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Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
🙏🌷सेनूर🌷🙏 पड़ते सेनूर मंगवा, धिया हो गईली पराई, माई बाबू सबै रोअत बाड़े, देखि के बिदाई, पड़ते सेनूर मंगवा, धिया हो गईली पराई। सबे कुछ त उहे बाटे, सब आपन बुझाला, सेनूर पड़ते बिटिया के, भाग बदल जाला। भईया भौजी सुसुके, ईया रोवेली चिचियाई, पड़ते सेनूर मंगवा, धिया हो गईली पराई। सेनूर शक्ति अइसन गैरन से प्रीत बढ़ जाला, आपन संग डोर तोड़, गैरन संग जुड़ जाला। सेनूर बाटे सोहाग भाग, सेनूर बाटे सच्चाई, पड़ते सेनूर मंगवा, धिया हो गईली पराई। पड़ते सेनूर मंगवा, धिया हो गईली पराई, माई बाबू सबै रोअत बाड़े, देखि के बिदाई, पड़ते सेनूर मंगवा, धिया हो गईली पराई। 🙏🌷सेनूर🌷🙏 पड़ते सेनूर मंगवा, धिया हो गईली पराई, माई बाबू सबै रोअत बाड़े, देखि के बिदाई, पड़ते सेनूर मंगवा, धिया हो गईली पराई। सब
Parul Sharma
krishna vani मोरा जियरा बिसरा रे यमुना घाट के किनारे कान्हा आजा तू बंसी बजारे। मोरा जियरा बिसरा रे सपनों में देखूँ,नैनन में देखूँ तोरी सांवली सूरत दरपन में देखूँ। जग सांवला हुआ रे। यमुना घाट के किनारे कान्हा आजा तू बंसी बजारे। तेरी बंसी की धुन गूँज रही पत्तन में, रज रज में पूरे गोकुल की सुधबुध गयी जबसे यादें छोड़ गया तू गोकुल में अब आ भी जारे यमुना घाट के किनारे कान्हा आजा तू बंसी बजारे। पारुल शर्मा #NojotoQuote मोरा जियरा बिसरा रे यमुना घाट के किनारे कान्हा आजा तू बंसी बजारे। मोरा जियरा बिसरा रे सपनों में देखूँ,नैनन में देखूँ तोरी सांवल
Parul Sharma
मोरा जियरा बिसरा रे यमुना घाट के किनारे कान्हा आजा तू बंसी बजारे। मोरा जियरा बिसरा रे सपनों में देखूँ,नैनन में देखूँ तोरी सांवली सूरत दरपन में देखूँ। जग सांवला हुआ रे। यमुना घाट के किनारे कान्हा आजा तू बंसी बजारे। तेरी बंसी की धुन गूँज रही पत्तन में, रज रज में पूरे गोकुल की सुधबुध गयी जबसे यादें छोड़ गया तू गोकुल में अब आ भी जारे यमुना घाट के किनारे कान्हा आजा तू बंसी बजारे। पारुल शर्मा #Krishna गीत मोरा जियरा बिसरा रे यमुना घाट के किनारे कान्हा आजा तू बंसी बजारे। मोरा जियरा बिसरा रे सपनों में देखूँ,नैनन में देखूँ
✍ अमितेश निषाद
____भोजपुरी संग्रह * विदाई * कइनी बेटी के हम बिदाई रोइ रोइ हो बेटिये समझ त होइहे का होला विदाई हो घर दुआर तेज बेटी अब भइली बहुरिया जाने कइसन मिलिहै सास ससुर ननदोई हो गलती पर गलती सब माफ रहल झूठे के बड़ाई करे भाई भउजाई हो दहेज में सब खेत बारी लुटाई गइले कबो केहू ताना मारे कबो केहू गरिआई हो हे विघ्न कबले घुट घुट के जिहि हम इहे सोची सोची बेटी गईली ओराई हो ____भोजपुरी संग्रह * विदाई * कइनी बेटी के हम बिदाई रोइ रोइ हो बेटिये समझ त होइहे का होला विदाई हो घर दुआर तेज बेटी अब भइली बह
Prof. RUPENDRA SAHU "रूप"
हैप्पी हैप्पी होली है थोड़ी भाँग भी पी ली है एक होली आज फिर खेली है नाक मुँह सब रंगैली है सबका गले लगैली है बुरा ना मानो होली है खूब हमका नाचैली है जब पड़ोस में गईली है पानी खाली डाल के खूब हमका भिगैली है गुझिया हमऊ बनइली है चाप के चिप्स खईली है धर पटक भी खेलैली है जेका पाई ओका नाली मा डूबैली है बुरा ना मानो होली है हैप्पी हैप्पी होली है होली है जी होली है हैप्पी हैप्पी होली है थोड़ी भाँग भी पी ली है एक होली आज फिर खेली है नाक मुँह सब रंगैली है सबका गले लगैली है बुरा ना मानो होली है खूब हमका नाच
राजेश कुशवाहा 'राज'
!!मलकिनिया के पापड़!! - भाग-1 आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल। हर बातिनि में दिनभर उ, चलति हां आपन चाल।। बइठ रहन आफिस में अपने,आबा उनखर काॅल। कहिन किराना औ तरकारी, लइ आबा तत्काल। हमहूं आसउं चिप्स बनायब, लइअउब आलू लाल। कलर त बिल्कुल भूलब न, पीला हरा औ लाल।। एतना कहिके काटि दिहिन, फोनबा उ तत्काल। का कही फेर आपन हालत, जाने हर माई के लाल।। फेर हमहूं चलि दिहन बंजारे, फटफटिया लै तत्काल। सगल बजारे खुब ढूंढन पै, आलू मिली न लाल।। फेर त हमहूं फोन लगायन, कहन बजारे के हाल। तब बताइन कि आलू लई लेई, उज्जरि होई या लाल।। एतने तक त ठीक रहा पै, आगे बढ़ी बवाल। जब कहिन की बिल्कुल भूलब न, पीला हरा औ लाल।। आगे कहिन बनाउब पापड़, जीरा सौंफ सब डाल। दाना साबुन वाला लेआउब, नही घर में गली न दाल।। एतना कहिके काटि दिहिन, फेर फोनबा उ तत्काल। तब हमहूं सामान लिहन, औ घर पहुंचन तत्काल।। नाश्ता पानी दिहिन नही, पहिलेन करिन सवाल। लइ आयन की नही बताई, साबुन आलू औ रंग लाल।। हमहूं रहन मनइ मन गुस्सा, चेहरा पड़ा रहा सब लाल। दिहन सामान पटकि मूड़े म, फेर भगन दूर तत्काल।। आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल। आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल।। ----कुशवाहाजी ©राजेश कुशवाहा !!मलकिनिया के पापड़!! आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल। हर बातिनि में दिनभर उ, चलति हां आपन चाल।। बइठ रहन आफिस में अपने,आबा उनखर काॅल।
Vandana
काश ये रास्ता तुम तक जाता काश ये रास्ता तेरे शहर को आता ये रास्ता यू सुनसान ना पड़ा होता विरान सा ना लगता होती इसमें चहल पहल बाजारे सजती गूंज उठती शहनाई और कहीं तुम भी मिल जाते इन रास्तों में मुझे नजरें टकराती मैं भी घूमती इठलाती इन रास्तों में तुम्हें देख थोड़ी शर्मा जाती OPEN FOR COLLAB ✨ #ATjourneypoem • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ♥️ Write a short poem on 'journey'.✨ BG credits: Ruby Behera You a