानों को चूर-चूर किया।

जो मुस्कुराहट मेरी पहचान हुआ करती थी,
उसने हर ख़ुशी का अंधेरा सा नज़ारा किया।

यकीन करके जिसके साथ चलने निकला था,
उसने हर मोड़ पर मुझसे किनारा किया।

अब समझ आया उसकी चालों का खेल,
उसने अपने फायदे के लिए मुझ पर वार किया।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Sad_Status 

ये किस तरह उसने मुझको बर्बाद किया,
महफ़िलों से निकाल गलियों में आवाद किया।

उसके बहकावे में आकर उसे ही महफ़िल समझा,
आहिस्ता-आह

theABHAYSINGH_BIPIN

#lovelife इश्क़ की नादानियां सहना तो वक़्त को ही है, छुरी उंगली को या उंगली छुरी को, बहना तो रक्त को ही है। दिल के अरमानों को खामोशी से कु

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Unsplash इश्क़ की नादानियां सहना तो वक़्त को ही है,
छुरी उंगली को या उंगली छुरी को, बहना तो रक्त को ही है।
दिल के अरमानों को खामोशी से कुचल दिया,
पर दर्द का बोझ उठाना तो सब्र को ही है।

वो चलते-चलते राह में छोड़ गए,
अब तन्हा सफर तय करना तो कदम को ही है।
इश्क़ के दांव-पेंच समझे नहीं कभी,
जीत हो या हार, ये सहना तो दिल को ही है।

©theABHAYSINGH_BIPIN #lovelife 

इश्क़ की नादानियां सहना तो वक़्त को ही है,
छुरी उंगली को या उंगली छुरी को, बहना तो रक्त को ही है।
दिल के अरमानों को खामोशी से कु

theABHAYSINGH_BIPIN

#moon_day उनके वास्ते हमने गुनाह भी किये, ज़िंदगी में हमने कई चुनाव भी किये। चुना था एक आशियां शहर में, पर उस महल से दरकिनार भी किये। कुछ

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White उनके वास्ते हमने गुनाह भी किये,
ज़िंदगी में हमने कई चुनाव भी किये।
चुना था एक आशियां शहर में,
पर उस महल से दरकिनार भी किये।

कुछ एक ही तो ख़्वाहिशें जगी थीं,
अरमानों को ज़िंदा दफ़न भी किये।
उनके लिए हमने खुद को भुला दिया,
फिर भी हर लम्हा बेज़ुबान भी किये।

©theABHAYSINGH_BIPIN #moon_day 
उनके वास्ते हमने गुनाह भी किये,
ज़िंदगी में हमने कई चुनाव भी किये।
चुना था एक आशियां शहर में,
पर उस महल से दरकिनार भी किये।

कुछ

theABHAYSINGH_BIPIN

#GoodNight इस तबाही का जश्न कौन मनाएगा, टूटा है दिल मेरा, जाम कौन उठाएगा। सुना है मैखाने हर दर्द का मर्ज हैं यारों, वहाँ तक मुझको कौन ले जा

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White इस तबाही का जश्न कौन मनाएगा,
टूटा है दिल मेरा, जाम कौन उठाएगा।
सुना है मैखाने हर दर्द का मर्ज हैं यारों,
वहाँ तक मुझको कौन ले जाएगा।

ज़ख़्मी दिल की दवा कहाँ मिलती है,
मुझे भी उस गली का पता बताएगा।
जहाँ टूटे अरमानों का सवेरा होता है,
जो ग़म के अंधेरों में चिराग़ जलाएगा।

ग़म का समंदर यहाँ गहरा है बहुत,
डूबते दिल को साहिल कौन दिखाएगा।
जो हारे हैं मोहब्बत की बाज़ी यहाँ,
उनका मुक़द्दर फिर कौन बनाएगा।

इन रास्तों में अकेले ही चलना है अब,
साथ कोई नहीं जो साथ निभाएगा।
फिर भी दिल में यही एक सवाल बाकी है,
इस तबाही का जश्न कौन मनाएगा।

©theABHAYSINGH_BIPIN #GoodNight 
इस तबाही का जश्न कौन मनाएगा,
टूटा है दिल मेरा, जाम कौन उठाएगा।
सुना है मैखाने हर दर्द का मर्ज हैं यारों,
वहाँ तक मुझको कौन ले जा

theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_quotes हो तुम? जो मेरी आँखों की खनक में, मेरी तन्हाई को समझती, जो मेरे हाथों में अपना हाथ रख, हर दर्द को सहलाती। कहाँ हो तुम? जो मे

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White कहाँ हो तुम?
जो मेरी आँखों की खनक में, मेरी तन्हाई को समझती,
जो मेरे हाथों में अपना हाथ रख, हर दर्द को सहलाती।

कहाँ हो तुम?
जो मेरे काँपते होठों पर उँगली रख, ख़ामोशी को सुकून देती,
जो मेरे दिल की बेचैनी में, सांसों को जीवन देती।

कहाँ हो तुम?
कैसे तुम्हें आवाज़ दूँ, जो आकर इस तन्हाई को मिटाती,
जो मेरे सूने लम्हों को, उम्मीदों से रंग देती।

कहाँ हो तुम?
कितना कुछ कहना था तुझसे, जो मेरे ख्वाबों को हकीकत बनाती,
तुम होती, तो मैं पूरा होता, अगर तुम मेरे साथ होती।

कहाँ हो तुम?
तुम्हारी गैरमौजूदगी में सब अधूरा सा लगता है,
जो इस वीराने दिल को, फिर से धड़कन देती,
जो मेरे टूटे अरमानों को नई रौशनी देती।

कहाँ हो तुम?
जो मेरे साथ होकर इस अधूरे इश्क़ को पूरा करती,
जो मेरे वीरान सफर को, मोहब्बत का नया गीत गाती।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_quotes 

 हो तुम?
जो मेरी आँखों की खनक में, मेरी तन्हाई को समझती,
जो मेरे हाथों में अपना हाथ रख, हर दर्द को सहलाती।

कहाँ हो तुम?
जो मे

theABHAYSINGH_BIPIN

#good_night बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा, गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा। भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी, तकिए के ओट मे

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White बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा,
गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा।

भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी,
तकिए के ओट में चादर भिगो रही होगी।

कितने अरमानों को सजाया था दिल ने,
दोनों दिलों में अधूरी मोहब्बत दम तोड़ रही है।

उठ रहे हैं दिल में ना जाने कितने सवाल,
दो जवां दिलों में ख्वाहिशें दफ़्न हो रही हैं।

रोशन हो रही थी मुहब्बत चंद की रोशनी में,
यह कैसी घड़ी है जहां उम्मीदें बिखर रही हैं।

परवान चढ़ने पर था ख्वाबों सा मुंतजिर,
जैसे चांद से चकोर अलग हो रही है।

©theABHAYSINGH_BIPIN #good_night 

बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा,
गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा।

भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी,
तकिए के ओट मे

SANIR SINGNORI

'कल' की डोली उठाने के लिए, 'आज' को कंधा दे रहे हैं लड़के अजीब दास्तां है ज़माने की 'सानिर'#Book

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Unsplash 'कल' की डोली उठाने के लिए, 
'आज' को कंधा दे रहे हैं लड़के
 अजीब दास्तां है ज़माने की 'सानिर'












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©SANIR SINGNORI 'कल' की डोली उठाने के लिए, 
'आज' को कंधा दे रहे हैं लड़के 
अजीब दास्तां है ज़माने की 'सानिर'#Book
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