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theABHAYSINGH_BIPIN
White इस तबाही का जश्न कौन मनाएगा, टूटा है दिल मेरा, जाम कौन उठाएगा। सुना है मैखाने हर दर्द का मर्ज हैं यारों, वहाँ तक मुझको कौन ले जाएगा। ज़ख़्मी दिल की दवा कहाँ मिलती है, मुझे भी उस गली का पता बताएगा। जहाँ टूटे अरमानों का सवेरा होता है, जो ग़म के अंधेरों में चिराग़ जलाएगा। ग़म का समंदर यहाँ गहरा है बहुत, डूबते दिल को साहिल कौन दिखाएगा। जो हारे हैं मोहब्बत की बाज़ी यहाँ, उनका मुक़द्दर फिर कौन बनाएगा। इन रास्तों में अकेले ही चलना है अब, साथ कोई नहीं जो साथ निभाएगा। फिर भी दिल में यही एक सवाल बाकी है, इस तबाही का जश्न कौन मनाएगा। ©theABHAYSINGH_BIPIN #GoodNight इस तबाही का जश्न कौन मनाएगा, टूटा है दिल मेरा, जाम कौन उठाएगा। सुना है मैखाने हर दर्द का मर्ज हैं यारों, वहाँ तक मुझको कौन ले जा
#GoodNight इस तबाही का जश्न कौन मनाएगा, टूटा है दिल मेरा, जाम कौन उठाएगा। सुना है मैखाने हर दर्द का मर्ज हैं यारों, वहाँ तक मुझको कौन ले जा
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White कहाँ हो तुम? जो मेरी आँखों की खनक में, मेरी तन्हाई को समझती, जो मेरे हाथों में अपना हाथ रख, हर दर्द को सहलाती। कहाँ हो तुम? जो मेरे काँपते होठों पर उँगली रख, ख़ामोशी को सुकून देती, जो मेरे दिल की बेचैनी में, सांसों को जीवन देती। कहाँ हो तुम? कैसे तुम्हें आवाज़ दूँ, जो आकर इस तन्हाई को मिटाती, जो मेरे सूने लम्हों को, उम्मीदों से रंग देती। कहाँ हो तुम? कितना कुछ कहना था तुझसे, जो मेरे ख्वाबों को हकीकत बनाती, तुम होती, तो मैं पूरा होता, अगर तुम मेरे साथ होती। कहाँ हो तुम? तुम्हारी गैरमौजूदगी में सब अधूरा सा लगता है, जो इस वीराने दिल को, फिर से धड़कन देती, जो मेरे टूटे अरमानों को नई रौशनी देती। कहाँ हो तुम? जो मेरे साथ होकर इस अधूरे इश्क़ को पूरा करती, जो मेरे वीरान सफर को, मोहब्बत का नया गीत गाती। ©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_quotes हो तुम? जो मेरी आँखों की खनक में, मेरी तन्हाई को समझती, जो मेरे हाथों में अपना हाथ रख, हर दर्द को सहलाती। कहाँ हो तुम? जो मे
#sad_quotes हो तुम? जो मेरी आँखों की खनक में, मेरी तन्हाई को समझती, जो मेरे हाथों में अपना हाथ रख, हर दर्द को सहलाती। कहाँ हो तुम? जो मे
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White बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा, गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा। भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी, तकिए के ओट में चादर भिगो रही होगी। कितने अरमानों को सजाया था दिल ने, दोनों दिलों में अधूरी मोहब्बत दम तोड़ रही है। उठ रहे हैं दिल में ना जाने कितने सवाल, दो जवां दिलों में ख्वाहिशें दफ़्न हो रही हैं। रोशन हो रही थी मुहब्बत चंद की रोशनी में, यह कैसी घड़ी है जहां उम्मीदें बिखर रही हैं। परवान चढ़ने पर था ख्वाबों सा मुंतजिर, जैसे चांद से चकोर अलग हो रही है। ©theABHAYSINGH_BIPIN #good_night बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा, गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा। भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी, तकिए के ओट मे
#good_night बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा, गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा। भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी, तकिए के ओट मे
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Unsplash 'कल' की डोली उठाने के लिए, 'आज' को कंधा दे रहे हैं लड़के अजीब दास्तां है ज़माने की 'सानिर' . ©SANIR SINGNORI 'कल' की डोली उठाने के लिए, 'आज' को कंधा दे रहे हैं लड़के अजीब दास्तां है ज़माने की 'सानिर'#Book
'कल' की डोली उठाने के लिए, 'आज' को कंधा दे रहे हैं लड़के अजीब दास्तां है ज़माने की 'सानिर'#Book
read moreBanarasi..
बनारसी..... ©Banarasi.. "इतिहास की अमर गाथा" "चला था सिकंदर इस जहां में, संपूर्ण विश्व में धाक जमाने को। पोरस ने तोड़ दिया विश्वविजय अरमानों को, एक हार ने मिटाया इ
"इतिहास की अमर गाथा" "चला था सिकंदर इस जहां में, संपूर्ण विश्व में धाक जमाने को। पोरस ने तोड़ दिया विश्वविजय अरमानों को, एक हार ने मिटाया इ
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White कई रोज़ से जिंदगी की रवानी में गुम सा हूं, ख़्वाब अधूरे हैं, हकीक़त से भी ख़फा हूं। सुबह का सूरज अब फीका सा लगता है, शाम का चाँद भी बस धोखा सा लगता है। मंज़िलें जैसे कहीं दूर खड़ी रह गईं, खुद की ख़्वाहिशें दिल में ही दफन हो गईं। कभी उड़ने की चाहत ने आसमान मांगा, आज जीने की आरज़ू ने एक ठिकाना मांगा। हर कदम गिन रहा हूं, हर सांस टटोल रहा हूं, खुद से खुद को ही जाने क्यों तोल रहा हूं। दुनिया बदलने की चाह लेकर निकला था, आज अपने हिस्से का चैन भी खो रहा हूं। दिल कहता है थम के किसी छांव में बैठूं, बिखरे अरमानों को फिर से जोड़ने का हौसला बटोरूं। चलो, कहीं दूर एक मोड़ तलाशते हैं, जहां ख्वाहिशें और सपने को फिर से बचपन की तरह संवारते है..!! ©#Mr.India कई रोज़ से जिंदगी की रवानी में गुम सा हूं, ख़्वाब अधूरे हैं, हकीक़त से भी ख़फा हूं। सुबह का सूरज अब फीका सा लगता है, शाम का चाँद भी ब
कई रोज़ से जिंदगी की रवानी में गुम सा हूं, ख़्वाब अधूरे हैं, हकीक़त से भी ख़फा हूं। सुबह का सूरज अब फीका सा लगता है, शाम का चाँद भी ब
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